6 टाइप के हृदयरोग और उनके लक्षण

इसका शिकार होने वाले मरीजों के लिए हृदय रोग जान का गंभीर खतरा ले कर आता है। इस आर्टिकल में सबसे आम 6 टाइप के हृदयरोग और उनके मुख्य लक्षणों के बारे में बताएंगे जिससे आप सही वक्त पर पहचान सकें।
6 टाइप के हृदयरोग और उनके लक्षण

आखिरी अपडेट: 06 जनवरी, 2021

दिल या आपके ब्लड वेसेल्स को अनेक तरह के हृदयरोग प्रभावित करते हैं। वे बहुत आम हैं और कई देशों में मौत की मुख्य वजह भी हैं।

दुर्भाग्य से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार 2017 में रजिस्टर्ड 30% मौतें कार्डियोवैस्कुलर या हृदय रोगों के कारण हुईं। यह आश्चर्यजनक नहीं है कि हृदय की कार्यप्रणाली में बदलाव लाने वाली कोई भी बीमारी बहुत चिंता का विषय हो सकती है। यहाँ इस लेख में हम इनकी सबसे आम टाइप और उनके मुख्य लक्षणों का जिक्र करेंगे।

1. उच्च रक्तचाप (Hypertension)

हृदय रोग की सबसे आम टाइप में से एक है हाई ब्लडप्रेशर या हाइपरटेंशन। सामान्य स्थितियों में खून ब्लड वेसेल्स की दीवारों पर एक विशिष्ट दबाव डालता है, जिसे ब्लडप्रेशर कहा जाता है।

कई स्थितियों में यह प्रेशर इतना ज्यादा हो सकता है कि शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाने लगे। यह धमनियों में घूम रहे खून की की मात्रा बढ़ने या धमनियों के व्यास में कमी आने से हो सकता है।

यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी के आंकड़ों के अनुसार किसी व्यक्ति में 140 mmHg सिस्टोलिक ब्लडप्रेशर और 90 mmHg डायस्टोलिक ब्लडप्रेशर से ज्यादा का दबाव उच्च रक्तचाप का संकेत होता है। सौभाग्य से इस स्थिति की डायग्नोसिस करनी आसान है और इलाज भी बहुत सुलभ है।

ज्यादा जानने के लिए पढ़ें: हाइपरटेंशन को नियंत्रित रखने के लिए 5 नेचुरल खाद्य पदार्थ

लक्षण

इस स्थिति के कारण कोई विशिष्ट लक्षण नहीं होते। बहुत से लोग इसे जाने बिना भी पीड़ित हो सकते हैं। हालांकि कुछ रोगियों को कई लक्षणों का सामना करना पड़ता है। उनमें सिरदर्द, चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ और नाक से खून आना शामिल हैं।

हालांकि ये सभी लक्षण निर्दिष्ट कोई जानकारी नहीं देते, इसलिए डॉक्टर शायद ही कभी अकेले उन्हें हाइपरटेंशन की पहचान मानते हैं।

कॉरेनरी हृदयरोग

2. कॉरेनरी हृदयरोग (CHD)

कॉरेनरी हृद रोग एक ऐसी स्थिति है जो हृदय में खून भेजने वाली धमनियों पर असर डालता है। कई कारणों से ब्लड वेसेल्स के लुमेन को कम हो जाते हैं जिससे दिल को ऑक्सीजन और खून नहीं मिलता।

धमनी के फैलाव में कमी आने के मुख्य कारणों में एथेरोमेटस पट्टिका (Atheromatous plaque) एक है। ये जमा होने वाले लिपिड या फैट  हैं जो धमनियों की दीवारों पर जमा होते हैं, जो टूट कर धमनी को पूरी तरह ब्लाक कर सकते हैं।

इस बीमारी की सबसे आम जटिलताओं में से एक है मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (myocardial infarction, MI) जिसे हार्ट अटैक या दिल का दौरा भी कहा जाता है। यह तब होता है जब धमनी पूरी तरह से ब्लाक हो जाती है। इसका अर्थ है अपर्याप्त ब्लड सप्लाई। नतीजतन कोशिकाओं में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं होता और वे मिनटों में मर जाती हैं।

