पारिवारिक अनबन और जख्म ठीक होने में समय लेते हैं
पारिवारिक अनबन मानव हृदय में बेहद दुखद, गहरे और कभी न भरने वाले घाव पैदा कर सकती है। कई बार ये जिन्दगी भर इंसान को कचोटते रहते हैं।
एक परिवार में माता या पिता की अनुपस्थिति, जहरीले स्वभाव वाली माँ, आक्रामक या अभद्र भाषा का प्रयोग, चिल्लाना या सुरक्षा और स्नेह के भाव की कमी जैसी स्थितियां एक बच्चे के कोमल मन में न केवल आत्म-सम्मान की कमी ला सकतीं हैं, बल्कि हृदय में गहरे भय को भी जन्म दे सकती हैं।
अक्सर निजी जीवन में आने वाली सामान्य परेशानियों को दक्षता पूर्वक न हल कर पाने की जड़ यही घाव होते हैं जो बच्चे के दिल में बसे हुए रहते हैं और समय के साथ गहरे होते जाते हैं।
हमें यह याद रखना चाहिए कि ज़रूरत से ज्यादा तनाव और कच्ची उम्र में होने वाला तनाव मस्तिष्क की संरचना को बदलने में सक्षम है। यह मानव मस्तिष्क के भावनात्मक हिस्से को प्रभावित कर सकता है।
ये तमाम स्थितियां और भी विकराल रूप धारण कर सकती हैं और कई बार यह मानव मस्तिष्क को स्थायी रूप से प्रभावित कर सकती हैं। इस कारण पीड़ित व्यक्ति कई प्रकार की भावनात्मक विकृति का शिकार हो सकता है।
परिवार एक व्यक्ति का सबसे पहला सामाजिक संपर्क होता है। यदि यह संपर्क हमारी बुनियादी जरूरतों की भरपाई नहीं करता तो इसके दुष्परिणाम हमें अपने जीवन भर भुगतने पड़ते हैं।
आइये जानते हैं कि पारिवारिकअनबन से बच्चे के दिल में पैदा हुए घावों का भरना इतना कठिन क्यों है?
हमारी संस्कृति हमें बताती है कि परिवार बिना शर्त सपोर्ट देता है, (हालांकि यह हमेशा सही नहीं होता)
वह आखिरी दृश्य जिसके बारे में हम सोच सकते हैं कि वहाँ हम दुखी हो सकते हैं, हमारे साथ विश्वासघात हो सकता है, जहां हमें निराशा मिलेगी या हमें त्याग दिया जाएगा, वह बेशक हमारा परिवार है।
- जबकि जितना हम सोच सकते हैं उससे ज्यादा हमें इसका सामना करना पड़ता है। हमारे परिवार के आदर्श मान जाने व्यक्ति जिनसे हमें उम्मीद होती है कि वे हमें सहारा देंगे और इस दुनिया में जीने का सही तरीका सिखायेंगे जिससे हम आत्मविश्वास के साथ अपना जीवन व्यतीत कर सकें वे ही अक्सर हमारे साथ भेदभाव करते हैं और हमें नीचा दिखाते हैं।
- एक बच्चे, किशोर या फिर एक वयस्क व्यक्ति के लिए भी परिवार के अन्दर हुआ धोखा या तकरार बेहद दुखदायी परिस्थिति होती है जिसके लिए आप कभी भी पहले से तैयार नहीं रह सकते।
- परिवार के सदस्यों के बीच हुए धोखे या पारिवारिक मनमुटाव का असर हमारे मन पर दूसरे लोगों के दिए धोखे से कहीं ज्यादा गहरा होता है। इस तरह परिवार के सदस्यों के बीच हुआ यह विवाद हमारी जड़ों को और हमारे अस्तित्व को भी हिलाने की क्षमता रखता है।
पारिवारिक अनबन और झगड़े पीढ़ी दर पीढ़ी चलते हैं
एक परिवार केवल वंशवृक्ष, जेनेटिक कोड या सिर्फ उपनाम ही साझा नहीं करता।
एक परिवार कहानियाँ और इतिहास भी साझा करता है और इन कहानियों में वे बातें भी होती हैं जिनमें किसी का दिल दुखाया गया होता है। इसी प्रकार यह तकरार और झगड़े लगभग हमेशा ही चलते रहते हैं।
