बच्चों में असंयतमूत्रता (Enuresis): इसका इलाज कैसे करें?
बच्चों में असंयतमूत्रता यानी चाइल्डहुड एन्यूरिसिस (Childhood Enuresis) दरअसल मूत्र असंयम का ही एक रूप है जो आमतौर पर पांच और छह साल की उम्र के बीच वाले बच्चों में दिखता है। यह बच्चों में बार-बार मूत्रत्याग के रूप में दिखता है, या तो दिन में या रात को बिस्तर पर।
इसे एक बीमारी का दर्जा पाने के लिए मूत्रत्याग हफ़्ते में कम से कम दो बार लगातार तीन महीने तक होना चाहिए। अगर यह कोई बीमारी नहीं है, तो यह एक व्यवहार से जुड़ी समस्या है।
अच्छी खबर यह है कि उचित और नियमित रूप से पेशाब करने की आदतें अपनाने का तरीका जानने में बच्चे की मदद करने के कई तरीके हैं। इस पोस्ट में हम इस स्थिति के मुख्य लक्षणों और इलाज के कई उपायों पर नज़र डालेंगे।
बच्चों में असंयतमूत्रता के लक्षण (Symptoms of Childhood Enuresis)
चाइल्डहुड एन्यूरिसिस का मुख्य लक्षण अनचाहे ही मूत्रत्याग होना है। यह रात में और कुछ हद तक दिन में हो सकता है।
इस स्थिति वाले बच्चों को जागने में ज्यादा मुश्किल पेश आती है और वे कब्ज से पीड़ित हो सकते हैं।
डायग्नोसिस के मानदंड
बच्चों में असंयतमूत्रता की डायग्नोसिस के लिए पेडियाट्रिसियन को बच्चे की उम्र, मूत्र त्याग की बारंबारता और मेडिकल बैकग्राउंड पर गौर करना चाहिए।
उन्हें समस्या से निपटने में माता-पिता के रवैये का भी आकलन करना चाहिए और किसी दूसरी बीमारी की संभवना को ख़ारिज करने के लिए कुछ अतिरिक्त टेस्ट का सुझाव देना चाहिए।
डायग्नोसिस पॉजिटिव है अगर:
- बच्चे की उम्र चार से छह साल के बीच है।
- कम से कम मूत्र का यह अनचाहा रिसाव सप्ताह में कई बार होता है।
- असंयतमूत्रता (बिस्तर गीला करना) रात में सबसे आम है।
- मूत्र त्याग आम तौर पर बिस्तर पर जाने के 30 मिनट से 3 घंटे के बीच होता है।
बच्चों में असंयतमूत्रता का इलाज (Treatments for Childhood Enuresis)
कई पैरेंट चाइल्डहुड एन्यूरिसिस के मामले में किसी बाल रोग विशेषज्ञ से सलाह नहीं लेते और इस तरह आवश्यक इलाज की अनदेखी करते हैं। यह सच है कि बच्चे के बड़े होने के साथ ही समस्या कम होती जाती है लेकिन कई बार सही इलाज नहीं करने के कारण स्थिति जटिल हो सकती है।
वक्त पर सही डायग्नोसिस अहम है क्योंकि कभी-कभी इसका कारण छिपी हुई समस्या हो सकती है। इसके अलावा, सही हस्तक्षेप बच्चे के सामाजिक जीवन को प्रभावित होने से रोकता है।
तो चाइल्डहुड एन्यूरिसिस इलाज क्या है?
