टैनोरेक्सिया : जब टैन एक जुनून बन जाए

टैनोरेक्सिया एक साइकोलॉजिकल समस्या है जो स्किन कैंसर समेत गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकती है। इसे टैनिंग की लत के रूप में परिभाषित किया गया है।
टैनोरेक्सिया : जब टैन एक जुनून बन जाए

आखिरी अपडेट: 22 अगस्त, 2020

टैनोरेक्सिया टैन  होने या रहने की एक अनिवार्य इच्छा है। लंबे समय तक लोगों को यह सिर्फ एक सनकी व्यवहार लगता था। दरअसल इसे एक लत या समस्या के रूप में क्लासिफाई नहीं किया गया था। हालांकि स्किन एक्सपर्ट के एक ग्रुप द्वारा 2005 की एक स्टडी ने इस दृष्टिकोण को बदल दिया।

आज एक्सपर्ट टैनोरेक्सिया (Tanorexia) को एक ओबसेशन के रूप में देखते हैं क्योंकि यह इसके लिए सभी क्राइटेरिया को पूरा करता है। 2005 की स्टडी से पता चलता है कि इस व्यवहार वाले लोगों में आमतौर पर शराब की तरह नशे जैसे दूसरे बिहेवियरल पैटर्न होते हैं।

बाद के अध्ययनों ने उसी आईडिया से शुरू किया जो टैनोरेक्सिया के संभावित कारणों को बताता है, जिसके बारे में हम आपको इस लेख में बताएंगे। इसलिए टैन की यह कम्पल्सिव इच्छा कोई फैशनेबल ट्रेंड या एस्थेटिक ओबसेशन नहीं है। यह उससे कहीं ज्यादा गहरी समस्या है।

टैनोरेक्सिया क्या है?

टैनोरेक्सिया को टैनिंग के एडिक्शन के रूप में परिभाषित किया गया है। जो लोग इससे पीड़ित होते हैं वे अपनी स्किन के डार्क कलर के प्रति ऑब्सेस होते हैं। ऐसा करने के लिए वे बाहर सनबाथ लेते हैं या टैनिंग बेड में बहुत वक्त बिताते हैं। हालाँकि वे कभी भी अपने स्किन टोन से संतुष्ट नहीं होते हैं।

एक्सपर्ट इस बात से पूरी तरह सहमत नहीं हैं कि यह एक स्वतंत्र मनोरोग है या यह एक तरह का शारीरिक रोग (BDD) है। कुछ लोग बताते हैं कि इसे एक सिंड्रोम माना जाना चाहिए क्योंकि इस समस्या के कुछ हिस्से ऐसे हैं जिनके पर्याप्त वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं।

इसके अलावा जो लोग इस समस्या से पीड़ित हैं, वे सूरज या अल्ट्रावायलेट रिस्क के नतीजों को ध्यान में नहीं रखते। उन्हें अपनी त्वचा का रंग गहरा करने के लिए उनमें एक तरह का ओबसेशन होता है और संभावित हेल्थ रिस्क भी उन्हें रोक नहीं पाते हैं।

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लक्षण और कारण

फेल्डमैन एट एल की 2004 की स्टडी के अनुसार बार-बार सनबाथ लेना या यूवी किरणों के संपर्क में आने से रिलैक्सेशन लेवल बढ़ता है। क्योंकि उल्ट्रावायलेट किरणों के संपर्क में आने से शरीर में एंडोर्फिन (endorphins) और ओपिओइड (opioid) का स्राव होता है।

एंडोर्फिन ब्रेन केमिकल हैं जो दर्द से राहत देते हैं और आपको अच्छा महसूस कराते हैं। इसके अलावा शरीर हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्लैंड से स्वाभाविक रूप से उनका स्राव करता है। हालांकि यह केवल भावनात्मक या शारीरिक स्ट्रेस में होता है। उदाहरण के लिए दर्द या कड़ी मशक्कत, उत्तेजना और ओर्गास्म की स्थिति।

यह सुखद एहसास एडिक्शन को जन्म देता है। टैनोरेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति को टैन न कराने पर विथड्रॉल सिंड्रोम का अनुभव होता है। टैनिंग और टैनोरेक्सिया जैसे लोगों के बीच फर्क यह है कि बाद वाल में होने वाले लक्षण निम्नलिखित हैं:

  • टैन कराने की अनिवार्य इच्छा। साथ ही वे इस बात से निराश महसूस करते हैं कि वे पर्याप्त डार्क नहीं हो सकते।
  • उन्हें ऐसा लगता है उनकी त्वचा का रंग हल्का है।
  • इस गलतफहमी पर नारजगी कि वे पहले से मौजूद टैन खो रहे हैं।
  • असमय त्वचा की उम्र बढ़ना।
  • जलने के चिन्ताह जिन्हें वे मेकअप से कवर करने की कोशिश करते हैं।
  • चिंताजनक व्यवहार।

टैनोरेक्सिया का असर

टैनोरेक्सिया का असर

उचित मात्रा में धूप खाने से डिप्रेशन पर सकारात्मक असर होता है। इसके अलावा यह विटामिन D के मेटाबोलिज्म में मदद करती है। हालांकि सूरज की धूप के ज्यादा संपर्क से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

सबसे पहले, त्वचा पर प्रभाव पड़ता है क्योंकि यह त्वचा की उम्र बढ़ने को तेज करता है और रूखेपन का कारण बनता है। साथ ही जलन और कैंसर के विभिन्न रूप भी हो सकते हैं। ज्यादा धूप से आंखों को नुकसान, इम्यून सिस्टम से जुडी समस्या, डीएनए को क्षति, फ्री रेडिकल्स में बढ़ोतरी और बहुत कुछ नकारात्मक होता है।

मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो एडिक्शन असुरक्षा की ज्यादा भावना और स्वायत्तता में कमी की भावना पैदा करता है। यह एंग्जायटी को बदतर बनाता है, टॉलरेंस में कमी लाता है और अक्सर रिश्तों को नुकसान पहुंचाता है।

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क्या करें

अक्सर टैनोरेक्सिया वाले लोग सोचते हैं कि उन्हें कोई समस्या नहीं है। वे अक्सर अपने डॉक्टर से धूप से होनेवाल सनबर्न या इससे होने वाली दूसरी हेल्थ प्रॉब्लम के बारे में बार-बार पूछ सकते हैं। हालांकि वे इस बात से इंकार करेंगे कि उनकी टैनिंग इसकी वजह है।

यह समस्या एनोरेक्सिया (anorexia) की तरह है। एनोरेक्सिया से पीड़ित मिरर में दिखता है और सोचता है कि वे मोटे हैं, भले ही वे सिर्फ त्वचा और हड्डियों का ढांचा हों। टैनोरेक्सिया वाला व्यक्ति सोचता है, उसका रंग बहुत साफ़ है भले ही वह टैन वाला और यहां तक ​​कि जला हुआ ही क्यायों न हो।

इस समस्या वाले लोगों को एक मेंटल हेल्थ प्रोफेशनल से बात करनी चाहिए। ज्यादातर मामले को लेकर आत्म-स्वीकृति की समस्याएं आती हैं, लेकिन आप डॉक्टर की मदद से इनका इलाज कर सकते हैं।



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यह पाठ केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान किया जाता है और किसी पेशेवर के साथ परामर्श की जगह नहीं लेता है। संदेह होने पर, अपने विशेषज्ञ से परामर्श करें।