हेपेटाइटिस की 5 टाइप और उनके लक्षण
आज हम आपसे पांच तरह की हेपेटाइटिस के बारे में बात करने जा रहे हैं जो वायरस के कारण होते हैं। हालांकि हर एक की अपनी विशेषताएं हैं जो इसे बाकियों से अलग करती हैं।
परिभाषा के अनुसार हेपेटाइटिस लिवर की सूजन है। हालाँकि हमेशा कोई एक ही समस्या इसका कारण नहीं होती है। यह अंग गाल ब्लैडर की ओवर ऐक्टिविटी के कारण सूज सकता है, गरिष्ठ भोजन के बाद भी यहाँ तक कि गंभीर वायरल इन्फेक्शन से भी।
यहाँ हम जरा करीब से देखेंगे।
हेपेटाइटिस की 5 टाइप
वायरल हेपेटाइटिस हेपेटाइटिस वायरस की पांच किस्मों के कारण हो सकता है। इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन के अनुसार हर वायरस का नामकरण अल्फाबेट के अक्षरों के नाम पर रखा गया है: A, B, C, D और E।
नीचे यह जानिये है कि इनमें से किसी भी वायरस से संक्रमित होने पर क्ताया होता है।
हेपेटाइटिस की टाइप : हेपेटाइटिस A
वायरल इन्फेक्शन के इस ग्रुप में हेपेटाइटिस A सबसे हल्का होता है। यह फेकल-ओरल मार्ग (fecal-oral route) के जरिये फैलता है। दूसरे शब्दों में संक्रमित व्यक्ति अपने मल के रास्ते इसे बाहर निकालता है, भोजन या पानी को दूषित करता है और उन्हें खाकर या पीकर दूसरा व्यक्ति वायरस का नया मेजबान बन जाता है।
हेपेटाइटिस A रोगी लिवर की इसमें भागीदारी के साथ गैस्ट्रोइंटराइटिस सिम्पटम (आंत्रशोथ के लक्षणों) से पीड़ित होता है। इस तरह बुखार, पेट में दर्द, दस्त और उल्टी होती है।
लीवर में सूजन होने के कारण पित्त रुक जाता है और फैल नहीं पाता। नतीजतन त्वचा पीली (पीलिया) हो जाती है। क्योंकि बिलीरुबिन (bilirubin) त्वचा और म्यूकस मेम्ब्रेन को प्रभावित करता है, इसलिए आंखों की सफेदी भी पीली हो जाती है। अतिरिक्त बिलीरुबिन मूत्र के माध्यम से बाहर निकलता ही जो ज्यादा गहरा दिखता है।
सामान्य लक्षण लगभग 15 दिनों तक रहते हैं। हालाँकि यह बीमारी एक महीने या उससे ज्यादा दिनों तक रह सकती है, जो कि बहुत आम नहीं है। मरीज बिना किसी बड़ी समस्या के ठीक हो जाते हैं और अगर डिहाइड्रेशन न हो तो वे किसी भी स्थायी प्रभाव से पीड़ित नहीं होते हैं।
सबसे खतरनाक लक्षण द्रव का नुकसान है, खासकर छोटे बच्चों में। यह तेजी से फैलता है, इसलिए अत्यंत सावधानी बरती जानी चाहिए, खासकर अगर इसका प्रकोप बंद आबादी या स्कूल में हो।
हेपेटाइटिस A से डायरिया, पेट दर्द और बुखार जैसे लक्षण होते हैं।
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हेपेटाइटिस B
हेपेटाइटिस बी सबसे प्रसिद्ध टाइप है और दुनिया भर में लोगों को प्रभावित करता है। यह शरीर के तरल पदार्थ जैसे खून और वीर्य के माध्यम से फैलता है, इसलिए एक्सपर्ट इसे यौन संचारित रोग मानते हैं।
हेपेटाइटिस B के लॉन्ग टर्म नतीजे होते हैं। कई मरीज क्रॉनिक फॉर्म जैसे सिरोसिस या लिवर कैंसर की ओर बढ़ते हैं। हालांकि इसकी प्रगति को रोकना मुश्किल है, अधिक से अधिक बायोलोजिकल दवाएं मरीज के जीवित रहने की दर में सुधार कर सकती हैं।
टीकाकरण और शिक्षा इसकी रोकथाम के दो आधार हैं। कई विकसित टीके हैं, जिन्हें दुनिया के कई देशों ने अपने ऑफिसियल वैक्सिनेशन प्रोग्राम में शामिल किया है। इसकी प्रभावशीलता हर मामले में सिफारिश की गयी डोज पर निर्भर करती है।
दूसरी ओर यौन विषयों पर ज्यादा जोर देना और रोकथाम की शिक्षा प्रमुख है। संबंधों में कंडोम का उपयोग और बेसिक प्रोटेक्टिव उपाय इस बीमारी के प्रसार को कम करने में अहम हैं।
