लेरिन्जाइटिस के कारण और इसके लक्षण

लेरिन्जाइटिस ऐसी समस्या है जिसके कई कारण हैं। इस लेख में लेरिंजाइटिस के कारणों और लक्षणों की खोज करें।
लेरिन्जाइटिस के कारण और इसके लक्षण

आखिरी अपडेट: 23 नवंबर, 2020

लेरिन्जाइटिस उस लारेंजियल म्यूकोसा की सूजन है, जो हवा को भीतर लेने और बाहर निकालने के लिए जिम्मेदार है। यह आवाज के लिए भी सबसे अहम क्षेत्र है, क्योंकि वोकल कॉर्ड वहीं होता है। तो लेरिन्जाइटिस के लक्षण क्या हैं?

स्पेनिश सोसाइटी ऑफ ओटोराइनोलेरिंगोलॉजी (एसईओआरएल) के एक्सपर्ट की मानें तो रोगी के अल्प समय (घंटों या दिनों) में ठीक हो जाने की स्थिति में इसे एक्यूट माना जाता है। अगर लक्षण तीन हफ्ते से ज्यादा वक्त तक रहे तो इसे क्रोनिक माना जाता है।

आप इस आर्टिकल में देखेंगे, लेरिन्जाइटिस बहुत ही आम बीमारी है जो आमतौर पर वायरस के कारण होती है। इसलिए लेरिन्जाइटिस के कारणों और लक्षणों को जानना जरूरी है। नीचे हम आपको वह सब कुछ बताएंगे जिसे आपको जानना चाहिए।

आम आबादी में बीमारी की व्यापकता

लेरिन्जाइटिस से निपटने के लिए इसकी एपिडेमिक साइंस को जानना जरूरी है, जो इसे प्रभावित करता है और इसकी व्यापकता (किसी आबादी में संक्रमित लोगों की संख्या) को निर्धारित करता है। महामारी विज्ञान की स्टडी बहुत दिलचस्प डेटा उपलब्ध कराती है:

  • एक्यूट लेरिन्जाइटिस 15-20% श्वसन रोगों के लिए जिम्मेदार है।
  • शिशुओं में यह 3 से 6% है। इस तरह छह साल से कम उम्र के लगभग 100 में से 6 लोग इस समस्या से पीड़ित रहते हैं।
  • प्रभावित व्यक्ति की विशिष्ट क्रोनिक प्रोफ़ाइल यह है कि वे सर्दियों और वसंत में इस बीमारी से ग्रस्त होता है।
  • एक्यूट लेरिन्जाइटिस में एक स्पष्ट पारिवारिक तथ्य होता है। क्योंकि पेडियाट्रिक जर्नल के अनुसार जिन बच्चों के रिश्तेदार इससे पीड़ित होते हैं, उनका इसका शिकार होने की संभावना तीन गुना ज्यादा होती है।

जैसा कि आपने देखा, यह ऐसी बीमारी है जो बच्चों में अक्सर देखी जाती है। छह साल की उम्र तक छोटे बच्चों में ग्लोटिस और शिथिलता और कम रेशेदार सबम्यूकोसल टिशू होते हैं, और ये फैक्टर उन्हें संक्रमण का शिकार होने के लिए प्रेरित करते हैं।


गले में खराश और डिस्फोनिया, लेरिन्जाइटिस के लक्षण हैं।

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लेरिन्जाइटिस के कारण और लक्षण

वैज्ञानिक रिसर्च में कहा गया है कि आम आबादी में लेरिन्जाइटिस कई कारण से पैदा हो सकती है। वे निम्नलिखित हैं:

  • इन्फेक्शस : वायरस (कोल्ड, फ्लू या दाद), बैक्टीरिया (माइकोप्लाज्मा या डिप्थीरिया), या फंगस (कैंडिडिआसिस या एस्परजिलोसिस) के कारण।
  • नॉन इन्फेक्शस : एलर्जी, ट्रामा, दवाओं या ऑटोइम्यून गड़बड़ियों के कारण।

वायरल लेरिन्जाइटिस

कई अस्टडी के अनुसार पैराफ्लुएंजा वायरस 1, 2, और 3 में सभी मामलों के करीब 65% के लिए जिम्मेदार होता है। इसके अलावा, इन्फ्लूएंजा A और B वायरस (जो फ्लू का कारण बनते हैं) और कई प्रकार के एडेनोवायरस इसके आम एजेंट हैं।

ये पैथोजेन अपर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन से जुड़े होते हैं, जिससे इन्फ्लूएंजा के विशिष्ट क्लिनिक लक्षण होते हैं। उनमें से कुछ हैं:

  • सबसे पहले, बुखार
  • गले में खराश और सूखापन
  • डिस्पैजिया (निगलने में परेशानी)
  • सांस लेने में कठिनाई और लगातार खांसी होना
  • गर्दन में फूली हुई लिम्फ नोड्स
  • कान का दर्द

ये लक्षण फेरिन्जियल म्युकोसा की सूजन से पैदा होते हैं जो लाल और फूले हुए होते हैं, दूसरे शब्दों में सेल के बाहर तरल का जमा होना।

जहां तक बात इलाज की है, रोगी को अपनी आवाज को आराम देना चाहिए और एंटीपायरेटिक्स और एनाल्जेसिक दवाओं को लगाना चाहिए।

एक्यूट मामलों में यह रोग अपने आप ठीक होता है। दरअसल यह कुछ दिनों के बाद गायब हो जाता है। इम्यून सिस्टम प्रेरक एजेंट से लड़ता है और यह स्थायी असर नहीं छोड़ता है।

बैक्टीरियल लेरिन्जाइटिस

यह वायरल लेरिंजाइटिस से कम आम है। विभिन्न बिब्लियोग्राफिकल सूत्रों के अनुसार यह वैरिएंट खुद दुरुस्त हो जाता है।

सबसे आम प्रेरक एजेंटों में से एक माइकोप्लाज़्मा बैक्टीरिया है, जिनमें से 100 से अधिक स्पीशीज हैं। लक्षण उन लोगों के समान हैं जिनका हमने ऊपर जिक्र किया है: बुखार, खांसी, निगलने में तकलीफ और डिस्फोनिया (आवाज के कुछ ध्वनिक गुणों में बदलाव)।

इन मामलों में, इलाज एंटीबायोटिक दवाओं पर आधारित है। एरिथ्रोमाइसिन, क्लियरिथ्रोमाइसिन या एजिथ्रोमाइसिन लैरींक्स में बैक्टीरिया को मारने में असरदार हैं।

नॉन इन्फेक्शस लेरिन्जाइटिस

इस बीमारी के कुछ मामले में पैथोजेन नहीं होते हैं जिसका अर्थ है कि उनमें लेरिन्जाइटिस सूक्ष्मजीवों के कारण नहीं बल्कि इस अंग का ज्यादा इस्तेमाल और कुछ पर्यावरण फैक्टर के कारण होता है, जैसे कि:

  • एलर्जी: एलर्जी पैदा करने वाले तत्कीवों को साँस के रास्ते लेने के बाद वोकल कॉर्ड  और बाकी लारेंजियल म्यूकोसा की तेज सूजन। यह गले में खराश से लेकर वायुमार्ग में गंभीर बाधा तक तमाम लक्षणों का कारण बनता है।
  • साँस लेना: हानिकारक तत्वों, जैसे धूम्रपान या बहुत गर्म हवा के लारेंजियल टिशू के सीधे संपर्क में आने से। यह फायर फाइटर्स और जलने से बचे लोगों में आम है।
  • ट्रौमा या तेज बोलने के प्रयास के कारण: स्वरयंत्र पर लगातार दबाव या कोई झटका इसका कारण होता है।
गैर-संक्रामक लेरिन्जाइटिस

पैथोलॉजी की उत्पत्ति संक्रामक या गैर-संक्रामक हो सकती है।

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लेरिन्जाइटिस के कारण और लक्षणों के बारे में इन्हें याद रखें

इस लेख में हमने समझाया कि लेरिन्जाइटिस बहुक्रियात्मक समस्या है, क्योंकि इसके विभिन्न कारण हैं जिनमें संक्रामक एजेंटों से लेकर साधारण चोट तक शामिल हैं। फिर भी वे सभी आम लक्षण पैदा करते हैं, जैसे कि डिस्फोनिया और नॉन-प्रोडक्टिव कफ।

यह तथ्य ठीक है कि इसका इन्फेक्शस वर्जन ही सबसे आम हैं, इसलिए वे सीधे संपर्क या तरल को सांस के रास्ते अन्दर लेने पर ही आबादी में फैलते हैं। इसलिए वे एपिडेमिक साइंस के पैटर्न के साथ उभरते हैं, और सर्दियों और पतझड़ में चरम पर होते हैं।

ये रेसपिरेटरी पैथोलोजी शिशुओं में काफी आम है। हालाँकि, फ़िक्र करने की कोई ज़रूरत नहीं है, क्योंकि वे आमतौर पर अपने दम पर ठीक हो जाते हैं। लेकिन अगर लक्षण दो सप्ताह से ज्यादा व्यक्त तक रहें तो डॉक्टर से मिलना चाहिए।



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