पाचन की समस्या से लड़ने वाली नेचुरल टी

क्या आप दर्दनाक अपच या असहज कब्ज से पीड़ित हैं? रोजाना ये नेचुरल टी पीने से पाचन समस्याओं से लड़ने में मदद मिलती है।
पाचन की समस्या से लड़ने वाली नेचुरल टी

आखिरी अपडेट: 22 जनवरी, 2019

क्या आप पेट दर्द और बेचैनी से पीड़ित हैं? क्या आप अपने पाचन की समस्या से लड़ने के इच्छुक हैं?

खाए गए भोजन को सही ढंग से पचा पाने में असमर्थता ही अपच (Indigestion) है। नतीजतन पाचन प्रक्रिया धीमी हो जाती है। इसे पेट फूलना (bloating) समझने की भूल नहीं करनी चाहिए, जो कभी-कभार होता है और लंबे समय तक नहीं रहता।

इस लेख में हम आपको ऐसी चाय के बारे में बताएंगे जो अपच जैसी पाचन समस्याओं से लड़ने में शानदार हैं। यदि आप इस समस्या से पीड़ित हैं, तो इन प्राकृतिक चाय के लाभ उठाने की कोशिश करें!

इसे भी पढ़ें: चमत्कारिक घरेलू एंटीवायरल: अदरक वाली चाय ऐसे बनायें

हमें अपच क्यों होती है?

ऐसे कई कारण हैं जिनसे हमें अपच हो सकती है। सबसे आम कारणों में से कुछ हैं:

पाचन तंत्र के रोग

पेट में अल्सर की उपस्थिति अपच या अन्य पाचन समस्याओं को जन्म दे सकती है। हालांकि ऐसा पित्ताशय की पथरी (gallstones), गैस्ट्राइटिस, पैनक्रियाज का कैंसर, पेट का कैंसर, एसिड रिफ्लक्स रोग से या इनकी मिलीजुली बीमारी से भी हो सकता है।

एसिड रिफ्लक्स रोग पेट और एसोफेगस की की दीवारों की क्षति के कारण बनता है। यह आपको खाने के बाद दर्द के प्रति ज्यादा संवेदनशील बनाता है।

खाने-पीने की आदतें

शायद आपने यह कहावत सुनी ही होगी कि “आप वही हैं जो आप खाते हैं।” हम शायद इसे बदल कर कह सकते हैं कि “आप जो खाते हैं उसके अनुसार ही बीमार पड़ते हैं।” यह निश्चित रूप से सच है।

कुछ खाद्य अपच का शिकार होने की संभावना को बढ़ाते हैं। ये खाद्य पदार्थ बहुत अधिक फैट या गरिष्ठ भोजन वाली असंतुलित डाइट हैं।

इसके साथ ही अपच के कई स्रोत हैं। यह जल्दी-जल्दी खाने, दो समय के भोजन के बीच बराबर नाश्ता खाने, बहुत सारी सब्जियां खाने, कॉफी पीने और च्युइंग गम से हो सकता है।

इसका एक और उल्लेखणीय कारण भी हो सकता है। यह है, कुछ खाद्य पदार्थों से असहनशीलता या इनटॉलरेंस। इस ग्रुप में सबसे प्रसिद्ध समस्याओं में से एक लैक्टोज इनटॉलरेंस है। एक और समस्या एक ही समय में बेमेल खाने खाना है। ठंडा पानी पीते समय गर्म सूप पीना आपके पेट के लिए अच्छा नहीं है।

दवाइयां और विषाक्त पदार्थ

एक और कारण से हम पाचन समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं। वह है दवाइयों का सेवन। कुछ तगड़ी दवाएं जैसे एंटीबायोटिक्स, एंटीडिप्रेसेंट्स, एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स पाचन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकते हैं। तंबाकू खाना भी समस्याओं का कारण बन सकता है। और चूंकि यह विषाक्त है, इसलिए हमें हर कीमत पर इससे बचना चाहिए।

मनोवैज्ञानिक समस्याएं (Psychological problems)

तनाव, घबराहट, चिंता या व्यक्तिगत समस्याएं सभी आपके पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकती हैं। नतीजतन, जब हम किसी बात से नाराज़ या दुखी होते हैं, तो हमें उतना अच्छा नहीं लगता।

चाय जो पाचन की समस्या से लड़ने में मदद करती हैं

हमारे पेट में दर्द या अपच की स्थिति में हमारी नानी-दादी जो उपाय किया करती थीं, उनमें ” एक कप चाय पीना” भी था।

मानें या न मानें, दादी माँ के नुस्ख़े में कोई बात ज़रूर थी। दरअसल कुछ तरह की चाय पाचन की समस्या, जैसे कि अपच आदि के लक्षणों से लड़ने में मदद कर सकती हैं। उनमें से कुछ सबसे बेहतरीन चाय ये हैं:

ग्रीन टी (Green Tea)

इस चाय को पीने के कई फायदे हैं, जिनमें से अधिकांश पाचन तंत्र (digestive tract) से संबंधित हैं।

शुरुआती तौर पर आपको पता होना चाहिए कि हरी चाय (ग्रीन टी) कॉफी का एक बेहतरीन विकल्प है। साल के अपने पसंदीदा मौसम में आप इसे ठंडा या गर्म पी सकते हैं।

ग्रीन टी में कई एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो गैस्ट्रिक जूस के काम को प्रोत्साहित करते हैं और पाचन आसान बनाते हैं। इसके बारे में और भी कुछ जानना है? तो जान लीजिये कि यह सूजन को कम करने की क्षमता भी रखती है।

आप सुबह में एक कप ग्रीन टी पी सकते हैं, दूसरी बार दोपहर में और तीसरी बार रात को सोने से पहले। इसे टी बैग या खुली पत्ती के रूप में पा सकते हैं।

कैमोमाइल मोटी सौंफ़ के साथ (Chamomile with anise)

पाचन समस्याओं से लड़ने वाली चाय: कैमोमाइल

कैमोमाइल (Chamomile) को ऐंठन-रोधी (antispasmodic) और सूजन-रोधी जड़ी-बूटी माना जाता है। यह आपके पेट को शांत करने, भारीपन की कम करने और गैस से छुटकारा पाने में मदद करता है।

एक शांतिदायक पौधा होने के कारण कैमोमाइल घबराहट या चिंता के कारण होने वाली अपच में भी अच्छी तरह काम आता है। यह स्वादिष्ट भी है!

