सार्सपरील (Sarsaparrilla) से करें सोरायसिस का इलाज
- संक्रमण
- तनाव
- शुष्क त्वचा
सोरायसिस ज़्यादातर बड़ों को होती है और औरतों के मुकाबले पुरुषों में ज़्यादा होती है।
सार्सपरील (Sarsaparrilla)
सार्सपरील एक झाड़ी है जो एशिया, अफ़्रीका और यूरोपीय मूल की है। इसका पतला, काँटेदार तना 2 मीटर ऊँचाई तक जा सकता है।
लोग सार्सपरील की जड़ों से त्वचा की बीमारियों को ठीक करने के लिए प्राकृतिक दवाइयां बनाते हैं। ये जड़ें रक्त संचार के लिए भी प्रभावकारी होती हैं।
इसी तरह, सार्सपरील एसेंशियल ऑयल कई तरह के इलाज में काम आता है। यह सामान्य जुखाम से लेकर गठिया जैसे कई रोगों के लक्षणों का इलाज कर सकता है।
औषधीय गुण
कुछ लोग सार्सपरील का किडनी को प्राकृतिक रूप से साफ़ करने और उनके काम में आईं गड़बड़ियों को दूर करने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
इसके अलावा, यह खून को साफ़ करने में मदद करता है और परिणामस्वरूप रक्त संचार को बेहतर बनाता है। इस तरह, यह सोरायसिस के कारण त्वचा पर आई अशुद्धियों जैसे कील-मुँहासों और चकत्तों से बचाव करने में मदद करता है।
- सार्सपरील टेस्टोस्टेरोन जैसे हार्मोन बनने की प्रक्रिया को बढ़ावा देता है और इस तरह नपुंसकहीनता को रोकने में भी सहायता करता है।
- इसी तरह, यह त्वचा के दूसरे रोगों जैसे एग्ज़ीमा, सोरायसिस, डर्मेटाइटिस, कोढ़ और दाद-खाज-खुजली के लिए भी लाभकारी होता है। इसके एंटी-इन्फ़्लेमेटरी गुणों के कारण यह सूजन के लक्षणों पर भी अच्छा असर करता है।
सोरायसिस के लिए सार्सपरील (Sarsaparrilla for psoriasis)
सार्सपरील का अर्क सिफ़िलिस में होने वाले लाल चकत्तों और पपड़ियों के इलाज के लिए भी पारंपरिक दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है।
लहसुन के तेल वाली सार्सपरील की चाय (Garlic Oil Sarsaparrilla Tea)
लहसुन त्वचा की देखभाल के लिए एक प्राकृतिक तत्व है। लहसुन के एंटी-इन्फ़्लेमेटरी गुण त्वचा को स्वयं को नया बनने में मदद करते हैं । इसके अलावा, एक पारंपरिक औषधि की तरह, लहसुन डर्मेटाइटिस से पीड़ित लोगों की भी मदद करता है।
हम पहले ही बता चुके हैं कि सार्सपरील त्वचा के लिए कितना फ़यदेमंद होता है। लेकिन हम एक बार फिर बताना चाहेंगे कि यह शुद्धिकरण (cleaning impurities) के लिए अति उत्तम है और लहसुन के साथ मिलकर यह सोने में सुहागा हो जाता है।
अवयव
- 1 कप पानी (250 मिलीलीटर)
- 2 चाय के चम्मच सार्सपरील की जड़ (10 ग्राम)
- लहसुन का तेल (200 ग्राम)
- कॉटन बॉल
तैयारी
- पानी को एक बर्तन में उबाल लें। जब उबल जाए, तो उसमें सार्सपरील की जड़ डालकर 15 मिनट और उबालें।
- इस मिश्रण को एक ढक्कन वाले बर्तन में डालकर लहसुन का तेल मिला लें।
- मिश्रण को ठंडा हो जाने दें। ठंडा हो जाने पर कॉटन बॉल लेकर हल्के हाथ से प्रभावित जगह पर लगाएं।
नोट: यह जान लें कि प्राकृतिक नुस्खे अक्सर त्वचा विशेषज्ञ द्वारा दी गई दूसरी दवाइयों के साथ दिए उपयोग किये जा सकते हैं जिससे बीमारी के लक्षण का बेहतर इलाज हो सकता है।
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कुछ सुझाव
याद रखें, किसी जड़ी-बूटी का दवाओं की तरह बहुत ज़्यादा इस्तेमाल से विभिन्न अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है या उसके साइड इफ़ेक्ट हो सकते हैं। हालाँकि पौधों के इस्तेमाल से स्वास्थ्य में काफ़ी सुधार होता है। जानिए कि ये क्या होते हैं और क्या फ़ायदा पहुँचाते हैं।
अगर सोरायसिस से असुविधा बनी रहती है, तो त्वचा विशेषज्ञ से सलाह लीजिए । क्योंकि यह बहुत गंभीर इन्फ़ेक्शन हो सकता है। अगर आप सार्सपरील जड़ी खुद ही ढूंढ़ रहे हैं, तो बहुत सावधान रहें : ब्लैक ब्राइयोनी (black bryony) सार्सपरील जैसी ही दिखती है और बहुत विषैली होती है।
याद रहे, आपकी त्वचा की सेहत बहुत महत्वपूर्ण है। धूप से बचने के लिए मॉइस्चराइजिंग क्रीम का इस्तेमाल करें। इसके अलावा, ध्यान रहे कि आपकी त्वचा का pH काफ़ी कम हो जाने से कैंसर जैसे गंभीर रोग का खतरा हो सकता है।
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