इसी तरह ड्रग्स का सेवन करने वालों के बीच कॉमन सीरिंज से भी इसका रिस्क बढ़ता है।
हेपेटाइटस C
एक्सपर्ट का मानना है कि हेपेटाइटिस C का कोई एक्यूट फॉर्म नहीं है। दूसरे शब्दों में, जो रोगी संक्रमित होते हैं वे क्रोनिक रूप से तुरंत पीड़ित हो जाते हैं और कभी नहीं जान सकते हैं कि वे तब तक संक्रमित हो जाते हैं जब तक कि कोई टेस्ट इसका पता नहीं लगा लेता।
इसका आम ट्रांसमिशन खून के जरिये, नॉन स्पेसलाइज जगहों पर किए गए ट्रांसफ्यूजन, और इंट्रावीनस ड्रग लेने वालों में सिरिंज से होता है। हेपेटाइटिस B के विपरीत इस मामले में सेक्ल्सुअल ट्रांसमिशन न्यूनतम होता है।
इन रोगियों के लिए इलाज के विकल्प जटिल हैं। सबसे पहले, सिफारिश की जाने वाली एंटीवायरल दवाएं बहुत महंगी हैं। कोई भी उन सभी खुराक का खर्च नहीं उठा सकता इसलिए सरकारी सहायता जरूरी होता है।
दूसरे, यदि हेपेटाइटिस C की प्रगति होती जाती है और दवाएं काम नहीं करती, तो रोगी को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत होगी। यह उन लोगों में होता है जो क्रोनिक संक्रमण के कारण सिरोसिस (cirrhosis) या लिवर कैंसर का विकास करते हैं। हालांकि, सभी रोगी इस प्रक्रिया से नहीं गुजर सकते हैं।
हेपेटाइटिस की टाइप : हेपेटाइटिस D
हेपेटाइटिस डेल्टा वायरस (HDV), जो एक सेटेलाईट (एक प्रकार का सबवायरल एजेंट) है, इस बीमारी का कारण बनता है। इस तरह फैलने के लिए रोगी या मेजबान को हेपेटाइटिस B (HBV) वायरस से संक्रमित होना पड़ता है।
इसका ट्रांसमिशन खून या यौन संसर्ग के जरिये हो सकता है। संक्रमित मां के बच्चे को गर्भ में बी ही यह हो सकता है। सौभाग्य से हेपेटाइटिस B का टीका डेल्टा पार्टिकल को रोकने में असरदार है।
एक्सपर्ट इस डेल्टा एजेंट के बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं। कुछ मामलों में हेपेटाइटिस B के लक्षण दूसरी बीमारियों की मौजूदगी के कारण बिगड़ जाते हैं, जबकि दूसरे मामलों में इस पर ध्यान नहीं जाता।
हेपेटाइटिस D विकसित करने के लिए होस्ट को पहले हेपेटाइटिस B वायरस से संक्रमित होना चाहिए।
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हेपेटाइटिस E
हेपेटाइटिस A की तरह यह वायरल पार्टिकल फेकल-ओरल रूट का अनुसरण करता है और भोजन और पानी से फैलता है। इसकी डायग्नोस्टिक पिक्चर भी गैस्ट्रोएन्टराइटिस के समान है जो बाहरी हस्तक्षेप के बिना चले जाते हैं।
गर्भवती महिलाओं में इसका गंभीर डायग्नोस्टिक पिक्चर देखा गया है, जिनमें कई बार यह आक्रामक रूप से लिवर फेल्योर की ओर ले जाता है। लिवर ठीक से काम नहीं कर सकता है और माता और भ्रूण दोनों को खतरे में डालने वाली जटिलताएँ पैदा होती हैं, जैसे कि टिशू में थक्के और द्रव के निर्माण में असमर्थता है।
हर हेपेटाइटिस के लिए इलाज की जरूरत होती है और उन्हें रोका जा सकता है
हालांकि सभी प्रकार के हेपेटाइटिस को रोका जा सकता है। बेसिक हाइजीन और देखभाल के उपाय इसके संक्रमण के जोखिम को कम कर सकते हैं।
एक्सपर्ट वायरल हेपेटाइटिस को साइलेंट महामारी मानते हैं जो चुपचाप फैलती रहती है, और कई मरीज़ उनसे अनजान होते हैं। इस प्रकार, लोगों को उनके बारे में जानना और छूत की संभावना को कम करने के लिए टीका लगवाना महत्वपूर्ण है।
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