लेबर इन्डकशन क्या है और इसे कैसे किया जाता है?
कुछ खास मामलों में डॉक्टर लेबर इन्डकशन की सलाह दे सकते हैं, जिसका अर्थ है कि प्रसव को ट्रिगर करने वाले कॉन्ट्रैक्शन को कृत्रिम रूप से शुरू किया जाना।
लेबर इन्डकशन तब होता है जब डिलीवरी की शुरुआत करने के लिए गर्भाशय का कॉन्ट्रैक्शन कृत्रिम रूप से शुरू किया जाता है। इस अर्थ में यह एक प्रोग्राम्ड एक्शन है। कुछ परिस्थितियों में गाइनेकॉलोजिस्ट इसका सहारा लेते हैं।
इस लेख में, हम आपको लेबर इन्डकशन के बारे में सब कुछ बताएंगे।
लेबर इन्डकशन
नॉर्मल डिलीवरी में कॉन्ट्रैक्शन खुद ही शुरू होता है। इससे अलग लेबर इन्डकशन में कुछ दवाओं के जरिये कॉन्ट्रैक्शन को कृत्रिम रूप से ट्रिगर किया जाता है।
हालांकि सलाह दी जाती है कि हमेशा अपने आप ही लेबर इन्डकशन शुरू होने का इंतज़ार करें, फिर भी कुछ मामलों में इसे इन्ड्यूस करना ही बेहतर होता है। इस तरह विभिन्न कारणों से लेबर इन्डकशन करना उचित होता है। इन मामलों में एक डॉक्टर ही इसे इन्ड्यूस करेगा।
डॉक्टर लेबर इन्डकशन की सलाह कब देते हैं?
ऐसी विशेष स्थितियों में लेबर इन्डकशन की सिफारिश की जाती है जो माँ या बच्चे की सेहत से समझौता कर सकते हैं। इसमें शामिल है:
- लेबर से पहले ही मेम्ब्रेन का फटना। जब किसी प्रेग्नेंट महिला का मेम्ब्रेन टूटता है, तो कॉन्ट्रैक्शन शुरू होना आम है। हालांकि कुछ मामलों में यह जल्दी होता है, जिसका अर्थ है कि कॉन्ट्रैक्शन शुरू नहीं होता है। यदि यह 12 से 24 घंटे के बाद शुरू नहीं होता है, तो डॉक्टर जटिलताओं को रोकने के लिए लेबर को इन्ड्यूस कर सकते हैं।
- लम्बी गर्भावस्था। गर्भधारण के 42 वें सप्ताह के बाद डॉक्टर लेबर इन्ड्यूस करने पर विचार कर सकते हैं अगर यह स्वाभाविक रूप से नहीं हुआ है।
- बीमार माता। कुछ मामलों में माँ किसी तरह की बीमारी जैसे डायबिटीज, हाई ब्लडप्रेशर आदि से पीड़ित हो सकती है। इन मामलों में जटिलताओं को रोकने के लिए लेबर को इन्ड्यूस करना बेहतर होता है।
- मेकोनियम (meconium) का उभरना। मेकोनियम रूप से खतरनाक हो सकता है या भ्रूण के लिए घातक भी हो सकता है। इसलिए लेबर को इन्ड्यूस करना बेहतर होता है।
- फीटल मैक्रोसोमिया। ये ऐसे मामले हैं जहां भ्रूण का वजन 9 पाउंड 15 औंस से अधिक है। चूंकि यह मां और भ्रूण दोनों के लिए जोखिमों को बढ़ाता है, इसलिए डॉक्टर लेबर को इन्ड्यूस करने की सलाह दे सकते हैं।
- गर्भाशय में भ्रूण की मृत्यु। दुर्भाग्य से इन मामलों में लेबर इन्डकशन किया जाना चाहिए।
मां और भ्रूण दोनों की विशिष्ट स्थितियों की गहरी जांच-पड़ताल करने के बाद डॉक्टर को ही यह तय करना होगा कि लेबर इन्डकशन किया जाना चाहिए या नहीं।
इसे भी पढ़ें : गर्भावस्था में हाई ब्लड प्रेशर : लक्षण और इलाज
लेबर इन्डकशन कैसे करते हैं?
