भावनात्मक शोषण के 5 परिणाम जिनकी ओर आपको ध्यान देना चाहिये

मनोवैज्ञानिक शोषण की वजह से भावनात्मक ब्लॉकेज और ट्रॉमा हो सकता है जो इतनी दूर तक जाता है जितना शायद हमें शुरू में अहसास ही नहीं हो पाता। यह हमको भविष्य में स्वस्थ रिश्ते बनाने से रोक सकता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है कि हम जल्दी से जल्दी इनकी ओर ध्यान दें।
भावनात्मक शोषण के 5 परिणाम जिनकी ओर आपको ध्यान देना चाहिये

आखिरी अपडेट: 04 जुलाई, 2018

भावनात्मक शोषण या इमोशनल एब्यूज एक तरह की हिंसा है जिसका पीड़ित व्यक्ति की इमोशनल स्टेबिलिटी पर असर होता है। इसकी वजह से व्यक्ति डर जाता है। वह अपने को गुनहगार और एकदम निकम्मा समझता है।

आमतौर पर, आक्रामक व्यक्ति दूसरों का फायदा उठाने वाली प्रवृत्ति का होता है। वह दूसरे व्यक्ति के प्यार या स्नेह की भावनाओं का फायदा उठाकर उसके जीवन पर करीब-करीब पूरा नियंत्रण हासिल कर लेता है।

इतना गहरा असर करने के बावजूद भी, यह एक ऐसा शोषण है जिसे पहचानना बहुत मुश्किल होता है। क्योंकि ज्यादातर पीड़ित व्यक्तियों को उस समय इसके बारे में पता भी नहीं चलता है।

वे आमतौर पर शोषण करने वाले के गलत व्यवहार को न्यायोचित ठहराने या सही सिद्ध करने की कोशिश करते हैं। इसके पीछे उनकी शोषण करने वाले के प्रति भावनात्मक निर्भरता की भावनायें होती है (चाहें वह उनका साथी, परिवार का सदस्य या दोस्त हो)।

लेकिन यह एक खास चिंता की बात है। हालांकि सही मदद मिले तो इस पर काबू पाया जा सकता है, फिर भी भावनात्मक शोषण अंत में पीड़ित व्यक्ति को एक भावनात्मक बोझ के साथ छोड़ सकता है। यह कभी न कभी व्यक्ति के चरित्र या व्यवहार में प्रकट होगा, अक्सर अप्रत्याशित तरीकों से।

इस वजह से, यह बहुत जरूरी है कि हमको पता हो कि इसके क्या परिणाम हो सकते हैं। साथ में यह भी जानना ज़रूरी है कि उनके साथ निपटने के लिए क्या करना चाहिये।

यहाँ पर हम 5 आम लक्षणों को गहराई से देखेंगे जिनको अक्सर लोग गलती से नज़रअंदाज़ करते हैं।

1. दूसरों से स्वीकृति पाने की कोशिश करना

भावनात्मक शोषण

हर समय दूसरों से अप्रूवल या स्वीकृति पाने की तीव्र इच्छा साइकोलॉजिकल शोषण का एक दीर्घकालीन नतीजा होती है।

यह कई बार अपने को अप्रत्याशित तरीके से आगे बताये गये व्यवहार के रूप में व्यक्त करती है:

  • हमेशा दूसरों को संतुष्ट करने के लिए बेकरार रहना।
  • अपने व्यक्तित्व को दूसरे व्यक्ति के अनुसार बदलना।
  • बहुत ज्यादा दयालु होना।
  • अपने हित को छोड़कर दूसरों की जरूरतों को पूरा करना।

अपने को पर्याप्त न समझने की भावना की वजह से सामाजिक वातावरण में स्वीकृति पाने की जरूरत पैदा होती है, यहाँ तक कि अपने सबसे करीब के लोगों से भी।

