स्कूल में बच्चे का पहला दिन : 7 गलतियाँ जो पैरेंट करते हैं
बच्चा जब शिक्षा प्रणाली में अपनी अहम यात्रा शुरू करने वाला बच्चा बनने के लिए “आपका बच्चा” बनना बंद कर देता है, तो उन्हें स्कूल में ढलने में मदद करने की चाहत रखने पर भी आप कई गलतियाँ कर सकते हैं। तीन से पाँच साल अपने बच्चे की देखभाल करने के बाद पहली बार उन्हें टीचर के हाथों में छोड़ना आपके लिए बेशक बहुत मुश्किल हो सकता है।
आप नर्वस और भावुक होना शुरू कर सकते हैं। यह अलगाव बच्चों और उनके माता-पिता दोनों के लिए मुश्किल होता है।
हालाँकि आप बालिग और सुलझे हुए इंसान हैं और आपको अपने बच्चे की मदद करनी है। समस्या यह है कि कई बार लोग अपनी भावना के आवेश में आकर कई गलतियाँ कर बैठेते हैं जो बच्चे के लिए पहली बार स्कूल जाना मुश्किल बना देती हैं।
स्कूल में बच्चे का पहला दिन और वे 7 गलतियाँ जो पैरेंट करते हैं
अपने बच्चे के लिए अपने मुताबिक बेहतरीन स्कूल ढूंढ लेने की कोशिशों के बाद आपको बच्चे पर भरोसा करना चाहिए और जीवन के इस नए स्टेज के अनुकूल बनने में उनकी मदद करनी चाहिए। स्कूल के प्रति आकर्षण पैदा होने में कितना वक्त लगेगा यह हर बच्चे के लिए अलग-अलग हो सकता है।
जब आपका बच्चा स्कूल शुरू करता है, तो माता-पिता इन सात गलतियों में से किसी के भी शिकार हो सकते हैं। कभी-कभी उनकी मदद करने के बजाय आप जीवन के इस नए स्टेज में उनका ट्रांजिशन मुश्किल बना सकते हैं। इसलिए इन आम गलतियों पर ध्यान दें क्योंकि इनसे बचा जा सकता है।
1. बच्चे को पहले से तैयार न करना
स्कूल जाने से पहले बच्चे को क्लास के लिए तैयार न करना माँ-बाप की सबसे बड़ी गलतियों में एक हो सकता है। बच्चों को पहले से मालूम होना चाहिए कि उन्हें कौन से नए तजुर्बे होंगे। उन्हें इसके लिए तैयार करने के लिए पहले ही उनसे इस बारे में बात करनी होगी।
इसका एक अच्छा उपाय स्कूल की शुरुआत करने में बच्चे की एक्टिविटी में शामिल होना है। स्कूल द्वारा की जाने वाली सप्लाई के लिए खरीदारी करना मजेदार हो सकता है। वे कुछ दिनों में ही इन चीजों का इस्तेमाल शुरू करेंगे, यह जानना बच्चे के लिए एक्साइटिंग हो सकता है।
माता-पिता साथ में बैठकर बच्चे को आगे होने वाले अनुभव के बारे में बता रहे हैं, कई बच्चों के लिए तो पुरानी लाइफ को गुडबाई करके स्कूल लाइफ शुरू कर देने के लिए इतना पर्याप्त हो सकता है। यदि आप अपने बच्चे में स्कूल-फोबिया पनपने से रोकना चाहते हैं, तो आपको जीवन के इस नए स्टेज में शुरुआत करने के लिए उन्हें पहले से तैयार करना होगा।
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2. बच्चे के सामने रोना
इसका सामना कीजिये। बच्चों को रोते, परेशान या ऐसे अजनबी लोगों के बीच डरा हुआ देखना मुश्किल होता है, जिन्हें वे जानते नहीं हैं। बेशक यह किसी भी पैरेंट को रोने के लिए मजबूर कर सकता है!