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गैर-औषधीय इलाज
बच्चों में असंयतमूत्रता के इलाज का ज्यादा ध्यान उसके व्यवहार को ठीक करने पर केंद्रित होता है। इसलिए इससे पहले कि डॉक्टर किसी दवा का सुझाव दें, उसे आपको बीमारी के बारे में समझाना होगा और इससे निपटने के लिए कुछ सलाहें देनी होंगी।
इसमें निम्नलिखित सुझाव शामिल हो सकते हैं:
- बच्चे और माता-पिता को समझाएं कि यूरिनरी सिस्टम कैसे काम करता है, और एन्यूरिसिस के कुछ बुनियादी सिद्धांतों की व्याख्या करें।
- बच्चे और माता-पिता समझाएं कि इस स्थिति के लिए वे जिमेदार नहीं हैं क्योंकि यह उनके नियंत्रण से बाहर है।
- परिवार से आग्रह करें कि वे बच्चे को न तो डांटे और न ही शर्मिंदा करें। इसके विपरीत, उनका सहायक बनना चाहिए।
- इलाज के दौरान परिवार के सदस्यों से सकारात्मक दृष्टिकोण रखने को कहें। हालाँकि, इस बारे में उन्हें बहुत सक्रिय नहीं होना चाहिए। इसका अर्थ है कि बच्चे के पेशाब करने के लिए उसे पैरेंट को रात में नहीं जगाना चाहिए।
- बच्चे को समझाएं कि वे दिन में लिक्विड पियें और शाम 7 बजे के बाद इसे कम पियें।
- बच्चे से “ड्राई नाइट” को दर्ज करने के लिए कहें जिससे वे अपनी प्रोग्रेस देख सकें।
- ब्लैडर पर कंट्रोल के लिये नियमित रूप से पेशाब करने की आदतें डालने में बच्चे की मदद करें।
- गीले कपड़े बदलने के लिए बच्चे को कहकर साफ़-सफ़ाई की अच्छी आदतों को बढ़ावा दें।
- विशेष स्थितियों को छोड़कर डायपर का उपयोग घटा दें।
औषधीय इलाज
जब डॉक्टर बच्चों में असंयतमूत्रता के लिए दवा की सिफारिश करते हैं, तो आमतौर पर इसमें डेस्मोप्रेसिन (desmopressin) शामिल हो सकता है। यह दवा रात के दौरान शरीर में द्रव की मात्रा कम कर देती है। इसकी प्रभावशीलता 40 से 80% के बीच हो सकती है।
कभी-कभी ऑक्सीब्यूटिनिन (oxybutynin) के उपयोग का भी सुझाव दिया जा सकता है। यह दवा मूत्राशय की क्षमता को बढ़ाती है। आखिरकार डॉक्टर इमीप्रेमाइन (imipramine) की सिफारिश कर सकते हैं, जिसमें एक एंटीड्युरेटिक प्रभाव (antidiuretic effect) होता है। अपने साइड इफेक्ट के कारण यह विकल्प विशिष्ट मामलों के लिए ही है।
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माता-पिता के लिए सिफारिशें
चाइल्डहुड एन्यूरिसिस एक मामूली गड़बड़ी है जो बच्चे के बढ़ते ही दूर हो जाती है। हालांकि कुछ माता-पिता के लिए इस स्थिति से निपटना मुश्किल हो सकता है। इसे देखते हुए हम कुछ अंतिम सिफारिशों यहाँ करेंगे:
- सोने से पहले बच्चे को कोई तरल पदार्थ न पीने दें।
- बिस्तर गीला करने पर बच्चे को डांटे या सजा न दें।
- बच्चे का आत्मविश्वास बढ़ाकर उसे समस्या को दूर करने के लिए प्रेरित करें।
- बच्चे को बिस्तर पर जाने से पहले पेशाब करना सिखाएं।
- बच्चे को समझाएं कि बिस्तर गीला करना बुरी बात है।
- ध्यान रखें कि बच्चा दिन में कई बार बाथरूम जाये।
4 से 6 साल की उम्र वाले बच्चों में असंयतमूत्रता एक आम समस्या है। यह स्थिति आमतौर पर उनकी सेहत पर कोई असर नहीं डालती, फिर भी इस पर ध्यान देना आवश्यक है ज़रूरी है जिससे यह बच्चे के आत्मविश्वास को प्रभावित न करे। इसका इलाज काफी हद तक उन्हें अच्छे व्यवहार सिखाने पर निर्भर करता है।
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