12 साल की लड़की ने बनाया ऐप, अल्ज़ाइमर पीड़ित दादी से बात करने के लिए

इस 12 साल की लड़की द्वारा बनाई गई ऐप की बदौलत कोई अल्ज़ाइमर पीड़ित मरीज मोबाइल टेक्नोलॉजी की मदद से अपने परिवारिक रिश्तों सहित दूसरी कई चीज़ें याद रख सकता है।
12 साल की लड़की ने बनाया ऐप, अल्ज़ाइमर पीड़ित दादी से बात करने के लिए

आखिरी अपडेट: 15 जनवरी, 2019

एमा यंग ख़ास हैं। 12 साल की उम्र में ही वह बहुत नाज़ुक वास्तविकता के बीच रह रही है। यह वास्तविकता अब लाखों लोगों के लिए अपरिचित नहीं रही है। यह वास्तविकता है अल्ज़ाइमर।

करीब 5 साल पहले एमा की दादी में अल्ज़ाइमर रोग की पहचान की गयी थी। वह इस समय हॉन्गकॉन्ग रहती हैं। जब भी एमा अपनी दादी से कहीं दूर से मिलने आई या जब कभी व्यक्तिगत रूप से मुलाक़ात किया, उसने महसूस किया कि दादी बहुत सी ज़रूरी बातें धीरे-धीरे भूलने लगी हैं।

वे अपनी उम्र भूलने लगी हैं, और कभी-कभी यह नहीं समझ पातीं कि वह डिनर के लिये क्यों नहीं आ पायीं या वह इतना दूर क्यों रहती है। बाद में इस छोटी बच्ची के साथ जो सबसे दर्दनाक हुआ वह यह कि दादी उसे कोई दूर का रिश्तेदार समझने लगीं।

इस तरह जिंदगी जीना आसान नहीं है। अल्ज़ाइमर के रोगी के करीब रहना बहुत ही मुश्किल, भावनात्मक चुनौती भरा एहसास होता है।

पीड़ित लोगों, उनके परिवार वालों और खासकर जिस ग्रुप का जिक्र नहीं होता, उन बच्चों के लिए यह कठोर तकलीफ़देह स्थिति होती है।

एमा की कहानी एक ख़ास पहलू की वजह से तारीफ़ के काबिल है। इसमें ऐसा कुछ है जो ना केवल एमा की दादी, बल्कि अलज़ाइमर के बहुत से रोगियों की मदद करेगा।

आइए जानते हैं, वह क्या है।

टाइमलेस”: अल्ज़ाइमर पीड़ित रोगियों के लिए एक मोबाइल ऐप

एमा यंग को सबसे बड़ा खौफ़ यह था कि उसकी दादी अब उसको कभी नहीं पहचान पाएंगी। कुछ दिन बाद उसकी प्यारी दादी का दिमाग काम करना बंद कर देगा।

  • अभी या बाद में, यह तो होगा। फिर ऐसा भी क्षण आएगा जब उनकी स्पष्ट याददाश्त छोटे-छोटे आविष्कार बनकर आयेगी और उन्हें इस दुनिया और परिवार से जोड़ेगी। फिर भी, ऐसा कभी-कभार ही होगा।
  • इसके बावजूद यह याद रखना ज़रूरी है कि अल्ज़ाइमर के रोगी कुछ ठोस चीजों के लिए बहुत ही पॉजिटिव रिएक्शन देते हैं: वे हैं प्यार, स्नेह और देखभाल के व्यवहार।
  • साफ तौर पर एक 12 साल की लड़की के लिए यह काफ़ी नहीं है। उसने इनकार कर दिया, अपनी दादी को हमेशा के लिए खोने, उनकी याददाश्त से अपनी प्यारी पोती की छाप मिट जाने देने और उस ख़ास गहरे रिश्ते के टूटने देने से जो उन दोनों के बीच था।

भूलने की इस बीमारी के बढ़ते हुए असर से मुकाबला करने के लिए एमा ने “टाइमलेस” (Timeless) नाम का एक ऐप बनाया जो सभी ज़रूरी बातों को भूलने से बचाता है।

