ऑरेगेनो ऑयल के फायदे और इसे घर पर कैसे बनाएं
होममेड ऑरेगेनो ऑयल या अजवायन का तेल के प्रचुर फायदे हैं जिनमें सूजन कम करने से लेकर बैक्टीरिया से लड़ना शामिल है। क्या आपको इन अद्भुत लाभों के बारे में मालूम है?
इस लेख में आपको इस पौधे के गुणों के बारे में बहुत से रोचक तथ्यों की जानकारी मिलेगी और यह भी कि इसे कैसे तैयार किया जाए।
अजवायन किचेन में बहुत पॉपुलर है, क्योंकि यह हमारे कई व्यंजनों में अच्छा स्वाद लाता है। लोग आमतौर पर इसका उपयोग सीधे अपने भोजन में करते हैं। हालांकि, इसका उपयोग तेल के रूप में भी किया जा सकता है, जिससे कुछ हेल्थ कंडीशन के इलाज में इसका फायदा उठाया जा सके।
होममेड ऑरेगेनो ऑयल के फायदे
हम आमतौर पर ज्यादातर लोगों की किचेन में अजवायन की पत्ती पा सकते हैं। दरअसल बात मसालेदार रेसिपी की आने पर यह सबसे लोकप्रिय सामग्रियों में से एक है। हालाँकि बहुत से लोग यह नहीं जानते हैं कि स्वाद लाने के अलावा यह मसालाक तेल के साथ मिलायाये जाने पर कई ऐसी विशेषताएं और गुण रखता है जो हमारी सेहत के लिए बहुत फायदेमंद हो सकते हैं।
यहाँ आगे पढ़ें और उनकी खोज करें!
एंटीऑक्सीडेंट
ऑक्सीडेटिव मेडिसिन और सेल्युलर लॉन्गविटी में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार अजवायन के एथानोलिक एक्सट्रेक्ट में एंटीऑक्सिडेंट एक्टिविटी होती है। इस वजह से कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह मसाला फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाले उस ऑक्सीडेशन में देरी कराता या उसे रोकने की क्षमता रखता है, जो सेलुलर उम्र बढाने की जिम्मेदार होती है।
ऑरेगेनो की पत्ती का किचेन के अलावा नेचुरल ट्रीटमेंट में सहायक के रूप में इस्तेमाल हो सकता है।
यह भी पढ़ें: पाचन की समस्या से लड़ने वाली नेचुरल टी
बैक्टीरिया से लड़ने में मददगार
इंटरनेशनल जर्नल ऑफ ओडोन्टोस्टोमैटोलॉजी के एक लेख के अनुसार कुछ बैक्टीरिया से निपटने में अजवायन का फूल एक प्राकृतिक विकल्प हो सकता है। अपने कार्वैक्रोल (carvacrol) और थाइमोल (thymol) की एंटीबैक्टीरियल एक्टिविटी की बदौलत यह पौधा स्टैफिलोकोकस ऑरियस (as Staphylococcus aureus) और बेसिलस सेरेस (Bacillus cereus) जैसे बैक्टीरिया के खिलाफ लड़ सकता है।
यह बता दें कि इसका उपयोग सिर्फ मेडिसिनल एंटीबायोटिक दवाओं के कॉम्प्लीमेंट के रूप में किया जाना चाहिए न कि अपने आप में संक्रमण के इलाज के लिए। इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि इसका अकेले इस्तेमाल बैक्टीरिया को खत्म करने में सक्षम है।
वायरल इन्फेक्शन को रोकने में मददगार
इसके एंटीबैक्टीरियल असर के अलावा एप्लाइड माइक्रोबायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार अजवायन में निहित कार्वैक्रोल कुछ वायरल स्थितियों जैसे नोरोवायरस के खिलाफ शरीर की हिफाजत कर सकता है। यह ऐसा संक्रमण है जो दस्त, मतली और पेट दर्द का कारण बनता है।
इसे घर पर कैसे तैयार करें
अब जब आप इसके फायदों के बारे में जान गए हैं, तो इस होममेड ऑरेगेनो ऑयल को तैयार करने की प्रक्रिया को भी जान लेना चाहिए। यह आमतौर पर यह ऐसा प्रोडक्ट है जिसे आपको हमेशा साथ रखना चाहिए।
सामग्री
- 1/2 कप अजवायन की पत्ती (50 ग्राम)
- 1/2 कप ओलिव, ग्रेपसीड या बादाम का तेल (200 मिली)
- ढक्कन वाला ग्लास कंटेनर
तैयारी
- अजवायन की पत्ती को धो लें और उन्हें सूखने दें।
- सूख जाने पर उन्हें मोर्टार या इसी तरह के बर्तन की मदद से कुचल दें। उन्हें उस ग्लास कंटेनर में रखें जिसमें आप मिश्रण को रखेंगे।
- अपनी पसंद के तेल डालें और अजवायन की पत्ती को पूरी तरह से कवर करें। इसे कुछ मिनट के लिए छोड़ दें।
- फिर पानी के एक बर्तन में उबाल लें। जब यह उबल जाए तो आंच बंद कर दें और मिश्रण के साथ जार को रख दें।
- जार को बैन-मारी में लगभग 10 मिनट के लिए छोड़ दें जिससे तेल और अजवायन की पत्ती मिल जाएँ।
- कंटेनर को पानी से निकालें, इसे कवर करें और 2 सप्ताह तक सूखी जगह पर रखें।
- इसके बाद तेल छानें और स्वादिष्ट होममेड अजवायन का तेल तैयार है।
- ऊपर बताये गए मेडिसिनल उपयोग के अलावा, जिसका हमने वर्णन किया है, यह न भूलें कि यह तेल आपके व्यंजनों में एक बढ़िया स्वाद भी लाता है!
