पैरों की उँगलियों में लगी फंगस के बारे में 7 तथ्य
पैरों की उँगलियों की फंगस (या ओनीकोमाईकोसिस) एक आम संक्रमण होता है। यह हमारे हाथों और पैरों, दोनों ही को प्रभावित करता है।
इस संक्रमण की वजह से हमारे नाखूनों के रंग-रूप में बदलाव आने लगते हैं, जिसमें उनमें पड़ती दरारें, उनका पीला रंग व खुजली का एक असहज एहसास शामिल होता है।
आमतौर पर इसके पीछे हमारे शरीर की कमज़ोर इम्यून प्रतिक्रिया का हाथ होता है। लेकिन इस अवस्था के लिए ये कारण भी ज़िम्मेदार हो सकते हैं:
- हद से ज़्यादा पसीना आना
- कुछ विशिष्ट तरह के जूते
- दूषित सतहों के साथ संपर्क
भले ही इस फंगस के पीछे किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या का हाथ न हो, पर उसका इलाज किया जाना ज़रूरी होता है। जी नहीं, यह हम किन्हीं सौन्दर्य-संबंधी कारणों के लिए नहीं, बल्कि उससे हो सकने वाले दर्द व अन्य जटिलताओं से आपको बचाने के लिए कह रहे हैं।
साथ ही, कुछ सुरक्षात्मक उपाय अपनाने के लिए इस अवस्था के बारे में कुछ ज़रूरी बातें जान लेने में भी कोई हर्ज़ नहीं है।
तो आइए, एक नज़र डालते हैं पैरों की उँगलियों की फंगस के बारे में 7 बातों पर!
1. यह एक बेहद आम समस्या होती है।
पैरों की उँगलियों की फंगस के लिए आमतौर पर गर्म और नम वातावरणों में पनपने वाली डर्माटोफाइट्स नाम की फंगस ज़िम्मेदार होती है।
कई लोगों के लिए शर्मिंदगी का एक कारण बनने वाली यह अवस्था दरअसल एक बहुत ही आम संक्रमण होता है। आप मानें या न मानें, पर आधे से ज़्यादा लोग अपनी ज़िन्दगी में कम से कम एक बार तो इसकी चपेट में आ ही चुके होते हैं।
उम्र के साथ इस संक्रमण के प्रति आपकी संवेदनशीलता भी बढ़ती जाती है। चूंकि शुरू-शुरू में इसका पता लगा पाना ज़रा मुश्किल होता है, कई लोग तो इसके होने पर भी इससे बेखबर रह जाते हैं।
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2. पैरों की उँगलियों की फंगस संक्रामक होती है।
हालांकि पैरों की उँगलियों में लगी फंगस बेहद संक्रामक तो नहीं होती, पर आपको इस बात का ध्यान ज़रूर रखना चाहिए कि कुछ ख़ास परिस्थितियों में वह एक संक्रामक रूप धारण कर सकती है।
इस फंगस से संक्रमित किसी इंसान के आसपास रहने में कोई ख़ास जोखिम नहीं होता। हाँ, उस व्यक्ति के मोज़े, जूते या नेल कटर इस्तेमाल करने पर इसकी चपेट में आने की आपकी संभावना कई गुना बढ़ जाती है।
और तो और, शावर की सतहों और बाथरूम के फर्श पर सूक्ष्मजीव जीवित रह सकते हैं। इसीलिए ख़ासकर पब्लिक शावर जैसी जगहों पर आपको शावर वाले जूते पहनते वक़्त ख़ास सावधानी बरतनी चाहिए।
3. उससे बचाने वाली सेहतमंद आदतों के बारे में जानें।
यह साबित किया जा चुका है कि कुछ स्वस्थ आदतों की मदद से आप फंगस की चपेट में आने के जोखिम को काफ़ी कम कर सकते हैं।
व्यक्तिगत साफ़-सफाई की चीज़ों को साझा न करने के अलावा आपको अपने नाखूनों को साफ़, सूखा और छोटा रखना चाहिए।
नहाने के बाद और अपने मोज़े या जूते पहनने से पहले आपको किसी अच्छे तौलिये से अपने पैरों को सुखा लेना चाहिए।
उसी तरह, आपके मोज़े भी नमी की रिटेंशन को रोकने वाले किसी अच्छे कपड़े से बने होने चाहिए।
साथ ही, अपने इम्यून सिस्टम में मज़बूती लाने के लिए आपको पोषक तत्वों से युक्त एक संतुलित आहार का सेवन भी करना चाहिए।
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4. सभी इलाज कारगर नहीं होते।
इस बात पर विश्वास करना भले ही थोड़ा मुश्किल लगे, पर इन सूक्ष्मजीवों की वजह से होने वाले संक्रमणों को कम कर उन्हें नियंत्रित करने में प्राकृतिक उपाय काफ़ी कारगर साबित हो सकते हैं।
लेकिन वे हमेशा काम नहीं आते। कभी-कभी उन उपायों के बावजूद फंगस न सिर्फ़ अपनी जगह पर बनी रहती है, बल्कि फैलने भी लगती है।
ऐसे में, अपने डॉक्टर से मिलकर टोपिकल व ओरल औषधीय इलाज करवा लेने में ही आपकी भलाई होती है।
ऐसे विकल्पों से अक्सर बेहतर नतीजे तो मिल जाते हैं, पर उसमें कुछ महीनों का वक़्त लग सकता है।
5. अत्यधिक नमी से इसकी चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है।
अपने हाथ-पैरों को काफ़ी बार धोना या अपने नाखूनों को लंबे समय तक पानी के संपर्क में रखना इस तरह के संक्रमण की चपेट में आ जाने के जोखिम को बढ़ा देने वाला एक और कारण होता है।
वह इसलिए कि अत्यधिक नमी से हमारे नाखूनों की रक्षात्मक परत को नुकसान पहुँचता है व हमारे क्यूटीकल्स कमज़ोर हो जाते हैं, जिससे सूक्ष्मजीवों को विकसित होने का एक मौका मिल जाता है।
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6. दिखने में वह एथलीट फुट जैसी होती है।
पैरों की उँगलियों के फंगस से परेशान ज़्यादातर रोगी एथलीट फुट नाम की अवस्था से भी या तो जूझ रहे होते हैं या फिर कभी न कभी जूझ चुके होते हैं।
यह भी एक फंगल संक्रमण ही होता है, जिसमें हमारे पैरों की त्वचा इकट्ठी होने लगती है।
खिलाड़ियों (एथलीट्स) और तैराकों में यह एक आम समस्या होती है, क्योंकि वे दोनों ही फंगस के पनपने लायक माहौल के संपर्क में रहते हैं।
7. नाखूनों की फंगस अन्य बीमारियों की चेतावनी हो सकती है।
नाखूनों की फंगस का अचानक ही उभर आना रक्तसंचार-संबंधी परेशानियों, मधुमेह या एक संवेदनशील इम्यून सिस्टम जैसी स्थायी समस्याओं की तरफ़ इशारा कर सकता है।
सोरायसिस या डर्मेटाइटिस जैसी त्वचा की बीमारियों से जूझ चुके लोगों के लिए तो इसकी चपेट में आ जाने का खतरा और भी ज़्यादा होता है।
नाखूनों की फंगस से परेशान लोगों को इन बातों का ख़ास ध्यान रखना चाहिए।
इस फंगस के बारे में और जान लेने के बाद आपको नियमित रूप से अपने नाखूनों की जांच कर संक्रमण से बचने के लिए उनका ज़्यादा ध्यान रखना चाहिए।
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