लेकिन हमें याद रखना चाहिये कि हमारीअसली अहमियत सिर्फ इस पर आधारित नहीं है कि हम दूसरों के लिए क्या करते हैं। दरअसल आगे चलकर इस तरह के व्यवहार का पैटर्न वास्तव में एक कमजोरी बन सकता है।

इसके लिए क्या करें

  • पहला सबसे ज़रूरी कदम है कि आप यह पूरी तरह समझ जायें कि ऐसे पैटर्न्स पॉज़िटिव नहीं हैं, खासतौर से अगर वे आपके दर्द को बढ़ाते हैं।
  • यह एक सामान्य बात है कि जब आपको पता चलता है कि आप इस तरह के व्यवहार के पैटर्न में फंस रहे हैं, आप सोचते हैं कि आप सिर्फ दुनिया से छिपने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन यह सही उत्तर नहीं है।
  • इसकी जगह अपनी आत्म सम्मान की भावना को फिर से पाना और अपने साथ सहज होने के लिए कुछ समय निकालना, आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका है।

2. भावनात्मक शोषण के कारण रोष

साइकोलॉजिकल आक्रामकता से पीड़ित होने के बाद रोष महसूस करना एक आम बात है। यह अपने प्रति और दूसरे व्यक्ति के प्रति हो सकता है जिसने नुकसान पहुंचाया है।

यह समय के साथ बढ़ता है। इसके अलावा यह अंत में दोषी होने की भावना, चिड़चिड़ापन और आशाभंग के रूप में व्यक्त हो सकता है।

कुछ जटिल मामलों में, शोषित व्यक्ति के रक्तचाप में बदलाव आता है और उसे डिप्रेशन भी हो सकता है।

इसके लिए क्या करें

  • रोष की भावनाओं का सामना करते समय क्षमा करने का प्रयास करके आत्मा को स्वस्थ किया जा सकता है।
  • यह कोई ऐसी चीज नहीं है जो रात भर में प्राप्त हो सकती है। लेकिन इसे पाना संभव है अगर आप अपने अंदर की नेगेटिव भावनाओं का पोषण करना बंद करने की कोशिश करेंगे।

3. एंग्जायटी और डिप्रेशन

भावनात्मक शोषण: एंग्जायटी डिप्रेशन

एंग्जायटी और डिप्रेशन मनोवैज्ञानिक विकार हैं जो आमतौर पर उन लोगों को प्रभावित करते हैं जो शारीरिक या भावनात्मक शोषण से पीड़ित हो चुके हैं।

आत्म सम्मान के नष्ट होने और निरंतर दोषी होने की भावनाओं का अनुभव करने की वजह से भावनाओं का एक नेगेटिव चक्कर शुरू हो जाता है। यह उनको आत्म विनाश की ओर ले जा सकता है।

अगर इस तरह की भावनाओं पर नियंत्रण नहीं किया जाता है तो व्यक्ति के मन में मरने की इच्छा उत्पन्न हो सकती है। ऐसी स्थिति में लोगों के मन में निराशा की भावना और सोने में कठिनाई होना एक आम बात है।

इसके लिए क्या करें

  • हमने जिन भावनाओं के बारे में बताया है अगर आपको इनमें से कोई भावना अपने अंदर या किसी और जान पहचान के व्यक्ति में नज़र आये तो किसी प्रोफेशनल साइकोलॉजिस्ट से मदद लें।
  • दवाइयों के कई कोर्स उपलब्ध हैं जिनके बारे में एक प्रोफेशनल आपको बता सकता है और जिससे आपको राहत मिल सकती है।

4. दूसरों से सम्बंध बनाने में परेशानी

भावनात्मक शोषण का एक बहुत बड़ा परिणाम है, इसके कारण व्यक्ति के मन में रह जाने वाला डर। इसके सर्वाइवर को नये रिश्ते स्थापित करने में बहुत परेशानी हो सकती है। यह अक्सर इसलिए होता है क्योंकि उनको डर लगता है कि कहीं वे फिर से पहले जैसी स्थिति में न फंस जायें जिससे वे बड़ी मुश्किल से बाहर निकलें हैं।