ऑरेगेनो ऑयल का उपयोग कैसे करें
तेल को बनाना जान लेने पर अब समय है कि यह समझाया जाए कि इसे कैसे लगाना है या इसका इस्तेमाल करना है।
आप इस तेल का सेवन कर सकते हैं या इसे उस अंग पर सीधे लगा सकते हैं जिसका इलाज करना चाहते हैं। उदाहरण के लिए बैक्टीरिया के संक्रमण के लिए आपको एक गिलास पानी में ऑयल की 3 बूंदों को डालकर इसका सेवन करना चाहिए।
मांसपेशियों में दर्द, गठिया और मोच के लिए आप अपने हाथों पर थोड़ा तेल लगा सकते हैं और शरीर के उस हिस्से की मालिश कर सकते हैं जहां दर्द हो रहा है। चाहें तो कुछ एसेंशियल ऑयल को भी शामिल कर सकते हैं जो इन स्थितियों के लिए समान फायदे देते हैं।
इसके अलावा कई लोग दावा करते हैं कि इसे भाप के रूप में साँस लेने से फ्लू के लक्षणों को कम करने में मदद मिल सकती है। जब आप फ्लू या कॉमन कोल्ड की विशिष्ट असुविधा महसूस करते हैं, तो भोजन से पहले तेल की 3 से 6 बूंदों का उपयोग करें, या स्टीम डिफ्युजर या गर्म पानी के एक कटोरे में उपयोग करें। दिन में 3 बार तक ऐसा करना सुरक्षित है।
इसे भी पढ़ें : आपके फेफड़ों की सेहत में सुधार लाने वाली 8 जड़ी बूटियाँ
ऑरेगेनो ऑयल के लिए कुछ सिफारिशें
इससे पहले कि आप ऑरेगेनो ऑयल लेना शुरू करें, आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि यह आपके स्वास्थ्य के लिए कहीं नुकसानदेह न हो। ज्यादातर मामलों में यह सही खुराक में सुरक्षित माना जाता है। हालांकि, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं या एलर्जी वाले लोगों के लिए इसमें कुछ जोखिम हैं।
इसके अलावा, इसके ज्यादा सेवन से पैलपिटेशन, न्यूरो समस्याएं, अवसाद और उनींदापन हो सकता है। याद रखें, यह कोई चमत्कारिक उपाय नहीं है और यदि किसी गंभीर समस्या का संदेह हो तो डॉक्टर से सलाह लेना सबसे अच्छा होता है।
- Schovelin-H, Alexandra, & Muñoz-C, Marlene. (2018). Efecto Antibacteriano de la Infusión de Orégano ( Origanum vulgare ) sobre el Crecimiento in Vitro de Streptococcus mutans , 2015. International journal of odontostomatology, 12(4), 337-342. https://dx.doi.org/10.4067/S0718-381X2018000400337
-
Gilling DH, Kitajima M, Torrey JR, Bright KR. Antiviral efficacy and mechanisms of action of oregano essential oil and its primary component carvacrol against murine norovirus. J Appl Microbiol. 2014;116(5):1149-1163. doi:10.1111/jam.12453
- Coccimiglio, J., Alipour, M., Jiang, Z. H., Gottardo, C., & Suntres, Z. (2016). Antioxidant, Antibacterial, and Cytotoxic Activities of the Ethanolic Origanum vulgare Extract and Its Major Constituents. Oxidative medicine and cellular longevity, 2016, 1404505. https://doi.org/10.1155/2016/1404505
- Jiménez, María Cristina Rogles. Actualidad de los medicamentos a base de plantas para el tratamiento del dolor y la inflamación. Diss. UNIVERSIDAD COMPLUTENSE, 2017.
- Dufort, Julianne. Aceites esenciales: Una guía práctica para conocer las propiedades de los aceites esenciales y sus aplicaciones. Robinbook, 2017.
- Pérez, Rocío Mera Gallego. “Prevención de catarros y resfriados.” (2017).
- Llivichushca, Caivinagua, and Diana Alexandra. Factores de riesgo asociados a la atención de parto atendido por comadronas en domicilio en la parroquia Sígsig de la provincia del Azuay periodo septiembre 2017-febrero 2018. BS thesis. Universidad Católica de Cuenca, 2018.
- Vásquez Espeleta, Jorge Iván. “Actividad antibacteriana in vitro del extracto acuoso de Origanum vulgare L.(Orégano) sobre los Streptococcus mutans, distrito de Chimbote, provincia del Santa, departamento Áncash, 2018.” (2019).