याद रखें कि आप सबसे बड़ी मिसाल हैं जो बच्चे को अपनी भावनाओं पर संयम रखना सिखाएगा।
आत्म-नियंत्रण खोना उन सबसे बड़ी गलतियों में से एक है जो एक अभिभावक कर सकता है। आपका बच्चा इस नए अनुभव के बारे में पहले से ही घबराया हुआ है और ऐसे में जब बच्चा अपने माता-पिता को आँखों में पानी देखता है, तो उनके लिए स्कूल जाना भुत मुस्खिल हो जाता है।
अगर आपको रुलाई आ रही है, तो आपको यह स्कूल के बाहर ही करना चाहिए। पहली बार का यह अलगाव बहुत मजबूत होता है और कुछ दिनों तक चलेगा। हालांकि आप देखेंगे, बच्चा धीरे-धीरे सहज हो जाएगा।
3. बच्चे को रोता सुनकर वापस लौटना
यह भी पैरेंट की आम बड़ी गलतियों में से एक है। बच्चे को गुडबाई करने के बाद पीछे से बच्चे का रोना-चिल्लाना सुनकर पीछे न लौटें। यह सबसे नुकसानदेह गलतियों में से एक है।
बच्चे को शांत करने के लिए स्कूल के कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया जाता है। ज्यादातर बच्चे आमतौर पर जल्द ही शांत हो जाते हैं, अभिभावक के चले जाने के कुछ ही मिनटों बाद। वे अपने नए परिवेश से तालमेल बनाना शुरू कर देते हैं, कुछ जल्दी तो कुछ थोड़ी देर से।
कुछ मामलों में कोई बच्चा जल्दी शांत नहीं होता है, और बेशक ऐसे में स्कूल के कर्मचारी स्कूल ख़त्म होने से पहले ही बच्चे को ले जाने के लिए पैरेंट को बुला लेंगे। हालाँकि यह बहुत कम होता है। टीचर को पता है, ऐसे रोने वाले बच्चों से कैसे निपटना है।
अपने बच्चे पर एहसान कीजिये, वापस न लौटें।
4. स्कूल में होने पर बच्चे की खबर लेना
अपने बच्चे की खबर लेने के लिए स्कूल का रुख करने से बचें। ऐसा करना भारी भूल होगी।
शांत होने के बाद जब बच्चा आपको देखता है, तोवह आपका साथ नहीं छोड़ना चाहता है। आप उसे फिर से गुडबाई नहीं कहना चाहेंगे। यह भले ही उसे समय उन्हें तकलीफ से बचा ले लेकिन स्कूल के माहौल का आदी होना उसके लिए मुश्किल बना देगा।
हम जानते हैं, आप यह जानने के लिए उत्सुक होंगे कि बच्चा स्कूल में कैसे रह रहा है। लेकिन आपको तब तक इंतजार करना चाहिए जब तक कि स्कूल की छुट्टी होने का वक्त न हो जाए।फिर सीधे बच्चे के मुंह से ही उसके स्कूल के तजुर्बे के बारे में पूछें।
5. गुडबाई कहे बिना उन्हें स्कूल छोड़ना
बच्चे को स्कूल के शुरुआती दिनों में उसे स्कूल के लिये गुडबाई करने का पल बहुत अहम होता है। जब बच्चे का चेहरा उदास हो, वह अपने माता-पिता को जाने नहीं देगा या वह जोर-जोर से रोना शुरू कर देगा।
हालांकि इस पर बिना ध्यान दिए उन्हें विदा करना एक और गलती है जो माता-पिता करते हैं। यह समाधान नहीं है।
इसके विपरीत, आप उसमें इससे अलग करने का नेगेटिव सेंसेशन पैदा कर सकते हैं। सबसे अच्छी बात है उन्हें गुडबाई कहना। उन्हें एक छोटी सी गुडबाई कहें, उसे बताएं कि आप कितना प्यार करते हैं, कि आप बाद में लेने आयेंगे और उम्मीद है कि स्कूल का पहला दिन शानदार होगा। साथ ही उसे गले लगाकर अलविदा कहें।
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6. स्कूल में गुडबाई करने में बहुत वक्त लगाना
गुडबाई कहने में बहुत वक्त न लगाएं और फिर यह फेयरवेल बहुत छोटा होना चाहिए। ज्यादा वक्त लेंगे तो उन पर गलत असर होगा और वे सोच सकते हैं कि आप उसके साथ रहेंगे। यहाँ तक कि जब ऐसा नहीं होने वाला है, तो ठहरने का वादा भी न करें।
इसके अलावा टीचिंग स्टाफ को बच्चे को शांत करना है, लेकिन जब वे आपको देखते हैं कि आप वहाँ से गए नहीं हैं, तो माहौल तनावपूर्ण हो सकता है। बच्चे कों जल्दी अलविदा कहकर आप शिक्षक और बच्चा दोनों की मदद करेंगे।
7. बच्चे को रोने पर डाँटना और दूसरों से उसकी तुलना करना
स्कूल के पहले दिन बच्चे वैसे ही डर महसूस करते हैं, इसलिए अगर आप डांटते हैं और दूसरों से उसकी तुलना करते हैं तो उनकी हालात और खराब हो सकती है। शुरुआती कुछ दिनों के दौरान रोना उनके लिए आम है। कुछ बच्चे दूसरों के मुकाबले तेज़ी से एडाप्ट करेंगे, लेकिन उन्हें ऐसा बुरा महसूस कराना उन्हें एडाप्ट करने में मदद नहीं करेगा।
इसी तरह स्कूल में पहले कुछ दिन कई बच्चों के लिए कोई मुश्किल नहीं भी हो सकते हैं। हालांकि यह संभव है कि वे पांचवें दिन के बाद वे रोना शुरू कर सकते हैं। इसलिए धैर्य रखें और फिक्रमंद न हों और न ही उन पर दबाव डालें। उन्हें गले लगायें, गुडबाई कहें और भले ही वे थोड़ा रोएं, शांत कराने के लिए उनके पास लौटकर न जाएँ।
संक्षेप में ये कुछ ऐसी गलतियाँ हैं जो माता-पिता अनजाने में करते हैं लेकिन जिनसे बचा जा सकता है। साथ ही, ये गलतियाँ बच्चों की अनुकूलन प्रक्रिया को कठिन बना सकती हैं।
अब इन गलतियों के बारे में पढ़ने के बाद, उनसे बचें। यह आपके लिए मुश्किल हो सकता है, लेकिन आपके बच्चे के लिए बहुत अच्छा रहेगा।
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- González, M. C. P. (2010). Los primeros días de clase en educación infantil. Pedagogía Magna, (9), 89-94. https://dialnet.unirioja.es/descarga/articulo/3628215.pdf