प्रीइमप्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस
प्रीइमप्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस (PGD) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसे एसिस्टेड रिप्रोडक्शन से पहले की जाती है। इसे आर्टिफीसियल फर्टिलाइजेशन भी कहा जाता है। इसे तब किया जाता है जब एक महिला प्राकृतिक तरीकों से गर्भवती नहीं हो पाती है।
इस लेख में हम पीजीडी की व्याख्या करेंगे। हम आपको बताएंगे, यह प्रेगनेंसी के लिए कैसे फायदेमंद होता है और सफलता पाने के लिए डॉक्टरों को कौन से तरीके अपनाना चाहिए।
प्रीइंप्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस क्या है?
मूल रूप से प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस ओवा और भ्रूण की स्टडी करती है। यह एम्ब्रॉय की इम्प्लान्टिंग से बचने के लिए किया जाता है जिससे गर्भपात हो सकता है या एक ऐसे बच्चे के जन्म के रूप में जो पूरी तरह से स्वस्थ नहीं होता।
यह एसिस्टेड रिप्रोडक्शन का एक फायदा है। कोई महिला प्राकृतिक रूप से गर्भवती होने पर स्वस्थ या अस्वस्थ भ्रूण के बीच चयन नहीं कर सकती है। पर प्रीइमप्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस बच्चे को डाउन सिंड्रोम या टर्नर सिंड्रोम के साथ पैदा होने से रोकती है।
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मेथड
महिला के युटेरस में में अंडे को इम्प्लांट करने से पहले डॉक्टर प्रीइमप्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस करते हैं। इसके लिए वे इन विट्रो फ़र्टिलाइजेशन करते हैं और फ़र्टिलाइज अंडे को एक ग्लास कैप्सूल में डालते हैं। फिर यह विश्लेषण करने के लिए कि वे कैसे विकसित हो रहे हैं, तीन से पांच दिनों तक इंतज़ार करते हैं।
निश्चित वक्त के बाद किसी भी जेनेटिक समस्या की खोज करने के लिए प्रत्येक भ्रूण की बायोप्सी करते हैं। इसके बाद डॉक्टर तीन स्वस्थ भ्रूण का चयन करते हैं और उन्हें महिला के गर्भाशय में इम्प्लांट करते हैं।
हालाँकि इस बारे में ज्यादातर लोगों के कुछ सवाल ज़रूर होते हैं:
यदि महिला प्रेग्नेंट नहीं हुई तो क्या होगा? क्या उसे फिर से इस प्रक्रिया से गुजरना होगा?
नहीं। भले ही सिर्फ तीन भ्रूणों को इम्प्लांट के लिए चुना गया था, लेकिन कई दूसरे हेल्दी भ्रूण भी हो सकते हैं। इन मामलों में डॉक्टर उन्हें फिर से प्रक्रिया को अजमाने के लिए आज़ाद कर सकते हैं।
एक उपयोगी तकनीक
यह तकनीक उन कपल के लिए विशेष रूप से उपयोगी है जिनकी गंभीर जेनेटिक रोगों की फैमिली हिस्ट्री है या जो ऐसी किसी बीमारी से पीड़ित हैं।
आप सोच सकते हैं कि यह केवल तब किया जा सकता है जब कोई महिला स्वाभाविक रूप से गर्भवती न हो सके, पर तथ्य यह है कि यह उन मामलों में बहुत ही उपयोगी तकनीक है जिनमें कोई बीमारी विरासत में मिली है।
इस तरह हेल्थ प्रोफेशनल जीवन में बदलाव करने वाले किसी वंशानुगत समस्या से मुक्त एक स्वस्थ भ्रूण चुन सकते हैं। यह ऐसी तकनीक है, जिसकी इन स्थितियों में स्वाभाविक रूप से सिफारिश की जाती है।
हालाँकि, यह अभी भी अभी बड़ी बहस का मुद्दा बना है।
प्रीइप्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस की नैतिकता
भ्रूण को लेकर अभी भी कुछ नैतिक आपत्तियां हैं।
कुछ मामलों में लोग मानव भ्रूण की व्यक्तिगत गरिमा और चीजों के प्राकृतिक क्रम को बनाए रखने के बारे में चिंतित हैं। कुछ लोगों का मानना है कि प्रीइम्प्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस इसके खिलाफ है क्योंकि यह मेडिकल प्रोफेशनल को हेल्दी एम्ब्रॉय का चयन करने की सहूलियत देता है जो किसी भी जेनेटिक बदलाव से मुक्त हैं।
निस्संदेह यह ध्यान में रखने के लिए एक बहुत ही स्वस्थ बहस है।
हालांकि जो बातें इस प्रक्रिया के पक्ष में हैं, वे स्वस्थ बच्चों की परवरिश की उम्मीद से जुड़ी हैं।
आज ऐसे तरीके मौजूद हैं इसलिए बच्चे ऐसी बीमारियों के साथ पैदा नहीं होते हैं जो उन्हें कम समय तक जीने देती हैं।
विकल्प उपलब्ध है, विशेषकर उन महिलाओं के लिए जो गर्भवती नहीं हो सकती हैं या जिन्हें बीमार बच्चे होने का डर है। यह ध्यान में रखने के लिए एक वैध विकल्प है।
यदि आपके परिवार में कोई डिजेनेरेटिव बीमारी चल रही है, तो क्या आप प्रीइमप्लांटेशन जेनेटिक डायग्नोसिस से गुजरेंगे? आप इस प्रक्रिया के बारे में क्या सोचते हैं?
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