कोरोनावायरस जैसे मामलों में क्क्वैरेंटाइन करना ज़रूरी क्यों है?
अब तक कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए क्क्वैरेंटाइन करना या होना ही सबसे असरदार तरीका है। इस बीमारी के इलाज के लिए अभी कोई विशिष्ट दवा नहीं हैं और न ही कोई वैक्सीन है। इसके बावजूद एहतियात बरतना और रोकथाम के कई उपाय इसके खिलाफ असरदार साबित हो रहे हैं। इन कारणों से क्क्वैरेंटाइन होना खुद को खतरे में डालने से रोकने का सबसे अच्छा उपाय है।
कम से कम अभी तक जो बात कोरोनावायरस (COVID-19) को सबसे जोखिम भरा बनाती है, वह यह कि इस वायरस के बारे में एक्सपर्ट्स के पास पर्याप्त जानकारी नहीं है। यह नया है, इसलिए वे नहीं जानते कि यह कैसे व्यवहार कर सकता है। दरअसल इस बारे में पर्याप्त डेटा नहीं है कि यह कैसे फैलता है। ऐसे में क्वेरेंटाइन ही आदर्श उपाय है।
विशेषज्ञों ने यह पाया है कि COVID-19 अत्यधिक संक्रामक है। यही कारण है कि चीन, कोरिया और इटली में इसका तेजी से फैलाव हुआ। इसमें होने वाली मृत्यु दर का खाका भी बहुत स्पष्ट नहीं है, क्योंकि यह चीन में 2 और 4% के बीच है।
आइसोलेशन
यहाँ साफ़ कर देना चाहिए कि आइसोलेशन क्वारंटाइन की तरह नहीं है। आइसोलेशन एक अनिवार्य उपाय है जो तब अपनाना पड़ता है जब किसी व्यक्ति में कोरोनावायरस के संक्रमण की डायग्नोसिस हुई हो। ऐसे में उन्हें तुरंत दूसरे इंसानों के साथ किसी भी सीधे संपर्क से बचना चाहिए।
कोरोनावायरस के संक्रमण वाला व्यक्ति तीन से छह हफ़्ते के भीतर इस रोग के लक्षण महसूस करेगा। इस दौरान उन्हें अपने आसपास के लोगों से पूरी तरह से अलग होना चाहिए। अगर संक्रमित व्यक्ति दूसरे लोगों के साथ रहता है, तो बीमारी के गुजरने तक उन्हें दूसरे लोगों के साथ नहीं रहना चाहिए।
अगर यह संभव न हो, तो बीमार व्यक्ति को एक कमरे में अलग करना उचित होगा और उनसे कोई संपर्क नहीं रहना चाहिए। उनके पास अपना बाथरूम होना चाहिए और प्लेट, कटलरी, बिस्तर या किसी बर्तन को शेयर करने से बचना चाहिए। उनके आसपास के लोगों को विशेष सर्जिकल मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए। गंभीर मामलों में रोगी को एम्बुलेंस में अस्पताल में ट्रांसफर किया जाना चाहिए किसी दूसरे ट्रांसपोर्ट से नहीं।
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हैंड सैनिटाइज़र और एक फेस मास्क का उपयोग उन रोगियों में आइसोलेशन उपायों को पूरक करता है जो संक्रमित हो सकते हैं।
कोरोनावायरस क्वेरेंटाइन
क्वैरेंटाइन एक ऐसा उपाय है जो उन लोगों पर लागू होता है जिन्हें यह बीमारी नहीं है लेकिन जो किसी ऐसे व्यक्ति के संपर्क में आए हैं जिन्हें यह हुआ है या हो सकता है। यह उन लोगों पर लागू होता है, जिन्होंने उन स्थानों पर यात्रा की है जहाँ कोरोनोवायरस के प्रकोप फैले हैं।
किसी व्यक्ति के लिए यह ज़रूरी नहीं है कि उसके लक्षण होने पर उसे क्वैरेंटाइन में जाना पड़े। किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में होने का केवल संदेह ही क्वैरेंटाइन में जाने के लिए पर्याप्त है क्योंकि वायरस का इन्क्यूबेशन पीरियड अलग-अलग हो सकता हैं और हमेशा इसके लक्षण नहीं दीखते।
इन मामलों में इसे गंभीरता से नहीं लेना बहुत खतरनाक है। सबसे बड़ा जोखिम वे हैं जो Covid -19 के संपर्क में हैं और एहतियाती उपाय नहीं करते। उनमें वायरस हो सकता है और इसे उन लोगों में फैला सकते हैं जो अत्यधिक कमजोर हैं। इससे उनका जीवन खतरे में पड़ सकता है।
जिन लोगों ने वायरस के ट्रांसमिशन वाले इलाकों में ट्रेवल किया है उन्हें सेल्फ-क्वैरेंटाइन में जाना चाहिए।
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क्वेरेंटाइन कैसे करें
शब्द “क्वैरेंटाइन ” का उपयोग सामान्य रूप से किया जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह हमेशा 40 दिनों तक रहता है। कोरोनावायरस के मामले में अगर आपको संदेह है कि आप संक्रमित लोगों के संपर्क में आए हैं तो आपको खुद को दो हफ़्ते या 14 दिनों के लिए स्वयं को अलग करना ठीक होगा।
इस दौरान ज्यादातर मामले सामने आते हैं। हालांकि कभी-कभी लक्षण पहले कुछ घंटों के भीतर ही उभरते हैं और कभी दो सप्ताह के बाद भी उभरते हैं, हालांकि ये कम मामलों में ही होता। इस तरह 14 दिन एक ऐसी अवधि है जो संक्रमण के न्यूनतम जोखिम को सुनिश्चित करती है।
याद रखें, संक्रमित व्यक्ति से एक से तीन फीट के भीतर होना भी संक्रमण का कारण बन सकता है। इस तरह आपको चीन या इटली नहीं जाना है, बस उन लोगों के संपर्क में आना पर्याप्त है जो वहां गए थे या जिनमें बीमारी के लक्षण हैं।
नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में 100 से अधिक देशों में 200,000 से अधिक मामले सामने आये हैं। अब तक इस बीमारी से लगभग 8000 लोग मारे जा चुके हैं। इसके फैलने की क्षमता बहुत ज्यादा है।
इस मामले में सबसे अहम और उम्मीद भरी जो बात है, वह यह कि इससे बचने के एहतियात हमारे हाथ में हैं, और उन्हें अपनाने पर हम इस महामारी को रोक सकते हैं। इस मामले में चीन में कोरोनावायरस के मामले में भारी गिरावट आना दुनिया के लिए बहुत बड़ी उम्मीद पैदा करती है।
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