उदाहरण के तौर पर एपिजेनेटिक्स के आधार पर यह साबित हो चुका है कि हमारे आसपास होने वाले घटनाक्रम का सीधा असर हमारे जीन पर होता है। डर, अत्याधिक तनाव, चिंता जैसे विकार माता-पिता के ज़रिये बच्चों में भी उत्पन्न होते हैं।
अन्य शब्दों में, विपरीत परिस्थितियों का सामना करने की प्ररेणा या परिस्थिति के सामने बिखर जाने की प्रवृत्ति हमें हमारे जीन के आधार पर भी मिलती है।
दूरी बढ़ा लेने से कड़वाहट कम नहीं होती
पारिवारिक अनबन में एक समय ऐसा आता है जब हम सोचते हैं कि बस अब बहुत हुआ और अब हम साथ नहीं रह सकते। हम यह कठोर कदम इसलिए उठाते हैं जिससे हम अपना जीवन शान्ति से गुजार सकें।
लेकिन यकीन मानिए यह सब इतना आसान नहीं है। अपने परिवार का साथ छोड़कर आगे बढ़ना हमें भी क्षति पहुंचाता है। ये घाव अपने आप कभी भी नहीं भरते। यह एक शुरुआत हो सकती है, लेकिन अंत कभी नहीं।
अपने परिवार, उससे जुड़ी यादों को पीछे छोड़ना कभी भी किसी के लिए आसान नहीं रहा है, और यह आपके लिए भी कठिन होगा।
ऐसी चीज़े भी होती हैं जो कि हमारे अस्तित्व से जुड़ी हुई होती हैं और यह तय करती हैं कि हम दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं।
वे व्यक्ति जिनके परिवार में ऐसी कोई घटना हुई होती है वे कई प्रकार से अजीब व्यवहार करने लगते हैं। उन्हें रिश्ते बनाने और निभाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
जिन व्यक्तियों के साथ ऐसा हादसा होता है, उन्हें हर बात पर भरोसा दिलाने की आवश्यकता होती है। उनके भीतर एक खालीपन आ जाता है जिसे भरना जरूरी होता है। इसी कारण कई बार ये व्यक्ति कुंठाग्रस्त हो जाते हैं क्योंकि उन्हें जिस चीज़ की आवश्यकता होती है, वह उन्हें नहीं मिलती।
ऐसी परिस्थिति में हमारी यही सलाह है कि आप खुद को ठीक करने की कोशिश करें न कि दूसरों में अपनी समस्या का समाधान ढूंढें।
हम स्वयं से प्रश्न कर सकते हैं
यह संभवतः सबसे दुखद और सबसे विषम परिस्थिति है।
वह व्यक्ति जिन्होनें अपना बचपन या ज्यादातर वक्त ऐसे परिवार में गुज़ारा है जहाँ लड़ाई-झगड़ा एक आम बात हो, उनमें एक विरक्ति का भाव पैदा हो जाता है और वे मानने लगते हैं कि उन्हें प्यार मिलने का कोई हक नहीं है।
माता-पिता से मिलने वाला प्यार और सीख हमारे व्यक्तित्व को बनाने में सहायक होती है और हममें आत्मसम्मान की भावना उत्पन्न होती है।
पारिवारिक अनबन का काफी गहरा नेगेटिव असर हो सकता है। संभव है कि हम काफी समय यह सोचने में लगा दें कि क्या हम किसी लायक हैं? क्या हमारा कोई अस्तित्व है? क्या हमें भविष्य के लिए कोई सपना देखने का हक भी है?
हमारा परिवार या तो हमारे ख़्वाबों को उड़ान दे सकता है, या फिर उन्हें तोड़ सकता है। यह काफी दुखद है।
फिर भी एक बात हमें हमेशा याद रखनी चाहिए। कोई भी अपने माता-पिता या फिर अपने रिश्तेदारों को नहीं चुन सकता। लेकिन जीवन में एक समय ऐसा अवश्य आता है जब हम अपने जीवन की राह चुन सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते है कि भविष्य कैसा होगा।
सकारात्मक बनने, खुद को खुश रखने और भावनात्मक रूप से परिपक्व बनने की राह चुनिए! इसके लिए आपको अपने अतीत से बाहर आने, उन जख्मों को भरने की ज़रूरत होगी।