यह आपकी जिंदगी की सबसे खूबसूरत और अर्थपूर्ण बातों को “शास्वत” बना देगा।

एमा यंग

अल्ज़ाइमर रोगियों के लिए एक ऐप (An app for patients with Alzheimer’s)

एमा यंग ने अल्जाइमर रोग की स्पेशलिस्ट डॉ. मेलिसा क्रेम्प्स के साथ मिलकर एक मोबाइल ऐप बनाया जिसके दो बहुत खास मकसद हैं।

  • इसका पहला फंक्शन “अपडेट” कहलाता है, और इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि अल्जाइमर के रोगी हमेशा अपने परिवार और रिश्तेदारों से जुड़े रहें।
  • अल्जाइमर रोगियों के बच्चे, पोते-पोतियां, दोस्त और दूसरे करीबी लोग उनके साथ फोटो और मेसेज के जरिए बातचीत कर सकते हैं। यह ऐप अल्ज़ाइमर के रोगियों को हमेशा यह याद दिलाता रहेगा कि वे किसके साथ बात कर रहे हैं और उनके साथ उनका क्या रिश्ता है।
  • इसका दूसरा फंक्शन “आइडेंटिफाई” कहलाता है। इसमें रोगी अपनी फैमिली ट्री को देख पायेगा, उनसे जुड़ी बातें, फोटो, जानकारियां और दूसरे यादगार पलों को किसी भी समय याद कर सकता है।
  • फ़ोन में लगे कैमरा का शुक्रिया, जिसकी बदौलत किसी आदमी की पहचान करने के लिए उन्हें बस कैमरे को उस खास इंसान की तरफ पॉइंट करने की जरूरत है।

दूसरी जानकारियां जो इस्तेमाल करने में उपयोगी और मजेदार दोनों हैं, वे हैं समय और कैलेंडर। अल्जाइमर के रोगी द्वारा परिवार के किसी भी सदस्य को दो से ज्यादा बार फोन करने की कोशिश करने पर हर बार एक चेतावनी मिलेगी ( उन्हें याद दिलाया जाएगा कि वे पहले ही बात कर चुके हैं)।

यह रोगियों को आने वाली तारीखों को याद रखने और खास त्यौहारों जैसे ईस्टर और क्रिस्मस के बारे में जानकारी दिलाने में भी कारगर है।

3-मोबाइल ऐप

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इस मोबाइल ऐप को बनाने में एमा यंग को कुछ जरूरी मदद भी मिली थी। डॉ. क्रेम्प्स की मदद के अलावा, उसे स्कॉलरशिप के जरिए इस प्रोजेक्ट के लिए पैसे भी मिले थे।

  • एमा के माता-पिता कंप्यूटर के जानकार हैं और ऐसी कंपनी के लिए काम करते हैं जो फेस रिकग्निशन टेक्नोलॉजी बनाने में दक्ष है।
  • टेक्नोलॉजी के लिए जुनून उसे परिवार से मिला है। महज 8 साल की उम्र में वह HTML और CSS वेब डेवेलपमेंट, जावा की बारीकियों और MIT ऐप में माहिर हो चुकी थी।
  • उसका प्रोफेशनल करियर बस अभी शुरू हुआ है। लेकिन एमा का बस एक ही मकसद है: अल्जाइमर के रोगियों की यादों को मिटने से बचाने में मदद करने के लिए टेक्नोलॉजी और वर्चुअल रियलिटी का इस्तेमाल करना।
  • हो सकता है, भविष्य में इस लक्ष्य को हासिल करने में इन तरीकों साथ दूसरी चीजों को भी जोड़ा जाए। फिलहाल अभी के लिए, यह ऐप केवल उन रोगियों के लिए फायदेमंद है जो अभी भी मोबाइल का इस्तेमाल करने के काबिल हैं।

यह ऐप दिमागी क्षमताओं में होने वाली कमी को धीमा करने का एक जरिया है। लेकिन एक बार अल्ज़ाइमर पीड़ित रोगियों की हालत बिगड़ जाने पर, उन्हें रोज़ उनके परिवार और प्रोफेशनल डॉक्टर से मदद की जरूरत होती है।



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