5 तरह के दुर्लभ कैंसर
आपने ब्रैस्ट कैंसर, कोलन कैंसर या फिर ओवेरियन कैंसर के बारे में तो सुना ही होगा। हो सकता है, इन अलग-अलग किस्म के कैंसर के कुछ आंकड़ों से भी आप परिचित हों। लेकिन इनके अलावा भी कई ऐसे दुर्लभ कैंसर हैं, जिन्हें आपको नज़रंदाज़ नहीं करना चाहिए।
इनके दुर्लभ होने की वजह से शायद आपने इनके बारे में ज़्यादा न सुना हो। इनका शिकार होने की संभावना भी न्यूनतम ही होती है। फिर भी आज 71 प्रकार के ज्ञात कैंसरों में से केवल 11 के बारे में ही ज़्यादातर लोगों को जानकारी है।
हम तो यही चाहेंगे कि काश आपको किसी भी कैंसर के बारे में जानने की ज़रूरत ही न पड़े। लेकिन अक्सर जानकारी हमारे हाथों में बचाव और वक्त रहते कार्रवाई करने का अस्त्र बन जाती है। इसलिए जानकारी और एहतियात के नज़रिये से कुछ दुर्लभ कैंसर के बारे में थोड़ा जान लेने में कोई हर्ज़ नहीं है।
1. दुर्लभ कैंसर: पैर का कैंसर
आमतौर पर यही माना जाता है,पैर का “कैंसर” से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं होता। लेकिन ऐसा नहीं है, इनमें एक संबंध हो सकता है। आपके पैर में उत्पन्न होने वाले ट्यूमर अक्सर अज्ञात रहते हैं, और इसी वजह से वे इतने खतरनाक होते हैं।
इनमें से किसी भी चेतावनी के संकेत की अनुभूति होने पर जल्द से जल्द अपने डॉक्टर से मिलें:
- अजीबोगरीब सनसनी का महसूस होना
- गाँठ बनना
- बेढंगी चाल होना
कोई पोडियाट्रिस्ट (पदचिकित्सक) इस तरह के कैंसर की डायग्नोसिस कर इनमें से किसी कैंसर का पता लगा सकता है:
- हड्डियों का कैंसर
- नसों का कैंसर
- त्वचा का कैंसर
- वैस्कुलर कैंसर
पैर के आसपास होने वाले कैंसर में सबसे आम स्किन कैंसर होता है। अगर आप सैंडल पहनते हैं या फिर आपके पाँव अक्सर सूरज की रोशनी के संपर्क में रहते हैं तो आपको हमेशा सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।
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2. वैजाइनल कैंसर
दुर्लभ कैंसर की सूची में सिर्फ़ और सिर्फ़ 1% महिलाओं को प्रभावित करने वाला वैजाइनल कैंसर (योनि का कैंसर) दूसरे नंबर पर आता है।
अपने मेनोपॉज में पहुँच चुकी महिलाओं को वैजाइनल कैंसर होने की अधिक संभावना होती है। ह्यूमन पैपिलोमावायरस जैसे यौन रोगों से ग्रस्त रह चुकी महिलाओं को तो और भी सतर्क रहना चाहिए।
अच्छी बात यह है कि इन छोटे-छोटे ट्यूमरों को सर्जरी के माध्यम से आसानी से हटाया जा सकता है। किसी स्त्रीरोग विशेषज्ञ को सालाना दिखाकर आप इस कैंसर से बचे रह सकती हैं।
3. लार ग्रंथि का कैंसर (Cancer of the salivary gland)
आपकी लार ग्रंथि द्वारा बनाए जाने वाले एन्ज़ाइम भोजन को ठीक से पचाने व संक्रमण से आपको बचाए रखने के लिए आवश्यक होते हैं। इस तीसरे दुर्लभ कैंसर से आपके शरीर पर सीधा असर पड़ता है। हाँ, 100,000 लोगों में से सिर्फ़ एक ही इंसान इसकी चपेट में आता है।
लार ग्रंथि के कैंसर के ये लक्षण होते हैं:
- कान में गाँठ बनना
- गालों में गाँठ बनना
- मुंह के अंदर और आसपास गांठें बनना
हालांकि इस कैंसर के इलाज के लिए रेडिएशन थेरेपी और सर्जरी की ज़रूरत होती है और सही समय पर इसका पता लग जाने पर ठीक हो जाने की 90% संभावना होती है।
अन्य तरह के कैंसर के विपरीत, इस कैंसर का शराब या तंबाकू के सेवन से कोई सीधा संबंध नहीं होता। हाँ, इतना हम निश्चित तौर पर कह सकते हैं कि इसके पीछे जेनेटिक कारणों का बहुत बड़ा हाथ होता है।
