प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स के बीच क्या फर्क है?

प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स के बीच फर्क यह है कि उनकी कॉम्प्लिमेंटरी एक्शन में फर्क है। इस आर्टिकल में जानें कि उनमें से प्रत्येक क्या है और उनके फ़ूड सोर्स क्या हैं।
प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स के बीच क्या फर्क है?

आखिरी अपडेट: 18 अप्रैल, 2020

वैस तो दोनों ही सेहत के लिए फायदेमंद हैं, पर प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स के बीच का फर्क मूल रूप से उनके एक्शन में है और वे जहाँ मिलते हैं।

लाखों माइक्रोब हमारी सेल्स में रहते हैं: ये हैं माइक्रोबायोटा। इनमें से एक बड़ा हिस्सा आँतों में रहता है और आंतों की वनस्पतियों (intestinal flora) के नाम से जाना जाता है। इन सभी आंतों के बैक्टीरिया को दो भागों में बांटा जा सकता है: वे जो लाभकारी हैं और दूसरे जिनके हानिकारक प्रभाव हैं। इनमें से बाद वाले दस्त, संक्रमण या आंतों की गड़बड़ी का कारण बन सकते हैं। फायदेमंद बैक्टीरिया नुकसानदेह बैक्टीरिया को कंट्रोल करने, इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करने, गैस कम करने और पाचन सुधारने में मदद करते हैं। इंसानी देह को कुछ विटामिनों को संश्लेषित करने और कुछ पोषक तत्वों को अवशोषित करने के लिए इनकी ज़रूरत होती है।

अच्छे मूड और सेहत का मजा लेने के लिए अपनी इंटेसटिनल फ्लोरा को स्वस्थ और संतुलित रखना बहुत ज़रूरी है। इस मामले में प्रीबायोटिक्स (prebiotics) और प्रोबायोटिक्स (probiotics) क्या भूमिका निभाते हैं?

नीचे, हम इसे विस्तार से बताएंगे।

प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स के बीच मुख्य अंतर

अपनी इंटेसटिनल फ्लोरा को अच्छी स्थिति में रखने के लिए आपको दो बुनियादी चीजें करनी चाहिए:

  • अपने शरीर में जीवित माइक्रोब की सप्लाई निरंतर निश्चित करने के लिए इसे प्रोबायोटिक्स दें।
  • इसके अलावा, पहले से ही वहां रहने वाले माइक्रोब को अच्छा खाना देने के लिए इसे प्रीबायोटिक्स दें।

इन बहुत ही संक्षिप्त लाइनों में प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स के बीच का मुख्य फर्क है। अब हम उनमें से प्रत्येक के बारे में थोड़ा और जानने जा रहे हैं और इनके सबसे महत्वपूर्ण स्रोतों की खोज करेंगे।

प्रीबायोटिक्स आपके इंटेसटिनल फ्लोरा का “भोजन”


प्रीबायोटिक्स खाद्य पदार्थों के ऐसे हिस्से हैं जो बिना पचे कोलोन तक पहुंचते हैं। एक बार वहां पहुँचने पर वे आपकी आंतों के बैक्टीरिया के लिए भोजन बन जाते हैं जिनमें उन्हें तोड़ने लायक उपयुक्त एंजाइम होते हैं। जैसे ही वे आंतों के बैक्टीरिया का खाना बन जाते हैं, वे उनकी ग्रोथ और एक्टिविटी को बढ़ावा देते हैं और मेजबान (लोगों) की सेहत सुधारते हैं।

किसी खाद्य को प्रीबायोटिक होने के लिए तीन शर्तें पूरी करनी होती हैं:

  • यह पेट और स्माल इंटेसटाइन में नहीं टूटता या अवशोषित नहीं हो सकता है।
  • यह कोलोन में साबुत पहुँचने के बाद बैक्टीरिया द्वारा फरमेंटेड होना चाहिए।
  • इस फरमेंटेशन को कुछ आंतों के बैक्टीरिया की एक्टिविटी और ग्रोथ को सपोर्ट करना चाहिए जो आदमी के लिए फायदेमंद असर डालते हैं।

अभी तक सबसे ज्यादा स्टडी किए गए प्रीबायोटिक्स में विभिन्न प्रकार के फाइबर होते हैं, जो प्लांट बेस्ड फ़ूड में पाए जाते हैं। विशेष रूप से फ्रुक्टुलिगोसैकराइड्स (FOS), गैलेक्टुलिगोसैकेराइड्स (GOS) और इनुलिन (inulin)।

