निगलने में होने वाली समस्याएं
निगलने में होने वाली समस्या मुंह से पेट तक के भोजन नली में बदलाव ला देंगे। कुल मिलाकर उनमें कुछ तरह की गड़बड़ियों का एक पूरा ग्रुप शामिल है। हालांकि उनमें जो समानता है वह यह कि वे सभे भोजन निगलने की प्रक्रिया में असर डालती हैं।
इन गड़बड़ियों की जड़ें अलग-अलग होती हैं और इसलिए विभिन्न लक्षणों के साथ भी उभर सकती हैं। कभी-कभी यह एक स्पष्ट समस्या होती है (उदाहरण के लिए निगलने में असमर्थता)। हालांकि दूसरे वक्त ठीक से खाने में सक्षम नहीं होने से लेकर जटिलताओं की पूरी की पूरी सीरीज शुरू होती है और पीड़ित व्यक्ति अपनी समस्या से अवगत नहीं होता है।
दुर्भाग्य से निगलने में होने वाली समस्याएं काफी आम हैं। ये ख़ास तौर पर बूढ़े लोगों को प्रभावित करती हैं और यहां तक कि गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी पैदा कर सकती हैं, जैसे कि कुपोषण या निर्जलीकरण। इस लेख में हम आपको उनके बारे में जानने लायक ज़रूरी सभी चीजों की व्याख्या करेंगे।
निगलने की प्रक्रिया
निगलने की प्रक्रिया बेहद जटिल होती है जिसमें मुंह और ग्रसनी (pharynx), स्वरयंत्र (larynx) और घुटकी (esophagus) की कई मांसपेशियां शामिल होती हैं। इसका मकसद भोजन को पचाने के लिए मुंह से पेट में पहुंचाना होता है। मांसपेशियों के अलावा कई नर्व मसल मूवमेंट को में तालमेल बैठाने का काम करती हैं।
निगलने को तीन स्टेज में बांटा गया है : ओरल, ग्रसनी से सम्बंधित (pharyngeal) और घेघ से सम्बंधित (esophageal)। भोजन मुंह में चबाने का स्टेज ओरल होता है। यह भोजन को एक बोलस में तब्दील कर देता है जो फेरिंक्स की ओर जाता है। एक बार वहाँ पहुँचते ही दूसरा चरण शुरू होता है।
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दूसरे यानी फेरिन्जियल स्टेज में मांसपेशियों के बीच तालमेल जिसका हमने पहले जिक्सर किया है, विशेष अहम है। क्योंकि यह भोजन को स्वरयंत्र में जाने से रोकता है, और इससे श्वसन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं और यहां तक कि दम भी घुट सकता है। इस तरह अब तक निगलना एक स्वैच्छिक क्रिया है।
फिर तीसरा चरण शुरू होता है। मांसपेशियों के एक्शन से यह आखिर इसोफैगस तक पहुंचता है, और श्वावांस मार्युग या नाक से वापस नहीं लौट जाता। इसोफेजियल स्टेज में भोजन पेरिस्टलसिस (peristalsis) की बदौलत पेट तक पहुंच जाता है। इस प्रक्रिया में इनवालंटियरी मसल कॉन्ट्रैक्शन और रिलैक्सेशन की पूरी एक चेन होती जो भोजन को पाचन तंत्र में ले जाती है।
निगलने में होने वाली समस्या
जैसा कि हमने ऊपर बताया निगलने में होने वाली समस्याओं की चेन है जिनकी अकेली सामान्य विशेषता यह है कि वे इस प्रक्रिया को प्रभावित करती हैं। दूसरे शब्दों में उनकी जड़ें अलग-अलग हो सकती हैं और लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं।
हालांकि ज्यादातर निगलने में होने वाली समस्याएं डिस्फैजिया का कारण बनती हैं। डिस्फैजिया का मतलब निगलने में होने वाली कठिनाई है। यह इस सनसनी का कारण बनती है मानो भोजन कहीं गले में रुक रहा है। यह अनुमान लगाया गया है कि 50 की उम्र से ऊपर के लगभग 15% लोग डिस्फैजिया महसूस करते हैं। इसके अलावा यह अन्नप्रणाली या ग्रसनी में ट्यूमर होने के मुख्य लक्षणों में से भी एक है। इसलिए डॉक्टर को इस स्थिति की सही जांच करने की ज़रूरत होती है।
इसके अलावा निगलने में होने वाली समस्याएं नेजल रिगर्जिटेशन या सक्शन जैसे लक्षणों के साथ उभर सकती हैं, जैसे कि खांसी और घुटन। कभी-कभी निगला गया भोजन तुरंत बाहर आ जाता है।
दूसरे लक्षण
दूसरा लक्षण जो आमतौर पर इन स्थितियों के साथ उभरता है, वह है निगलने के साथ होने वाला दर्द। इसके लिए मेडिकल शब्दावली है ओडिनोफैजिया (odynophagia)। यह फेरिंक्स या इसोफैगस में चोट के कारण होता है। कुछ तरह के इन्फेक्शन में भी यह आम है।
हालांकि यह जानना अहम है कि सभी निगलने वाली समस्यायें लक्षणों के साथ नहीं होती हैं। जैसा कि हमने ऊपर बताया है, कभी-कभी निगलने की प्रक्रिया में महज बदलाव से होने वाली जटिलताएं भर देखी जा सकती हैं। उदाहरण के लिए साँसे से जुड़ी जटिलताएं आम हैं, क्योंकि सांसनली में बलगम घुस जाता है। यह कई तरह के संक्रमण से जुड़ा हुआ है जैसे कि निमोनिया।
एक और भी स्थिति है जिसमें निगलने में होने वाली समस्याएं आम लक्षण नहीं पेश करती हैं। यह है पार्किंसन रोगियों में प्रभावित करते हैं, जिनके पाचन तंत्र में विशेष समस्याएं होती हैं, और जिनमें लक्षण साफ़ तौर पर नहीं उभरते। वे इस वजह से कुपोषण और डिहाइड्रेशन से पीड़ित होते हैं।
कुल मिलाकर अगर आपको किसी भी तरह की समस्या है, जो निगलने की प्रक्रिया पर असर डाल रही है, तो डॉक्टर से सलाह लें। क्योंकि इन गड़बड़ियों के कारण अलग-अलग हैं और सही डायग्नोसिस अनिवार्य होती है।
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