क्या होते हैं एंटीबॉडी?
एंटीबॉडी अणुओं का एक विशेष ग्रुप है जो हमारे शरीर को दूसरे जीवों के हमले से बचाता है। ऐसे जीवों या चीजों की पहचान एंटीबॉडी विदेशी वस्तु के रूप में करते हैं। उदाहरण के लिए वायरस और बैक्टीरिया।
इसलिए एंटीबॉडी रोग प्रतिरोधी क्षमता के सही कामकाज के लिए बेहद अहम हैं।
शरीर एंटीबॉडी क्यों बनाता है (Why Does Body Synthesize Antibodies)?
एंटीबॉडी वे मॉलिक्यूल हैं जिनके जरिये रोग प्रतिरोधी प्रणाली कार्य करती है।
इन्हें इम्युनोग्लोबुलिन (immunoglobulin) भी कहा जाता है। उनका संश्लेषण उन विशिष्ट कोशिकाओं पर निर्भर करता है जो आपकी रोग प्रतिरोधी क्षमता का हिस्सा हैं। एंटीजेन की पहचान कर लेने पर शरीर ज्यादा मात्रा में उनका उत्पादन करता है।
ये पदार्थ विदेशी एजेंट जैसे बैक्टीरिया, वायरस आदि में मौजूद होते हैं। यह पता चला है कि यह प्लाज्मा प्रोटीन बी सेल्स (B cells) और कुछ प्लाज्मा कोशिकाओं द्वारा पैदा किया जाता है।
हमारी रोग प्रतिरोधी प्रणाली बहुत सटीक होती है। यह बाहरी या विदेशी वस्तुओं में मौजूद प्रत्येक एंटीजन के लिए अलग एंटीबॉडी या इम्युनोग्लोबुलिन उत्पन्न करती है। इस तरह यह हमारे अस्तित्व को सुनिश्चित करती है। हालाँकि इसमें ख़ामियाँ भी हैं, जो ऑटोइम्यून बीमारियों के मामले में दिखती हैं। इन मामलों में रोगी की एंटीबॉडी अपनी ही सेल्स की पहचान बाहरी या “विदेशी वस्तु” के रूप में करती हैं। इस प्रकार इनका मकसद ‘खतरे के रूप’ में दीखती इन स्वस्थ कोशिकाओं को बेअसर करना होता है। मानो वे कोई पैथोजेन हों।
इम्यूनोग्लोबुलिन या एंटीबॉडी आमतौर पर शरीर में एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए रक्तप्रवाह का इस्तेमाल करते हैं। इस तरह जहां एंटीजेन की पहचान की गई है वहाँ जल्दी पहुँचकर वे उन्हें नष्ट कर सकते हैं।
इस कारण मेडिकल टीमें आमतौर पर एंटीबॉडी लेवल की जांच के लिए ब्लड सैंपल लेती हैं। इसके लिए वे लार के सैंपल या सेरिब्रोस्पाइनल फ्लूइड भी भी ले सकते हैं।
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एंटीबॉडी के प्रकार
विशेषताओं और कार्यों के आधार पर विभिन्न प्रकार के इम्युनोग्लोबुलिन या एंटीबॉडी के बीच फर्क कर सकते हैं:
इम्युनोग्लोबुलिन जी या आईजीजी (Immunoglobulin G, or IgG)
कुल मिलाकर यह एंटीबॉडी के सबसे बड़े प्रतिशत को दर्शाता है। वे पैदाइशी तौर पर शरीर में मौजूद होते हैं और जन्म से शिशुओं की रक्षा करते हैं। कारण यह है कि वे माँ की नाल (placenta) में मौजूद होते हैं। इस प्रकार एंटीबॉडी भ्रूण के जरिये ही माँ से बच्चे में आते हैं।
सिद्धांततः वे पूरे जीवन आपके शरीर में रहते हैं। ये फैगोसाइट्स की एक्टिविटी जैसे ज़रूरी कार्यों में भाग लेते हैं। इसका मतलब यह हुआ कि वे नुकसानदेह सेल्स को मारते हैं।
इम्युनोग्लोबुलिन जी, या आईजीएम (Immunoglobulin G, or IgM)
ये अणु एक गोलाकार संरचना बना सकते हैं जिसमें दस बाँधने वाली बाइंडिंग साइट (एंटीजन के लिए) होती हैं। आम तौर पर ये ही पहचान किये गए नए एंटीजन से “संपर्क” करने वाले पहले एजेंट होते हैं।
वे मैक्रोफेज (फैगोसाइट्स के समान) के प्रदर्शन को सक्षम या प्रोत्साहित करते हैं।
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इम्युनोग्लोबुलिन ए, या आईजीए (Immunoglobulin A, or IgA)
इन एंटीबॉडी का एक मोनोमेरिक (monomeric) या डिमेरिक (dimeric) रूप है। इसका मतलब है कि वे दो एंटीबॉडी के ग्रुप में दिखाई दे सकते हैं।
इसके अलावा म्यूकस मेम्ब्रेन (जो अन्य चीजों के साथ स्तन के दूध, रक्त, बलगम, आँसू आदि उत्पन्न करते हैं) के इम्यून सिस्टम में उनकी बहुत बड़ी भूमिका है।
इम्युनोग्लोबुलिन ई, या आईजीई (Immunoglobulin E, or IgE)
ये एंटीबॉडी दो भारी चेन और दो हल्के चेन से बने होते हैं। ऊपर बताए गए एंटीबॉडी के विपरीत ये आमतौर पर मास्ट सेल मेम्ब्रेन में रहते हैं। इसलिए इनमें ज्यादातर बॉडी टिश्यू में रहते हैं।
ये आमतौर पर एलेर्जीन के रिसेप्टर होते हैं जो कि बहुत खतरनाक पदार्थ नहीं होते लेकिन हमारा इम्यून सिस्टम उन्हें एक गंभीर खतरे के रूप में पहचान करता है। वे मास्ट सेल के फटने और उनसे हिस्टामाइन के स्राव के लिए जिम्मेदार होते हैं।
इम्युनोग्लोबुलिन डी, या आईजीडी (Immunoglobulin D, or IgD)
ये एंटीबॉडी पॉलिमर बनाते हैं जो एंटीजन अणुओं को बाँध लेते हैं। वे बी-सेल्स के प्लाज्मा मेम्ब्रेन के प्रोटीन का लगभग 1% हिस्सा हैं।
हमें उम्मीद है, आपको यह लेख रोचक और ज्ञानवर्धक लगा होगा! कोई शंका हो या आप एंटीबॉडी या इम्युनोग्लोबुलिन के बारे में ज्यादा जानना चाहते हैं, तो कृपया अपने डॉक्टर से संपर्क करें ।
- Ramos-Medina, R., Corbí, A. L., & Sánchez-Ramón, S. (2012). Inmunoglobulinas intravenosas: llave inmunomoduladora del sistema inmunológico. Medicina Clinica. https://doi.org/10.1016/j.medcli.2011.11.022
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