नवजात शिशु की त्वचा की देखभाल के कुछ अहम पहलू
नवजात शिशु की त्वचा की देखभाल सभी पैरेंट्स के लिए महत्वपूर्ण है। जैसे-जैसे स्वस्थ शिशुओं की त्वचा एक प्रतिरोधी बैरियर बनाती है, यह जीवन के कम से कम पहले साल लगातार विकसित होती रहती है।
नतीजतन बाहरी फैक्टर से सूखेपन और जलन की संभावना उम्र के दूसरे पड़ावों के मुकाबले ज्यादा होती है। इस वजह से बहुत अधिक गर्मी या ठंड एलर्जी रिएक्शन को ट्रिगर कर सकती है। कुछ प्रोडक्ट का रिएक्शन भी हो सकता है।
नवजात शिशु की त्वचा की देखभाल के बारे में जानने के लिए पढ़ते रहें।
न्यूबॉर्न बेबी स्किन केयर
सबसे पहले यह बताना जरूरी है कि बेबी क्लीनर और मॉइस्चराइज़र अच्छी तरह से सहन किए जाते हैं और स्ट्रेटम कॉर्नियम (एपिडर्मिस की सबसे बाहरी परत) को नहीं बदलते। जन्म के बाद त्वचा संवेदनशील होती है और उन फैक्टर के संपर्क में होती है जो स्किन बैरियर को नष्ट कर सकते हैं।
इसमें ये चीजें शामिल हैं:
- लार
- नाक का स्राव
- मूत्र
- मल (फेकल एंजाइम सहित)
- गंदगी
इन चीजों से रोजाना संपर्क होने के कारण त्वचा की साफ़- सफाई और बच्चे की त्वचा के बैरियर की पर्याप्त सुरक्षा जरूरी है। ऐसा करने के लिए हम सिफारिश करेंगे कि आप उन सिद्धांतों की प्रैक्टिस करें जिन्हें हम विस्तार से बताने जा रहे हैं।
नवजात शिशु की त्वचा की देखभाल : स्वच्छता
न्यूबॉर्न बेबी की स्किन की साफ़-सफाई तब शुरू होनी चाहिए जब उनके शरीर का टेम्परेचर स्टेबल हो। जन्म के समय त्वचा का पीएच न्यूट्रल होता है। बाद में यह एसिडिक हो जाता है।
एल्केलाइन सोप के उपयोग से पीएच में क्षणिक वृद्धि होती है और बच्चे को संक्रमण और जलन की आशंका होती है। इसलिए न्यूट्रल या कम-एसिड वाले साबुन की सिफारिश की जाती है।
पहले दो हफ्तों में अपने बच्चे को धीरे से और सिर्फ गर्म पानी से धोएं। पीडियाट्रिक डर्मेटोलॉजी की स्टडी के अनुसार ज्यादा टेम्परेचर, साबुन का भारी उपयोग और बार-बार या लंबा स्नान लेना स्किन के ड्राई होंने में योगदान देता है।
पर्याप्त स्वच्छता नवजात शिशु की त्वचा की केयर के लिए अहम है। आपको खुशबूदार साबुन से बचना चाहिए।
तापमान
शिशुओं की त्वचा की अच्छी देखभाल के लिए आपको बच्चे के परिवेश के तापमान पर विचार करना चाहिए। क्योंकि तापमान ज्यादा होने पर यह पसीने या हाइपोथर्मिया के उभरने का कारण बन सकता है। इस बीच, यदि बहुत ठंडक ह तो इससे हाइपोथर्मिया (hypothermia) या पैनीकुलिटिस (panniculitis) हो सकता है।
इसलिए आपको टेम्परेचर में बदलाव के खिलाफ पर्याप्त सुरक्षा बरतनी होगी, खासकर गर्मियों और सर्दियों में। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार छह महीने से कम उम्र के शिशुओं को जितना संभव हो सके सीधे धूप से अलग रखा जाना चाहिए।
इसे भी पढ़ें : 4 कारण जो बताते हैं, बच्चों के लिए देर से सोना ख़राब क्यों है
एंटीसेप्टिक सोल्युशन