हालांकि, आप कई दूसरे खाद्य पदार्थों में आंतों की फ्लोरा के लिए फायदेमंद तत्व मिल सकते हैं:

  • प्याज, शतावरी, आर्आटीचोक, बीज (चिया और फ्लैक्स ), आलू, गाजर और सेब, दूसरे खाद्य पदार्थों में मौजूद कुछ किस्म के फाइबर अच्छे प्रीबायोटिक्स हैं।
  • कोको, बेरीज या मसालों में पॉलीफेनोल्स में।
  • ऑलिव ऑयल, नट्स या तैलीय मछली की फैट में।

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प्रोबायोटिक्स क्या हैं?

अब जब आप जानते हैं कि प्रीबायोटिक्स क्या हैं, तो दोनों के बीच के फर्क को पूरी तरह से समझने के लिए प्रोबायोटिक्स के कांसेप्ट की गहराई में उतरिये। प्रोबायोटिक शब्द का अर्थ “प्रो-लाइफ” है। प्रोबायोटिक की सबसे ज्यादा मान्य परिभाषा विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) द्वारा तैयार की गई थी। ये संगठन बताते हैं कि प्रोबायोटिक्स हैं :

“लाइव माइक्रोऑर्गनिज्म जो पर्याप्त मात्रा में शरीर में जाने पर अपने मेजबान को सेहत से जुड़े फायदे पहुंचाते हैं।”

यहां हम अपनी बैक्टीरिया को खाना खिलाने के बारे में बात नहीं कर रहे हैं। ज्यादातर प्रोबायोटिक्स फ़ूड फरमेंटेशन में इस्तेमाल होने वाले बैक्टीरिया से आते हैं। सबसे ज्यादा अध्ययन जेनेरा लैक्टोबैसिलस (Lactobacillus) और बिफीडोबैक्टीरियम (Bifidobacterium) के हुए हैं।

आप खाद्य पदार्थों में या डायटरी सप्लीमेंट में प्रोबायोटिक्स पा सकते हैं।

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मुख्य प्रोबायोटिक फ़ूड

मुख्य प्रोबायोटिक फ़ूड

सादी दही सबसे लोकप्रिय और सुलभ प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थों में से एक है। आप इन बैक्टीरिया को दूसरे खाद्य पदार्थों और डायटरी सप्लीमेंट में भी पा सकते हैं।

हम कह सकते हैं, सबसे सस्ती प्रोबायोटिक वाले भोजन में से एक दही है। आपको इसमें कुछ भी डालने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि एक सादे दही में लैक्टोबैसिलस और स्ट्रेप्टोकोकस दोनों होते हैं। केफिर भी आदर्श है, क्योंकि इसमें बड़ी मात्रा में विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया हैं।

प्रोबायोटिक्स का एक और अच्छा स्रोत फरमेंटेड सब्जियां हैं, जैसे कि सॉरक्राट (sauerkraut), अचार या गर्किन्स (gherkins)। एशियाई व्यंजनों में हमारे पास मिसो (फरमेंटेड सोयाबीन पेस्ट) और टेम्पेह (फरमेंटेड सोयाबीन) है। आखिरकार प्रोबायोटिक खाद्य पदार्थों की सूची में दिखाई देने वाली आखिरी चीज में कोम्बुचा (kombucha) है, थोड़ा फ़िज़ी ड्रिंक जो हाल के सालों में बहुत पॉपुलर हो गया है।

प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स के बीच फर्क पर आख़िरी नोट्स

प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स के बीच के फर्क को समझने का सबसे अच्छा तरीका यह समझना है कि दोनों की अलग-अलग लेकिन कॉम्प्लिमेंटरी एक्शन हैं। इसलिए अगर आप सिर्फ प्रोबायोटिक्स का सेवन करते हैं तो आप अपने शरीर की सहायता नहीं कर सकते हैं। हालांकि, नवीनतम जानकारियों से परिचित रहें, क्योंकि प्रीबायोटिक्स और प्रोबायोटिक्स का विज्ञान बढ़ रहा है और कई नई अवधारणाएं और निष्कर्ष आ सकते हैं।




यह पाठ केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान किया जाता है और किसी पेशेवर के साथ परामर्श की जगह नहीं लेता है। संदेह होने पर, अपने विशेषज्ञ से परामर्श करें।