दिन में इसका दो कप पिएं और आपको अच्छे परिणाम दिखाई देंगे।

सोआ (Dill)

सोआ (सोया) भूमध्य सागर के क्षेत्र का पौधा  है और अक्सर खाना पकाने में उपयोग किया जाता है। अपने चिकित्सीय लाभ के कारण, बहुत से लोग हर्बल चाय में सोया मिलाते हैं।

सौंफ (Fennel)

खाना पकाने में भी सौंफ का उपयोग किया जाता है। यह पाचन की समस्या से लड़ने में भी हमारी मदद कर सकती है। यह फुलाव (swelling) को कम करती है, ऐंठन का इलाज करती है और अन्य जठरांत्र संबंधी गड़बड़ियों (gastrointestinal issues) से लड़ती है। साथ ही, यह हमें भरा-भरा महसूस करने में मदद करती है।

पाचन में मददगार इस पौधे का स्वाद बहुत कोमल होता है और आमतौर पर इसे जीरा और मोटी सौंफ के साथ मिलाया जाता है।

जैसे ही आपको अपच के लक्षण महसूस होने लगें सौंफ की चाय जरूर पिएं।

सहस्त्रपर्णी (Yarrow)

यदि आप पेट या आंतों के प्रबल दर्द से पीड़ित हैं, तो सहस्त्रपर्णी की चाय आजमायें। येरो में फ्लेवोनोइड्स की उच्च मात्रा होती है। ये पाचन को बढ़ाने और आपको नियमित रखने में मदद करते हैं।

आप मतली और पेट में एसिड की समस्याओं के इलाज के लिए सहस्त्रपर्णी का भी उपयोग कर सकते हैं। इसमें मूत्रवर्धक गुण (diuretic properties) होते हैं और यह आपके लीवर को उत्तेजित करती है।

आप हेल्थ फ़ूड स्टोर्स में सहस्त्रपर्णी पा सकते हैं। इसकी चाय बनाएं और इसे रोजाना पिएं। इस तरह आप इसके सभी फायदों का आनंद ले सकते हैं।

अजवायन के फूल (Thyme)

अपने उत्कृष्ट गुणों के कारण यह जड़ी-बूटी सदियों से पाचन में मदद करने के लिए उपयोग की जाती है। यह दस्त, ऐंठन, गैस और उल्टी से राहत देने में बहुत अच्छा है।

इस चाय को रात में पीने की सलाह दी जाती है। अपने पेट के भारी अहसास को अलविदा कहने के लिए बिस्तर पर जाने से पहले एक कप पिएं। इसके अतिरिक्त, थाइम बुरे सपने और अनिद्रा से लड़ने में मदद करता है।

अन्य पौधे जो अपच को कम करने में आपकी मदद कर सकते हैं वे हैं डोंग क्वाई (dong quai ), सौंफ (anise), लेमन बाम (lemon balm), रूइबोस (rooibos) और मरुआ (marjoram)

यहाँ बताये गए कई चाय और जड़ी-बूटियाँ आपके स्थानीय बाजार या किराने की दुकान पर आसानी से मिल सकती हैं। पाचन की समस्या से लड़ने में मदद के लिए उन्हें अपने आहार में शामिल करें और आराम करते हुए गर्म व स्वादिष्ट चाय का आनंद लें।



  • Nasehi, M., Sehhatie, F., Zamanzadeh, V., Delazar, A., Javadzadeh, Y., & Chongheralu, B. M. (2013). Comparison of the effectiveness of combination of fennel extract/vitamin E with ibuprofen on the pain intensity in students with primary dysmenorrhea. Iranian journal of nursing and midwifery research, 18(5), 355-9.
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC3877456/
  • Oral fennel (Foeniculum vulgare) drop effect on primary dysmenorrhea: Effectiveness of herbal drug (2013). Bokaie M1, Farajkhoda T, Enjezab B, Khoshbin A, Karimi-Zarchi M.
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/23983742
  • Srivastava, J. K., Shankar, E., & Gupta, S. (2010). Chamomile: A herbal medicine of the past with bright future. Molecular medicine reports, 3(6), 895-901.
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2995283/
  • Babaeian, M., Naseri, M., Kamalinejad, M., Ghaffari, F., Emadi, F., Feizi, A., Hosseini Yekta, N., … Adibi, P. (2015). Herbal Remedies for Functional Dyspepsia and Traditional Iranian Medicine Perspective. Iranian Red Crescent medical journal, 17(11), e20741. doi:10.5812/ircmj.20741
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC4698144/
  • Thymol, thyme, and other plant sources: Health and potential uses (2018). Salehi B, Mishra AP, Shukla I, Sharifi-Rad M, Contreras MDM, Segura-Carretero A, Fathi H, Nasrabadi NN, Kobarfard F, Sharifi-Rad J.
    https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/29785774

यह पाठ केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान किया जाता है और किसी पेशेवर के साथ परामर्श की जगह नहीं लेता है। संदेह होने पर, अपने विशेषज्ञ से परामर्श करें।