उन शानदार तोहफों की तलाश करें जो ज़िन्दगी आपको देने वाली है
आज घर से निकलते वक़्त आपका मूड कैसा था?
कभी-कभी हम सभी की ज़िन्दगी में ऐसा मोड़ आ खड़ा होता है, जब हमें लगने लगता है, हमारी ज़िन्दगी में कोई अच्छी बात रह ही नहीं गई है। हमें लगता है, ज़िन्दगी की मुश्किलों में उलझे हमारे वर्तमान में कुछ भी अच्छा नहीं हो सकता।
भले ही हम आने वाली मुश्किलों को रोक न सकें, पर बहादुरी, साहस और आत्मविश्वास से उनका सामना करने का विकल्प हमारे सामने हमेशा खुला रहता है।
इस बात को कभी न भूलें कि रोज़ाना इस बात का फैसला हम ही करते हैं, हम कौन से कपड़े पहनेंगे, हमारा हेयरस्टाइल कैसा होगा और हम नाश्ते में क्या खाएंगे।
तो फ़िर हम नई उम्मीदें जगाने का फैसला क्यों नहीं कर लेते? क्यों न हम साहस, आशावाद और बहादुरी की एक ढाल लेकर अपनी सोयी हुई इच्छाशक्ति को दोबारा जगा लें?
इस सोच को किसी अध्यात्मिक प्रवचन या खोखले भाषण की तरह देखने के बजाय इसकी तह तक जाना चाहिए।
आख़िर हम अपने “दिमाग को प्रोग्राम” करने की बात कर रहे हैं। आसान शब्दों में कहें तो हम एक ऐसी नयी सोच को अपनाने की बात कर रहे हैं जिससे पैदा हुई भावना हमारी ज़िन्दगी को बदलकर रख देने का माद्दा रखती है।
ऐसी ज़िन्दगी पाने के तरीके के बारे में अब हम आपको बताने जा रहे हैं।
ज़िन्दगी की अच्छी बातों पर ध्यान देने के लिए अपने अंदर की अच्छाई को जगाना होगा
इस बात में कोई दो राय नहीं है कि मुश्किलों का सामना करने में कुछ लोग दूसरों से बेहतर होते हैं।
हो सकता है, मनोविज्ञान पर अपना ध्यान केंद्रित कर उन्होंने कुछ ख़ास रणनीतियां बना ली हों। लेकिन इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ है लचीलेपन नाम की उनके स्वाभाविक गुण का। अपनी इस खूबी की बदौलत वे जटिल से जटिल कठिनाई का सामना हँसते-हँसते कर जाते हैं।
लेकिन यह भी सच है, ज़िन्दगी के मुश्किल पलों में हम सभी दुःख की चपेट में आ ही जाते हैं। इसलिए हमें यह समझ लेना चाहिए कि ऐसे में हम अपने नज़रिये में बदलाव कैसे ला सकते हैं।
भावनात्मक और मानसिक रूप से खुले लोग अच्छी चीज़ों को ज़्यादा आसानी से देख पाते हैं।
अपनी पर्सनलिटी के इन पहलुओं पर ज़रूर ध्यान दें।
सबसे पहले अपनी क्षमताओं का आकलन करें
कभी न कभी हम सभी का ध्यान इस बात पर गया ही होगा कि एक जैसी स्थिति में दो लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया होती है। इसके पीछे आख़िर कारण क्या है?