एक बार डॉक्टर द्वारा लेबर इन्डकशन का फैसला कर लेने पर इसे इन्ड्यूस करने की प्रक्रिया शुरू होती है। यह दो फेज में किया जाता है:
पहला फेज़ : सर्वाइकल डायलेशन (Cervical Dilation)
लेबर इन्ड्यूस करने के लिए गर्भाशय को कम से कम एक इंच (दो या तीन सेंटीमीटर) फैलाया जाना चाहिए। डॉक्टर इसके लिए शरीर में प्रोस्टाग्लैंडिन्स (हार्मोन जो गर्भाशय को उत्तेजित करते हैं) का प्रवेश करायेंगे, ताकि फैलाव प्रक्रिया शुरू हो।
प्रोस्टाग्लैंडिन्स देने के बाद डायलेशन होने तक 12 से 24 घंटे लग सकते हैं। इस कारण उन्हें आमतौर पर रात में ही दिया जाता है ताकि मां आराम कर सकें और लेबर इन्डकशन और डिलीवरी के लिए तैयार हो सकें।
दूसरा फेज़ : एमनियोटॉमी या ऑक्सीटोसिन (Amniotomy or Oxytocin)
डायलेशन के बाद गाइनेकॉलोजिस्ट कॉन्ट्रैक्शन को शुरू करने के लिए एमनियोटिक सैक को फोड़ देता है। हालांकि अगर एमनियोटिक थैली तोड़ने के बाद भी यह स्वाभाविक रूप से शुरू न हो तो डॉक्टर ऑक्सीटोसिन प्रवेश करा सकता है।
ऑक्सीटोसिन एक हार्मोन है जो गर्भाशय की मसल्स के कॉन्ट्रैक्शन का कारण बनता है और इंट्रावीनसली प्रवेश कराया जाता है। इस समय भ्रूण और मां के हृदय गति की निगरानी की जाती है, साथ ही कॉन्ट्रैक्शन का भी।
आम तौर पर ऑक्सीटोसिन की पहली खुराक छोटी होती है और गाइनेकॉलोजिस्ट के निर्देश अनुसार ही दिया जाना चाहिए। ऑक्सीटोसिन देने के बाद कॉन्ट्रैक्शन अचानक और दर्द के साथ शुरू हो सकता है, जो मां और भ्रूण दोनों के लिए दर्दनाक हो सकता है। इस कारण गाइनेकॉलोजिस्ट पूरी प्रक्रिया की बारीकी से निगरानी करते हैं।
यहां से लेबर स्वाभाविक रूप से तब तक होगा जब तक कि सीजेरियन सेक्शन की जरूरत न पड़े।
लेबर इन्डकशन के जोखिम
यह प्रक्रिया लंबी है और दर्दनाक हो सकती है, लेकिन इन्ड्यूस किया हुआ लेबर गंभीर जटिलताएं पेश नहीं करता है।
मां के लिए जो सबसे बड़ा जोखिम लंबी प्रक्रिया से पैदा होता है क्योंकि यह थकान या बुखार (दवाओं के कारण) ला सकता है।
इस संबंध में आपको ध्यान रखना चाहिए कि प्रोस्टाग्लैंडीन प्रवेश कराने केबाद गर्भाशय के तीन सेंटीमीटर फैलने के लिए चार घंटे तक लग सकते हैं। इसके अलावा ऑक्सीटोसिन देने से लेकर प्रसव तक यह बहुत लंबी प्रक्रिया हो सकती है।
इसके अलावा इस प्रक्रिया के दौरान भ्रूण गर्भाशय में आराम महसूस नहीं भी कर सकता है। इस कारण गाइनेकॉलोजिस्ट सिजेरियन सेक्शन का फैसला कर सकता है, भले ही इसकी अपनी जटिलतायें हैं। हालाँकि हमेशा ऐसा नहीं होता है। वास्तव में अधिकांश लेबर का नतीज़ा बिना किसी जटिलता के योनि के रास्ते स्जवाभाविक जन्म के रूप में होता है।
इसलिए अगर आपका भी यही मामला है, तो चिंता न करें। प्रक्रिया लंबी है, इसके बावजूद डॉक्टर हर कदम पर मार्गदर्शन करेंगे। कुछ ही घंटों में आपकी बाहों में एक नन्हा जीव होगा!
- Tenore J (2003). «Methods for cervical ripening and induction of labor». Am Fam Physician 67 (10): 2123-8
- Järvelin, M. R., Hartikainen‐Sorri, A. and Rantakallio, P. (1993), Labour induction policy in hospitals of different levels of specialisation. BJOG: An International Journal of Obstetrics & Gynaecology, 100: 310-315. doi:10.1111/j.1471-0528.1993.tb12971.x
- A Metin Gülmezoglu et al. “Induction of labour for improving birth outcomes for women at or beyond term”, Cochrane Database Syst Rev. 2012; 6: CD004945.
- Ekaterina Mishanina et al. “Use of labour induction and risk of cesarean delivery: a systematic review and meta-analysis”, CMAJ. 2014 Jun 10; 186(9): 665–673.