एट्रोपीन : इसका असर और साइड इफेक्ट
एट्रोपीन एक दवा है। डॉक्टर कई अलग-अलग चीजों के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। इसमें मिड्रिऐटिक (mydriatic), ऐन्टीस्पैज़्माडिक, दस्तरोधी, एंटी-कैथरल (anti-catarrhal) और संवेदनाहारी (anesthetic) गुण होते हैं।
यह एक्टिव पदार्थ पादप समूह के सोलेनेसी परिवार (Solanaceae) में मौजूद बेलोडोना (belladonna) और दूसरे पौधों से आता है। प्राचीन काल से हिंदू धर्मावलम्बी बेलाडोना का इस्तेमाल करते रहे हैं। बाद में, रोमन साम्राज्य और मध्य युग में इसके जहरीले असर के लिए इसका उपयोग किया गया।
इस आर्टिकल में हम एट्रोपीन के इन गुणों के बारे में और विस्तार से बताएंगे।
- यह कैसे काम करता है
- इसके फार्माकोकाइनेटिक्स
- इसके औषधीय असर
- प्रतिक्रिया
इससे पहले कि हम विस्तार में जाएँ, और बताएं कि यह कैसे काम करता है, आपको पता होना चाहिए कि एसिटाइलकोलाइन रिसेप्टर्स क्या हैं?
एसिटाइलकोलाइन रिसेप्टर्स (acetylcholine receptors)
एट्रोपीन एक एक्टिव कम्पाउंड है जो बेलाडोना जैसे सोलेनेसी फैमिली के पौधों से निकलता है। इसका इस्तेमाल प्राचीन काल से किया जा रहा है।
एसिटाइलकोलाइन रिसेप्टर्स दरअसल रिसेप्टर्स का एक समूह है जिसमें दो अन्य प्रकार के रिसेप्टर्स भी शामिल हैं। ये मस्कैरेनिक (muscarinic) और निकोटिनिक हैं। मूल रूप से, वे सिनैप्टिक जोड़ों के बीच स्थित होते हैं। वे ज्यादातर गुच्छिकापश्च (postganglionic) स्तर पर होते हैं। हालांकि कुछ साइनेप्टिक स्तर से पहले भी होते हैं।
सभी न्यूरोट्रांसमीटर सिस्टम के रिसेप्टर्स प्रीसाइनेप्टिक स्तर पर ही होते हैं। क्योंकि वे स्रावित होने वाले एसिटिलकोलाइन की मात्रा को नियंत्रित करते हैं।
एसिटाइलकोलाइन ऐसा पदार्थ है जो मोटर न्यूरॉन्स के साइटोप्लाज्म में बनता है और एसिटाइलकोलाइन रिसेप्टर्स को सीधे एक्टिव करता है। हालांकि, बहुत कम प्रीसाइनेप्टिक रिसेप्टर्स ही इस पदार्थ के स्राव को ट्रिगर करते हैं।
एट्रोपीन : यह कैसे काम करता है
मूल रूप से एट्रोपिन मस्कैरेनिक एसिटाइलकोलाइन रिसेप्टर्स का विरोधी तत्व है। जैसा कि हमने बताया, एसिटाइलकोलाइन एक ऐसा पदार्थ है जो इन रिसेप्टर्स को सीधे सक्रिय करता है।
इसका मतलब है कि यह पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र (parasympathetic nervous system) को बाधित करता है। अनिवार्य रूप से, इसका स्पष्टीकरण इस तथ्य में है कि एसिटाइलकोलाइन रिसेप्टर्स पैरासिम्पेथेटिक प्रभावकों (parasympathetic effectors) में होते हैं। इसलिए जब कोई व्यक्ति एट्रोपीन लेता है, तो यह दूसरे अंगों के अलावा दिल, आंखों और पाचन तंत्र को भी प्रभावित करता है।
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एट्रोपीन : फार्माकोकाइनेटिक्स (Pharmacokinetics)
इस दवा को ओरल, इंट्राविनस और कई दूसरे तरीकों से भी लिया जा सकता है। इसे मुंह के रास्ते खाने पर यह डाइजेस्टिव सिस्टम में आसानी से अवशोषित हो जाता है। फिर यह ब्लडस्ट्रीम के रास्ते प्रवाहित होता है।
यह बहुत घुलनशील दवा है। इसका मतलब है, यह ब्लड-ब्रेन बैरियर और प्लेसेंटा को पार करने में सक्षम है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को विशेष रूप से सावधान रहना चाहिए अगर उनका इलाज एट्रोपीन से किया जा रहा है।
इसका हाफ-लैड करीब दो से तीन घंटे का होता है। इसके अलावा, इसका 50% और 75% मेटाबोलिज्लिम लिवर में होता है। फिर शरीर मूत्र के रास्ते मेटाबोलाइट्स और अनमेटाबोलाइज दवा को बाहर निकाल देता है।
औषधीय प्रभाव (Pharmacological Effects)
एट्रोपीन मस्कैरेनिक एसिटाइलकोलाइन रिसेप्टर्स की गतिविधि को अवरुद्ध कर देता है। इसका मतलब यह है कि यह एसिटाइलकोलाइन को उन रिसेप्टर्स के साथ मिलने की इजाज़त नहीं देता है।
यह धीरे-धीरे लार, सबम्यूकोसल और पसीने की ग्रंथियों, वैस्कुलर स्मूथ मसल्स, कार्डियक सिस्टम, डाइजेस्टिव और यूरिनरी ट्रैक्ट, गैस्ट्रिक ग्लैंड और स्वायत्त नाड़ीग्रन्थि जैसी संरचनाओं में असर करता है।
यह शरीर के इन सभी अंगों में एक एंटी-कोलिनर्जिक एजेंट (anti-cholinergic agent) के रूप में काम करता है। इसलिए इससे ये चीजें ट्रिगर होती हैं:
- टैकीकार्डिया (Tachycardia) – इसलिए इमरजेंसी में यह हृदय गति को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- पाचन स्तर पर यह पेरीस्टैल्सिस (peristalsis) और गैस्ट्रोइंटेसटिनल स्पाज्म (gastrointestinal spasms), ऐंठन (cramp) और स्राव को कम करता है।
- यह पेशाब को मुश्किल बनाता है। इसलिए यह सौम्य प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (prostatic hyperplasia) के रोगियों के लिए समस्या पैदा करता है।
- मिड्राइअसिस (Mydriasis) – यह सिलिअरी मांसपेशी (ciliary muscle) को ब्लाक करता है, जिससे ऐंठन होती है। हालाँकि यह दवा ओरल तरीके से लेने पर आंखों के मस्करानिक रिसेप्टर्स को बाधित नहीं करती है।
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एट्रोपीन की प्रतिकूल प्रतिक्रिया
इस दवा के प्रतिकूल प्रभाव इसके खुराक से जुड़े हैं। वे आम प्रतिक्रियाएं हैं, विशेष रूप से बच्चों में। इसके अलावा, एट्रोपीन बुजुर्गों में साँस के रास्ते कई खुराक के बाद जमा हो सकती है और पूरी देह पर असर डाल सकती है।
वयस्कों में इसके सबसे आम साइड इफेक्ट हैं:
- शुष्क मुँह
- पसीने की कमी के कारण लाल और गर्म त्वचा
- बुखार
- कब्ज