भावनात्मक शोषण का उनकी भावनाओं पर होने वाला हानिकारक असर उनकी रोजाना काम करने और दूसरों के साथ बातचीत करने की क्षमता को कम कर सकता है।

इसके अलावा, वास्तविक भावनात्मक शोषण के अंत होने के बाद भी आत्म सम्मान और सुरक्षित महसूस करने की समस्यायें लम्बे समय तक रहती हैं। बचने वालों को भविष्य में जहरीले संबंधों में पड़ने का ज्यादा खतरा होता है।

इसके लिए क्या करें

  • सबस अच्छे रिश्ते वह होते हैं जो समय के साथ बनते हैं, जिसमें दोनों व्यक्ति अपने को स्वीकार करते हैं और बराबर से दूसरे व्यक्ति को वह जैसा है वैसा स्वीकार करते हैं।
  • जो व्यक्ति भावनात्मक शोषण के बाद स्वस्थ रिश्ते बनाना चाहता है, उसके लिए अपने आत्म-सम्मान पर काम करना और रिश्ते स्थापित करने से पहले दूसरे लोगों को जानने का तरीका सीखना एक ज़रूरी कदम हैं।

5. स्तब्ध होने की भावनायें

भावनात्मक शोषण: स्तब्ध

दर्दनाक स्थितियों, जिनमें आपके आत्म सम्मान पर अक्सर हमला किया जाता है, से गुजरने के बाद आपके अंदर ब्लॉकेज उत्पन्न हो जाता है जो आपको अपनी भावनाओं को महसूस करने और व्यक्त करने से रोकता है।

इस तरह के मामलों में हो सकता है कि पीड़िता एकदम दुखी न हो। लेकिन उसे खुशी की भावनाओं का भी अनुभव नहीं होता है, जबकि खुश होने के काफी अच्छे कारण मौजूद होते हैं।

ऐसा लगता है जैसे शोषण से बाहर निकलने के बाद भी एक अंदरूनी बाधा है जो पीड़िता को भावनाओं की पूरी श्रंखला को अनुभव नहीं करने दे रही है, वे भावनाएं जो शोषण से पहले अनायास उत्पन्न होती थीं।

इसके लिए क्या करें

  • इस तरह की स्तब्ध होने की भावनाओं को बिलकुल काबू में किया जा सकता है। समय और इच्छा के साथ सब कुछ हो जाता है।
  • दरअसल पहले स्तब्ध होने की भावना बहुत सहायता कर सकती है। यह आपको ज्यादा निष्पक्ष निर्णय लेने में मदद कर सकती है। शुरू में आपके लिए यह मुश्किल हो सकता है। लेकिन समय के साथ आप देखेंगे कि घाव भरने लगे हैं और आप फिर से पहले जैसा महसूस कर पा रहे हैं।
  • इस समय आपके चारों ओर जो लोग होते हैं उनकी बहुत अहमियत होती है। यह पक्का कर लें कि आपके आसपास ऐसे लोग हों जो नेगेटिव भावनाओं से पूरी तरह से छुटकारा पाने में आपकी मदद करें।

मनोवैज्ञानिक शोषण के परिणाम रात भर में गायब नहीं हो जायेंगे। स्वस्थ होने, आगे चलने और अतीत से आगे बढ़ने की प्रक्रिया में सहारे, सहानुभूति और ढेर सारी इच्छा शक्ति की जरूरत होती है। पहले सबकुछ बहुत खराब लग सकता है और आपको यह डर लग सकता है कि ट्रॉमा की वजह से जो चोट लगी है वह कभी ठीक नहीं होगी। लेकिन आप यकीन कीजिये, प्यार और समय के साथ, आपने जो पीड़ा सही है उसे आप भूल जायेंगे और एक अच्छा जीवन प्राप्त कर सकेंगे।



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