क्या खुद को बदलने का वायदा आपके रिश्ते को वापस पा सकता है?
क्या आप एक रिश्ते को फिर से पाने या बनाए रखने के उद्देश्य से स्वयं को बदलने का वायदा कर रहे हैं,? क्या कभी किसी ने आपके साथ ऐसा किया है?
ऐसी घटना अक्सर तब घटती है जब आपको लगता है, रिश्ता टूटने वाला है, लेकिन आप इसे मानने से इंकार कर देते हैं।
सबसे अजीब बात यह होती है कि जब कोई बदलने का वायदा करे तो अच्छी बात यह हो सकती है कि रिश्ते का अंत हो जाए।
क्यों?
क्योंकि ये वायदे कभी-कभी आपके साथ चालाकी करने का प्रयास होते हैं।
खोना रोकने के लिए बदलाव का वायदा
मान लीजिए कि आप जिस व्यक्ति के साथ हैं वह विश्वासघाती था और जब आपको पता चलता है तो आप उनसे सीधे-सीधे संबंध तोड़ लेते हैं।
आपका साथी मायूसी से बाहर निकलकर आपको समझाने की तमाम कोशिश करता है कि वह एक गलती थी जो फिर कभी नहीं होगी। आपकी स्वीकृति की चाह में उनके मुख से वायदे की झड़ी लग जाती है।
वह याचना करता / करती है और किसी तरह आपकी दया या रहम पा लेता/लेती है। यह काम कर जाता है और आप उसे एक दूसरा मौका दे देते हैं।
हालांकि यह बदलाव के बारे में नहीं है, बल्कि इस बात से अवगत होने के बारे में है कि समय की गरमाहट में वह कितने वादे करता/करती है।
दूसरे शब्दों में कहें, तो यह मात्र एक प्रयास है आपको खोने से बचने का।
इसका मतलब क्या है?
इसका मतलब है कि वायदा पूरा नहीं होता। वास्तव में जिस क्षण आप उन्हें दूसरा मौका देते हैं, चीजें ठीक पूर्व अवस्था में चली जा सकती हैं, जैसी वे थीं।
रिश्तों में स्वार्थ
अक्सर हम यह देखना ही नहीं चाहते कि हालात कितने बिगड़ रहे हैं। हम केवल अपनी चाहत पर ध्यान केंद्रित करते हैं, अतः हम अपने और उनकी सेहत का बलिदान त्याग करने के लिए तैयार रहते हैं।
ऐसा अक्सर भावनात्मक निर्भरता के रूप में होता है। आपने बदलाव का वायदा किया है क्योंकि आप उस व्यक्ति को नहीं खोना चाहते जो आपके व्यसन का लक्ष्य है।
हालांकि, आप कोई ऐसा वादा नहीं कर सकते जिस पर आपको भरोसा ही न हो।
आखिरकार, वादे आप दोनों को धोखा देते हैं।
आपके इरादे अच्छे हो सकते हैं, लेकिन क्या आपको यकीन है कि ऐसा होगा ही?
आप ऐसा कुछ भी दुहराने के लायक नहीं हैं। आप उनसे चालबाजी करने के लिए झूठ बोलने के योग्य भी नहीं हैं।
अगर उसने बदलने का वादा किया है, तो निश्चित हो लें कि इसके पीछे कहीं कोई स्वार्थ तो नहीं है।
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दर्द को बढ़ाते जाना
बदलाव के वायदे से ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है जो आपके दर्द को और अधिक बढ़ा देगी।
इसीलिए इसे दूर तक ढोने से बेहतर है, आप वस्तुनिष्ठ और यथार्थवादी बनें।
उन वादों पर न अटकें जो कभी यथार्थ में नहीं बदलने वाले।
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आइए, हम इन फंदों से बच कर रहें और अपने आप को दया और रहम के हवाले न करें। स्थिति का अवलोकन करने के लिए कुछ समय अकेले गुजारें।
कोई आपसे नहीं कह रहा कि तुरंत फैसला करना है। अपने आपको इतना समय दें कि स्थिति को अधिक स्पष्ट और सटीक दृष्टिकोण से परख सकें।
Illustrations courtesy of Paula Bonet