लक्षण

कॉरेनरी हृदयरोग का मुख्य लक्षण एनजाइना पेक्टोरिस या सीने में दर्द है। ज्यादातर मामलों में यह तेज फिजिकल एक्टिविटी के बाद उभरता है, छाती के बीचोंबीच होता है, चलने-फिरने में रुकावट डालता है और आमतौर पर कुछ मिनटों के आराम के बाद गायब हो जाता है।

सीने में दर्द के अलावा, कुछ रोगी इन लक्षणों से पीड़ित हो सकते हैं:

  • थकान
  • सांस लेने में कठिनाई
  • पूरे शरीर में कमजोरी
  • सिरदर्द
  • सिर चकराना (Dizziness)

3. हार्ट फेल्योर

दिल की बीमारी के सबसे गंभीर टाइप में से एक हार्ट फेल्योर है। यह एक डायग्नोस्टिक ​​सिंड्रोम है जिसमें हृदय प्रभावी रूप से पंप नहीं कर पाता जिससे हृदय या अपर्याप्त हृदय उत्पादन होता है। दूसरे शब्दों में, कार्डियक आउटपुट अपर्याप्त है।

आमतौर पर जब हार्ट फेल्योर होता है, तो वेंट्रिकल मसल बहुत कमजोर हो जाती है। इसलिए यह सही ढंग से सिकुड़ नहीं पाता। इसकी संरचना या फंशन में कई बदलाव इसका कारण बन सकते हैं। दरअसल यह कुछ हार्ट कंडीशन का अंतिम स्टेज है।

यह बीमारी एक वेंट्रिकल या पूरे हार्ट को प्रभावित कर सकती है। दुर्भाग्य से जब कोई व्यक्ति इस बिंदु पर पहुंच जाता है, तो कोई रास्ता नहीं बचता। हालांकि, वे कुछ दवाएँ लेने और लाइफस्टाइल में बदलाव करके अपनी स्थिति सुधार सकते हैं।

लक्षण

हार्ट फेल्योर के लक्षण प्रभावित हार्ट कैविटी या चेंबर की स्थिति के आधार पर अलग-अलग होते हैं। जब हृदय का दाहिना वेंट्रिकल प्रभावित होता है, तो रोगी सांस से जुड़े लक्षणों से पीड़ित होगा। ये उनमे से कुछ है:

  • सांस लेने में कठिनाई
  • लेटते समय सांस लेने में असमर्थता
  • गुलाबी बलगम वाली खांसी
  • Paroxysmal nocturnal dyspnea (PND)

दूसरी ओर यदि हृदय का बायाँ वेंट्रिकल प्रभावित होता है, तो रोगी को सिस्टेमिक लक्षण भुगतने पड़ेंगे। इनमें निम्नलिखित अहम है:

  • निचले अंगों की सूजन
  • थकान
  • Jugular engorgement
  • जलोदर (Ascites)

4. जन्मजात हृदय रोग (Congenital heart disease)

बच्चों में हृदय की समस्याओं के सबसे आम कारणों में से एक जन्मजात हृदयरोग है। वे संरचनात्मक जन्म दोष हैं जो गर्भावस्था में ही हो जाते हैं, जब बच्चे का दिल बन रहा होता है। इस तरह वे अकेले नहीं बल्कि खामियों का पूरा समूह होते हैं।

दुर्भाग्य से इस गड़बड़ी के लिए एक विशिष्ट कारण निर्दिष्ट करना असंभव है, क्योंकि कई स्थितियां हृदय के गठन को प्रभावित कर सकती हैं। वैज्ञानिक प्रगति की बदौलत इससे पीड़ित बच्चों के अब जीवित रहने की अधिक संभावना होती है। दरअसल उनमें से लगभग सभी वयस्कता तक पहुंचते हैं।