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4. कॉर्डोमा (Chordoma)
कॉर्डोमा वह चौथा कैंसर है, जिसके बारे में आज हम आपको बताना चाहते हैं। हड्डियों, विशेषतः रीढ़ की हड्डी में होने वाला यह कैंसर हर दस लाख लोगों में से किसी एक को ही होता है।
डॉक्टरों ने पाया है कि कोख में भ्रूण के अनुचित रूप से विकसित होने के दौरान कार्टिलेज के छोटे-छोटे अवशेषों से कॉर्डोमा निकल आते हैं।
एक दुर्लभ कैंसर होने की वजह से इसका अध्ययन कर इसको समझना थोड़ा मुश्किल है। कॉर्डोमा आनुवंशिक कारणों से या किसी और चीज़ से प्रभावित होता है या नहीं, इस पर डॉक्टरों में कोई आम सहमति नहीं है।
यह ज़रूर पता है कि अपनी संवेदनशील जगह की वजह से कॉर्डोमा धीरे-धीरे पर बहुत ही आक्रामक और दर्दनाक रूप से विकसित होते हैं।
कॉर्डोमा से जुड़े लक्षणों में से कुछ हैं:
- सिरदर्द
- गर्दन का दर्द
- दोहरी दृष्टि
- आँतों या मूत्राशय का काम न करना
- हाथ-पैरों में सिहरन का एहसास
अक्सर देखने में आता है कि कॉर्डोमा के इलाज में रेडिएशन, कीमोथेरेपी, और दवाइयां धरी की धरी रह जाती हैं। इसलिए विकल्प सर्जरी का बचता है, जो ट्यूमर की जगह और आकार की वजह से संभव नहीं हो पाता।
यह स्थिति इसलिए भी जटिल होती है कि कॉर्डोमा को पूरी तरह से हटा पाना बहुत मुश्किल होता है। इसके दोबारा होने की बड़ी संभावना हमेशा बनी रहती है।
5. मेसेन्काइमल कॉन्ड्रोसार्कोमा (Mesenchymal Chondrosarcoma)
दुर्लभ कैंसरों की इस सूची में आखिरी नंबर पर आता है किसी कार्टिलेज टिशू में होने वाला मेसेन्काइमल कॉन्ड्रोसार्कोमा। यह कैंसर इतना दुर्लभ है कि सन् 1959 से इसके सिर्फ़ 1,000 मामलों की ही पुष्टि की जा सकी है। इसे खुशखबरी के रूप में भी ले सकते हैं।
यह बेहद आक्रामक कैंसर है और बहुत आसानी से शरीर के बाकी अंगों में स्थानांतरित हो जाता है। ज्ञात मामलों में से निम्नलिखित प्रमाण दिए गए हैं:
- दो-तिहाई मामलों में इस कैंसर की शुरुआत रीढ़ की हड्डी, पसलियों और जबड़े में हुई थी।
- बाकी के एक-तिहाई मामलों की जड़ वसा और मांसपेशियों के टिशूओं में थी।
लेकिन चूंकि मेसेन्काइमल कॉन्ड्रोसार्कोमा शरीर के किसी भी अंग में उत्पन्न हो सकता है, इसका निदान कर इसके लक्षणों की जांच करना मुश्किल होता है।
इसका सबसे अच्छा समाधान है, अपनी सेहत का ध्यान रखना, जिसके तहत आपको अपने डॉटर से साल दर साल अपना चेकअप करवाते रहना चाहिए।
आपकी रीढ़ की हड्डी के पास इस कैंसर के होने से आपकी संवेदन शक्ति ख़त्म हो सकती है या फिर आपको लकवे जैसी गंभीर समस्या हो सकती है। इसका सबसे कारगर इलाज सर्जरी व कीमोथेरेपी होते हैं।
इन दुर्लभ कैंसर के बारे में जानने का महत्त्व
ज़ाहिर सी बात है कि इन कैंसर के बारे में इतने कम लोग इसलिए जानते हैं कि ये बहुत दुर्लभ होते हैं। लेकिन इनके लक्षणों के प्रति सजग रहना ज़रूरी होता है। ध्यान रखें, ये बीमारियाँ इतनी खतरनाक इसलिए हैं कि इनका पता बहुत देर से लगता है।
अपने स्वास्थ्य में कोई गड़बड़ महसूस होने पर डॉक्टर से मिलें। हाँ, आपको वहम से तो बचना चाहिए पर चेतावनी के संकेतों को भी कभी अनदेखा नहीं करना चाहिए।
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