- हमारा व्यक्तित्व, हमारा अनुभव, हमारे भाव या हमारा नज़रिया कई परेशानियाँ से जूझने में हमारी मदद करता है। किसी परिस्थिति में कोई इंसान क्या प्रतिक्रिया देगा, यह इन्हीं मापदंडों पर निर्भर करता है।
- परेशानियां सभी की ज़िन्दगी में होती है। असली फर्क तो इस बात से पड़ता है कि हम उनका सामना कैसे करते हैं।
- हम सभी को अपनी क्षमता, ताकत और खूबियों को ध्यान में रखना आना चाहिए।
- हम सभी अपनी सोच से कहीं ज़्यादा मज़बूत होते हैं… इतने मज़बूत कि हमारे दिमाग को किसी भी हालत में ज़िन्दा रहने के लिए प्रोग्राम किया गया है।
- इसका मतलब है, अपनी-अपनी तरह से हम सभी लचीले होते हैं। अगर ऐसा नहीं है, तो भी ज़िन्दगी में आने वाली मुश्किलों से एक सबक लेकर हम कोई न कोई सीख ज़रूर हासिल कर सकते हैं। दरअसल सबसे बड़ी परेशानी तो यही है कि ज़िन्दगी के किसी न किसी मोड़ पर हम सभी अपनी कद्र करना भूल जाते हैं।
- ढेर सारे आत्मविश्वास और आत्मसम्मान के सहारे हम अपनी खूबियों में एक निखार ला सकते हैं। साथ ही, ऐसा करने से हम अपने अंदर की अच्छाई को भी देख सकेंगे।
न्यूरोलिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग (Neurolinguistic programming): दिमाग को व्यवस्थित कैसे करें
हो सकता है, न्यूरोलिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग के बारे में आपने पहले ही सुन रखा हो।
व्यक्तिगत विकास और साइकोथेरेपी की यह रणनीति बेहद कारगर होती है। किसी एक मनोदशा से यह आपको किसी दूसरी मनोदशा में जो ले जाती है।
इस मामले में इसका इस्तेमाल हम अपने ध्यान के केंद्र (फोकस ऑफ़ थॉट) को बदलने के लिए करेंगे। आख़िर हम अपने आसपास की सभी अच्छी चीज़ों को महसूस कर उनका फायदा उठा लेना चाहते हैं।
हमें अवसरों को बेहतर ढंग से भांपना सीखना होगा। आसान शब्दों में कहें तो हमें अपने शारीरिक और भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार लाना होगा।
ऐसा करने के लिए हमें कई योजनाओं पर काम करना होगा:
- अपनी भावनाओं को आंकना सीखें। अपने मन में दुःख और चिंता जैसा कुछ भी महसूस होने पर उस भाव को किसी और दिशा में ले जाएँ। उस नेगेटिव फीलिंग की पहचान करना सीखिए।
- एक और दिलचस्प तकनीक है एंकर । इसमें हम किसी ऐसी चीज़ पर अपना ध्यान केंद्रित कर लेते हैं, जो हमें प्रेरित करती है। जब भी हमें ऐसा लगने लगे कि हमारी उम्मीदों की कश्ती अब डूबने लगी है, हमें अपनी “लाइफ बोट” पर सवार हो जाना चाहिए।
उदहारण के तौर पर अगर मुझे लग रहा है कि आज का मेरा दिन बहुत बकवास होगा तो मुझे उस शांत बीच के बारे में सोचना चाहिए, जहाँ मैं अपनी छुट्टियों में जाना चाहता हूँ। ऐसा करने से मूड बेहतर होने लगेगा।
अच्छी बातों पर ध्यान देने के लिए बुरी बातों को दरकिनार कर दें
आपके लिए हमारे पास चिंतन वाली एक छोटी-सी एक्सरसाइज है। आपको खुद से बस इतना-सा सवाल करना है कि आप दुखी क्यों है, आपको किस चीज़ से ठेस पहुँचती है या फ़िर आप उलझन में क्यों फंस जाते हैं।
- हो सकता है, आपकी ज़िन्दगी में ऐसे लोगों की भरमार हो जो आपको ख़ुशी कम और गम ज़्यादा देते हों।
- यह भी हो सकता है, आपको अपनी ज़िन्दगी में थोड़ा-सा बदलाव लाने की ज़रूरत हो। ऐसी बहुत सी चीज़ें हो सकती है, जिन्हें अपनी ज़िन्दगी से बाहर कर आप बेहतर महसूस करेंगे।
- हो सकता है, आपको अपने ही कुछ पहलुओं के साथ भी मुकाबला करना पड़े। आशंकाएं, किसी चीज़ का हद से ज़्यादा जुनून, नकारात्मक सोच… इन बातों पर गौर करने की भी अपनी एक अहमियत होती है।
अंत में, हमें पता है कि हमेशा ही सिर्फ़ अच्छी चीज़ों पर ध्यान देना इतना आसान नहीं होता। किस्मत पर भरोसा करने और उस भरोसे को बरक़रार रखने में भी रोज़ की मेहनत जो लगती है।
लेकिन फिर भी, आपको बस एक ही चीज़ की ज़रूरत है, और वह है, अपने नज़रिये में बदलाव लाने की।