यह लेख आपको दिलचस्प लग सकता है: हार्ट को तंदरुस्त रखने के लिए स्वस्थ भोजन खाएं

लक्षण

जन्मजात हृदयरोग के लक्षण आमतौर पर जन्म के बाद शुरुआती दिनों में दिखाई देते हैं। उनमें से कुछ हैं, तेजी से सांस लेना है, बैंगनी होंठ, फीडिंग में कठिनाई और ग्रोथ से जुडी समस्याएं।

दूसरी ओर जो लोग जन्मजात विकृति के साथ पैदा हुए थे और वयस्कता तक पहुंचते हैं, वे एरिद्मिया (arrhythmia), सांस की तकलीफ, त्वचा की खराबी, थकान और निचले अंगों में सूजन से पीड़ित होते हैं।

5. रयूमेटिक ह्रदय रोग (Rheumatic heart disease)

विभिन्न प्रणालीगत रोग हृदय पर असर डाल सकते हैं। उदाहरण के लिए रयूमेटिक फीवर (Rheumatic fever) या आमवाती बुखार। यह एक तरह का हृदयरोग है जो उस स्टैफिलोकोकस स्ट्रेन (staphylococci) के कारण उभरता है जो कनेक्टिव टिशू पर हमला करता है, जिससे ऑटोइम्यून रिएक्शन होता है।

इस तरह यह मांसपेशियों और हृदय के वाल्व को प्रभावित करता है, जिससे रयूमेटिक ह्रदय रोग के मामलों में बहुत नुकसान होता है। ये नुकसान इतने गंभीर होते हैं कि वे गंभीर हार्ट फेल्योर और यहां तक ​​कि मौत का कारण बन सकते हैं।

लक्षण

इस बीमारी की डायग्नोसिस करना मुश्किल है। इस संबंध में डायग्नोसिस रोगी के लक्षणों और खून में विशिष्ट एंटीबॉडी की मौजूदगी पर आधारित है। यहाँ आमवाती बुखार के मुख्य लक्षण हैं:

  • बुखार जो 101 °F से ज्यादा न हो
  • मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द
  • सामान्य कमज़ोरी
  • उल्टी
  • गठिया

6. कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathies)

कुछ हृदयरोग, जैसे जन्मजात हृदयरोग में सर्जरी की जरूरत होती है।

कार्डियोमायोपैथी ऐसे हृदयरोग हैं जो दिल की मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं। वे इसे बनाने वाली कोशिकाओं के आकार और वितरण को संशोधित करते हैं। इस तरह हृदय में बदाव आ जाता है।

कार्डियोमायोपैथियों की तीन सबसे आम टाइप डायलेटेड, हाइपरट्रॉफिक और प्रतिबंधक हैं। पहले में वेंट्रिकल बढ़े हुए हैं। दूसरे में वेंट्रिकुलर दीवार मोटी हो जाती है। अंत में, प्रतिबंधात्मक कार्डियोमायोपैथी तब होती है जब हृदय की दीवारें (वेंट्रिकल) कनेक्टिव टिशू की घुसपैठ के कारण कठोर होती हैं।

लक्षण

हालांकि वे शुरू में लक्षणहीन हो सकते हैं, अंतिम चरण में कार्डियक आउटपुट कम होगा। इस तरह उभरने वाले लक्षण समान होंगे। इन लक्षणों में से कुछ हैं:

  • फिजिकल एक्टिविटी के बाद सांस की तकलीफ
  • निचले अंगों की सूजन
  • थकान
  • दिल की घबराहट
  • चक्कर आना और बेहोशी

हृदय रोगों की किस्में वक्त के साथ बिगड़ती हैं

आप देख सकते हैं, हृदय संबंधी समस्याओं के मुख्य लक्षण सांस की तकलीफ, एरिद्मिया और निचले अंगों की सूजन हैं। इसलिए जब ये लक्षण उभरते हैं, तो आपके लिए डॉक्टर से मिलना सही होगा, खासकर यदि कोई संभावित कारण उनके लिए जिम्मेदार नहीं है।