स्वस्थ त्वचा की सफाई के लिए एंटीसेप्टिक्स वाले प्रोडक्ट का उपयोग अच्छा नहीं है। क्योंकि यह स्किन के माइक्रोबायोलॉजिकल एकोसिस्टम में बदलाव का कारण बनता है और दूसरे तरह के सूक्ष्मजीवों के फैलाव में योगदान करता है।
इसके अलावा, त्वचा आसानी से अल्कोहल को सोख लेती है और स्किन पीएच में जलन या बदलाव का कारण बन सकती है।
मॉइस्चराइज़र
मॉइस्चराइज़र का उपयोग नवजात शिशु की त्वचा की देखभाल के लिए किया जा सकता है। हालांकि, तभी अगर इसका फ़ॉर्मूला शिशुओं पर उपयोग के लिए सही हो। फिर वे स्नान के बाद त्वचा की प्रोटेक्टिव बैरियर को सुधारने में मदद कर सकते हैं। हफ्ते में दो बार इनका उपयोग करने पर विचार करना ठीक रहेगा।
आदर्श तरीका यह है कि स्किन फोल्ड में घुसने से बचने के लिए एक पतली लेयर ही लगाएं। अन्यथा द जर्नल ऑफ़ इन्वेस्टिगेटिव डर्मेटोलॉजी के अनुसार थर्मल डीरेगुलेशन और बैक्टीरियल कॉलोनी बन सकती है।
नेवल केयर
अम्ब्लिकल कॉर्ड का स्टंप आमतौर पर जन्म के बाद 5 से 15 दिनों के बीच गिर जाता है। इसे एक घाव माना जा सकता है और इसकी वजह से कीटाणुओं के लिए एक संभावित एंट्री पॉइंट होता है।
इसलिए आपको स्टंप को सूखा और साफ रखना चाहिए। इसके आसपास कोई गॉज या कपड़ा नहीं रखना चाहिए। ढीले कपड़े पहनाना और डायपर से उम्ब्लिकल एरिया को कवर करने से बचने की भी सलाह दी जाती है। इस मामले में एक एंटीसेप्टिक एजेंट के उपयोग की सिफारिश की जाती है और आपको इसे हर बार डायपर बदलते वक्त लगाना चाहिए।
डायपर एरिया में त्वचा की देखभाल
डायपर रैश आम हैं और कम से कम एक बार ज्यादातर शिशुओं को प्रभावित करते हैं। डायपर से ढंका हिस्सा ऐसा वातावारण लिए होता है जहाँ नुकसानदेह तत्व जमा हो सकते हैं। इस बारे में इंडियन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित एक स्टडी इस हिस्से को साफ और सूखा रखने के महत्व पर रोशनी डालती है।
डायपर में लंबे समय तक नमी बनी रहने पर घर्षण बढ़ जाता है। नतीजतन त्वचा का गीलापन बना रहता है, साथ ही पारगम्यता ज्यादा होती है और माइक्रोबियल ग्रोथ भी होता है।
लगातार डायपर बदलना नवजात शिशु की स्किन केयर में से एक है। यह डायपर रैश के जोखिम को कम कर सकता है।
इसे भी पढ़ें : बच्चों में असंयतमूत्रता (Enuresis): इसका इलाज कैसे करें?
न्यूबॉर्न बेबी स्किन केयर की बुनियादी बातें
नवजात शिशु की त्वचा नाजुक होती है क्योंकि अभी इसने अपने प्रोटेक्टिव बैरियर को पूरी तरह विकसित नहीं किया है। इस कारण अत्यंत स्वच्छता के साथ सफाई करना और यह सुनिश्चित करनाजरूरी है कि आप सबसे उपयुक्त प्रोडक्ट का उपयोग कर रहे हैं।
संक्षेप में कहें तो बच्चे की त्वचा की सेहत का ख्याल रखने और एलर्जी या इन्फेक्शन का रिस्क कम करने की जिम्मेदारी आपकी ही है। इसके अलावा आपको टेम्परेचर, एंटीसेप्टिक्स और मॉइस्चराइज़र के उचित उपयोग जैसे पहलुओं पर विचार करना होगा।
यह आपकी रुचि हो सकती है ...