स्किजोफ्रेनीफॉर्म रोग के बारे में सबकुछ जानें
स्किजोफ्रेनीफॉर्म रोग एक तरह की स्किजोफ्रीनिया है जिसके लक्षण भी इसके समान ही होते हैं। लेकिन ये लक्षण हमेशा एक से ज्यादा और छह महीने से कम समय तक बने रहते हैं, और अपने प्रोडर्मल, एक्टिव और रेसिडुअल फेज से गुजरते हैं।
जब किसी रोगी में स्किजोफ्रीनिया ( schizophrenia ) के लक्षण होते हैं, लेकिन वे इस स्थिति की डायग्नोसिस के लिए ज़रूरी छह महीने तक मौजूद नहीं होते हैं, तो वे स्किजोफ्रेनीफॉर्म रोग (Schizophreniform) से पीड़ित हैं। आमतौर पर इन रोगियों में से 60 से 80% मरीज स्किजोफ्रीनिया के चरण में पहुँचते हैं। कुछ स्थितियों में रोगी बाईपोलर या स्किजोइफेक्टिव रोग से पीड़ित होता है।
किसी रोगी में स्किजोफ्रेनीफॉर्म रोग की डायग्नोसिस करने के लिए उनके सिम्पटम दवाओं, रिक्रिएशनल ड्रग्स या किसी चिकित्सा या अन्य मनोवैज्ञानिक समस्याओं से पैदा नहीं होने चाहिए।
स्किजोफ्रेनीफॉर्म रोग
इपिडीमिऑलॉजी
सभी संस्कृतियों के लोग इस रोग का शिकार हो सकते हैं और 50% मामलों में पहले स्किज़ोइड पर्सनालिटी डिसऑर्डर का इतिहास होता है। हाल के अध्ययनों का अनुमान है, आबादी का 1% से कम हिस्सा इससे पीड़ित है।
अगर माता-पिता में स्किजोफ्रीनिया की गड़बड़ी हो, तो 20-40% संभावना है कि उनके बच्चे इससे पीड़ित होंगे। यह समस्या स्किज़ोफ्रेनिया में भी विकसित हो सकती है।
यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में प्रकट होता है, पर आमतौर पर नौजवान पुरुषों में यह ज्यादा आम है। पहले एपिसोड के बाद 30% रोगियों के मामले में यह दोबारा नहीं उभरता। हालांकि बाकी 70% लोग क्रोनिक सिज़ोफ्रेनिया की ओर जाते हैं।
स्किजोफ्रेनीफॉर्म रोग के लक्षण
कुल मिलाकर स्किज़ोफ्रेनिफॉर्म रोग के बुनियादी लक्विषण स्किजोफ्रीनिया के समान हैं। हालांकि इनमें दो बड़े अंतर हैं:
पहली, रोग की अवधि अलग-अलग होती है। जैसा कि हमने ऊपर बताया है, यह कम से कम एक महीने से लेकर छह महीने से कम समय तक तक चलनी चाहिए। इसी तरह यह रोग मरीज को सामाजिक या व्यावसायिक रूप से प्रभावित नहीं करता।
कुल मिलाकर स्किज़ोफ्रेनिफॉर्म रोग के लक्षणों को दो ग्रुप में बांटा गया है: पॉजिटिव और नेगेटिव।
मरीज को हेलोसिनेशन और पैरानोइया (सकारात्मक लक्षण) का अनुभव हो सकता है और उदासीनता (नकारात्मक लक्षण) का अनुभव भी।
पॉजिटिव सिम्पटम
इनमें मुख्य हैं:
हेलोसिनेशन (Hallucinations) : वे संवेदनाएं जो रोगी को बिना किसी बाहरी उत्तेजना के पांचों इंद्रियों में से किसी से भी अनुभव हो सकती हैं। सबसे आम उदाहरण उन चीजों या लोगों को देखना-सुनना है जो हैं ही नहीं।
डिल्युजन (Delusions) : ये विकृत विचार हैं जिन्हें रोगी दृढ़ता से मानता है। वे अक्सर असुविधा या एंग्जायटी का कारण हो सकते हैं। सबसे आम भ्रम नॉन-एक्जिस्टेंट पर्सिक्युशन है।
अव्यवस्थित वक्तव्य और विचार : विचारों में तार्किक बुनावट का अभाव होता है। रोगी असंगत भाषण देता है।
अव्यवस्थित व्यवहार : रोगी कई तरह के उद्भट व्यवहार करता है, जैसे कि बिना किसी कारण के चिल्लाना, अतार्किक व्यवहार, गर्मियों में गर्म कपड़े पहनना।
नेगेटिव सिम्पटम
नेगेटिव सिम्पटम मरीज के व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं। सबसे अहम हैं:
- फ्लैट इफेक्ट : रोगी भावनाओं की एक पूरी रेंज को महसूस करने में असमर्थता का अनुभव करता है। उदाहरण के लिए वे लोगों की आँखों नहीं देखते और उनका भषण मोनोटोनस हो सकता है।
- एपैथी और लेथार्जी : एपैथी चीजों में दिलचस्पी की कमी है, जबकि लेथार्जी या सुस्ती एनर्जी का अभाव है। उदाहरण के लिए रोगी हाइजीन के मामले में बहुत गड़बड़ हो सकता है।
- एनहीडोनिया (Anhedonia) और सामाजिक अलगाव (social isolation) : उन चीजों में आनंद पाने में असमर्थता जिन्हें मरीज पहले पसंद करता था।
- एलोजिया (Alogia) : स्पीच की खराबी जिसे अक्सर वाचाघात (aphasia) के रूप में जाना जाता है।
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स्किजोफ्रेनीफॉर्म रोग का इलाज
साइकोथेरेपी
आमतौर पर साइकोथेरेपी और साइकोट्रॉपिक दवाओं से इलाज का परिणाम अच्छा ही होता है।
जब लोगों में स्किज़ोफ्रेनिफॉर्म रोग की डायग्नोसिस की जाती है उनमें लगभग आधे रोगी स्किज़ोफ्रेनिया का भी शिकार होते हैं। हालांकि इस गड़बड़ी का सही कारण अभी अज्ञात है।
इसका इलाज स्किज़ोफ्रेनिया की तरह ही है। साइकोथेरेपी और एंटीसाइकोटिक दवाएं स्किज़ोफ्रेनिफॉर्म रोग के इलाज की नींव हैं। फिर यह बताना भी अहम है कि इसकी सही डायग्नोसिस होने के लिए यह तय होना ज़रूरी है कि स्किज़ोफ्रेनिफ़ॉर्म रोग किसी दूसरी बीमारी या मादक द्रव्यों के सेवन के कारण नहीं हुआ है।
हालांकि कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी रोगियों की मदद कर सकती है,खासकर इस विकार को समझने और उससे मुकाबला करने के व्यावहारिक तरीके पेश करने में। दूसरे इलाजों और तरीकों के भी अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
अगर हिंसक या आत्म-विनाशकारी लक्षण दिखें तो अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत हो सकती है। फैमिली थेरेपी को भी इग्नोर नहीं किया जाना चाहिए। यह रोगियों को एक ऐसे आरामदेह वातावरण में अपनी समस्या से निपटने में मदद करता है जहां वे सुरक्षित महसूस करते हैं।