दूसरी ओर यदि आप एक या एकाधिक हृदय रोगों से पीड़ित हैं, तो आपको नियमित रूप से अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए। यह याद रखना अहम है कि इनमें से ज्यादातर गड़बड़ियाँ डिजेनेरेटिव और क्रोनिक हैं। इस तरह आपकी स्थिति समय के साथ खराब हो सकती है।



  • American Heart Association. What is Cardiovascular Disease? [Internet]. www.heart.org. 2017. Available from: https://www.heart.org/en/health-topics/consumer-healthcare/what-is-cardiovascular-disease.
  • Mesa, Isis Laura Vázquez, et al. “Caracterización de la epistaxis.” Revista Cubana de Otorrinolaringología y Cirugía de Cabeza y Cuello 3.2 (2019).
  • Valentín Rodríguez, Aymara. “Cardiopatías congénitas en edad pediátrica, aspectos clínicos y epidemiológicos.” Revista Médica Electrónica 40.4 (2018): 1083-1099.
  • Castro, Sofía Teresa Valdez, Antonella Fanny Montenegro Villavicencio, and Lucía Andrea Jiménez Rivera. “Cardiopatía reumática diagnóstico y tratamiento.” RECIAMUC 3.4 (2019): 41-55.
  • Ciapponi, Agustín, et al. “Carga de enfermedad de la insuficiencia cardiaca en América Latina: revisión sistemática y metanálisis.” Revista Española de Cardiología 69.11 (2016): 1051-1060.
  • Williams B, Mancia G, Spiering W, Rosei E, Azizi M, Burnier M et al. Guía ESC/ESH 2018 sobre el diagnóstico y tratamiento de la hipertensión arterial. Revista Española de Cardiología. 2019;72(2):1-78.
  • Martínez-Paz, E., Gonzalo Barge-Caballero, and María Generosa Crespo-Leiro. “Protocolo diagnóstico de las miocardiopatías genéticas.” Medicine-Programa de Formación Médica Continuada Acreditado 12.43 (2017): 2585-2588.
  • Chen M. Coronary heart disease [Internet]. MedlinePlus Medical Encyclopedia. 2020. Available from: https://medlineplus.gov/ency/article/007115.htm.
  • Sionis A, Sionis Green A, Manito Lorite N, Bueno H, Coca Payeras A, Díaz Molina B et al. Comentarios a la guía ESC 2016 sobre el diagnóstico y tratamiento de la insuficiencia cardíaca aguda y crónica. Revista Española de Cardiología. 2016;69(12):1119-1125.
  • Personal de Mayo Clinic. Enfermedad cardíaca congénita en adultos [Internet]. Mayo Clinic. 2018. Available from: https://www.mayoclinic.org/es-es/diseases-conditions/adult-congenital-heart-disease/symptoms-causes/syc-20355456.
  • Cáceres G, Aceval S, Campos G, Ponce L, Echavarría M. Fiebre Reumática. Revista de Posgrado de la VIa Cátedra de Medicina. 2009;194:14-20.
  • Coll Muñoz, Yanier, Francisco Valladares Carvajal, and Claudio González Rodríguez. “Infarto agudo de miocardio. Actualización de la Guía de Práctica Clínica.” Revista Finlay 6.2 (2016): 170-190.
  • Suboc T. Introducción a la miocardiopatía – Trastornos del corazón y los vasos sanguíneos [Internet]. Manual MSD versión para público general. 2019. Available from: https://www.msdmanuals.com/es-ve/hogar/trastornos-del-coraz%C3%B3n-y-los-vasos-sangu%C3%ADneos/miocardiopat%C3%ADa/introducci%C3%B3n-a-la-miocardiopat%C3%ADa.
  • CURTO, SERGIO, Omar Prats, and MARIO ZELARAYAN. “Mortalidad por enfermedades cardiovasculares: Uruguay, 2009.” Revista Uruguaya de Cardiología 26.3 (2011): 189-196.

यह पाठ केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान किया जाता है और किसी पेशेवर के साथ परामर्श की जगह नहीं लेता है। संदेह होने पर, अपने विशेषज्ञ से परामर्श करें।