आपके फेफड़ों की सेहत में सुधार लाने वाली 8 जड़ी बूटियाँ
आज हम आपको पोषक तत्वों से भरपूर 8 जड़ी-बूटियों के बारे में बताने जा रहे हैं। ये आपके फेफड़ों की सेहत की रक्षा कर उनमें सुधार लाने की शक्ति रखती हैं। इन्हें ज़रूर आज़माकर देखें!
आपकी ज़िन्दगी में फेफड़े अहम भूमिका निभाते हैं। और निभाएं भी क्यों नहीं? आख़िर आपकी कोशिकाओं की ज़रूरत के अनुसार उन तक ऑक्सीजन पहुंचाकर आपके शरीर से कार्बन डाइऑक्साइड निकाल बाहर करने की ज़िम्मेदारी उन पर होती है।
उनकी अहमियत आपकी साँसों तक ही सीमित नहीं होती। उदहारण के तौर पर सांस के माध्यम से आपके शरीर में घुस आए हानिकारक तत्वों व दूषित पदार्थों को फ़िल्टर करने का ज़िम्मा भी उन्हीं पर होता है।
दिक्कत यह है कि फेफड़ों के नाजुक और जटिल होने की वजह से इनमें कभी-कभी टॉक्सिन और संक्रमण का जमाव आपके स्वास्थ्य को जोखिम में डाल सकता है।
नतीजतन नकारात्मक प्रतिक्रियाओं का एक सिलसिला शुरू हो जाता है। जीवन-शैली को प्रभावित करने वाली बीमारियों की चपेट में भी आप आ सकते हैं।
खुशकिस्मती से, ऐसे कई घरेलू उपाय हैं जिनके इस्तेमाल से आप अपने फेफड़ों को डिटॉक्स कर सकते हैं।
1. फेफड़ों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए थाइम का इस्तेमाल करें
अपनी सूजी हुई व बंद साँस नलियों को थोड़ा आराम देने के लिए थाइम (Thyme) नाम की जड़ी-बूटी के सेवन का सुझाव दिया जाता है।
साथ ही, थाइम एसेंशियल ऑइल में एंटीबायोटिक, एंटी-फंगल और सूजनरोधी गुण भी होते हैं। यह न सिर्फ़ आपके इम्यून सिस्टम को मज़बूत बनाता है, बल्कि आपके फेफड़ों की भी सफाई कर देता है।
चाय में डालकर उसका सेवन करने या गर्म पानी में डालकर उसकी भाप लेने से आपके शरीर में जमे टॉक्सिन का नाश हो जाता है।
2. फेफड़ों की सेहत को बेहतर बनाने वाली मुलैठी की जड़
मुलैठी की जड़ (Licorice root) एक ऐसी पारंपरिक चीनी जड़ी-बूटी है, जो अपनी कई औषधीय खूबियों के चलते दुनियाभर में मशहूर हो गई है।
इसके सूजनरोधी और दर्द-निवारक कंपाउंड आपकी सांस की नलियों और गले में सूजन को कम कर देते हैं। इसके फलस्वरूप आपकी कोशिकाओं तक ऑक्सीजन ज़्यादा आसानी से पहुँच पाती है।
साथ ही, आपके फेफड़ों और गले की परत समेत वह आपके शरीर के म्यूकस मेम्ब्रेन को भी नरम बना देती है।
और तो और, यह किसी एक्सपेक्टोरेंट और एंटीबैक्टीरियल दवा के तौर पर भी काम करती है। अत्यधिक बलगम को निकाल बाहर कर यह आपको बंद नाक और सांस लेने में आने वाली कठिनाई से राहत दिलाती है।
मुलैठी में मौजूद पोषक तत्व, वायरस और बैक्टीरिया के प्रति आपको पहले से ज़्यादा इम्यून बना देते हैं।
इतना ही नहीं, इससे आपके शरीर को फ्लेवोनोइड्स की अच्छी-ख़ासी मात्रा भी मिल जाती है। फ्लेवोनोइड्स वे एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो हमारी कोशिकाओं को होने वाले नुकसान से को कम कर फेफड़ों के कैंसर से बचाए रखते हैं।
3. फेफड़ों की सेहत में सुधार लाने के लिए ऑरेगैनो सेवन करें
ऑरेगैनो की खासियत इसमें मौजूद रोसमैरिनिक एसिड ( rosmarinic acid) और कार्वक्रोल (carvacrol) की उच्च मात्र होती है। सांस की एलर्जी वाले मामलों में ये दोनों एंटीऑक्सीडेंट हिस्टामाइन को बनने से रोकने में काफ़ी मददगार साबित होते हैं।
ऑरेगैनो की सूजनरोधी और एक्सपेक्टोरेंट खूबियाँ सांस की नलियों की सफाई करने में आपकी मदद करती हैं। ज़ाहिर है कि उसके बाद अपने फेफड़ों में जमें बलगम और टॉक्सिन से छुटकारा पाने का आपका रास्ता साफ़ हो जाता है।
ऑरेगैनो के पत्तों से बना एसेंशियल ऑइल सर्दी-ज़ुखाम जैसे बैक्टीरियल संक्रमणों से निपटने का एक कारगर उपाय होता है।
4. कच्चा केला (Plantain)
प्लेन्टन सदियों पुराना कारगर उपाय है, जो आपके फेफड़ों और गले के म्यूकस मेम्ब्रेन की सूजन को कम करने में सहायक होता है।
खांसी का इलाज करने वाले इस 100% प्राकृतिक नुस्खे में एंटीबायोटिक और सूजनरोधी पदार्थ भी होते हैं।
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5. सेज (Sage)
सेज ड्रिंक फेफड़ों की सूजन का एक प्राकृतिक नुस्खा है, ख़ासकर धूम्रपान करने वाले लोगों के लिए।
सेज के एंटीबैक्टीरियल और डिटॉक्सिफाईंग कंपाउंड हमारे फेफड़ों के टिशू में जमा टॉक्सिन से राहत दिलाने में मददगार होते हैं। ऐसा कर वे हमें बंद नाक और सांस लेने में आने वाली दिक्कत से आराम दिलाते हैं।
6. यूकेलिप्टस
यूकेलिप्टस की तरोताज़ा कर देने वाली खुशबू का इस्तेमाल कई वर्षों से फेफड़ों की सेहत में सुधार लाने वाले किसी पूरक के तौर पर किया जाता रहा है।
उस सुगंध को बर्दाश्त कर पाना भले ही हर किसी के बस की बात न हो, पर ज़्यादातर लोगों को बंद नाक, खांसी और नाक में होने वाली जलन से फ़ौरन आराम मिल जाता है।
यूकेलिप्टस की एक्सपेक्टोरेंट और सूजनरोधी खूबियों के पीछे उसमें मौजूद सिनोल (cineol) नाम के सक्रिय एजेंट का हाथ होता है। वह ब्रोंकाइटिस, दमे और आम सर्दी-ज़ुखाम जैसी बीमारियों के इलाज में कारगर होता है।
7. पुदीना
पुदीने और पुदीने के एसेंशियल ऑइल में मेन्थॉल होता है। मेन्थॉल बहुत ही जाना-माना तत्व है, जिसका इस्तेमाल फेफड़ों की बीमारियों के इलाज में किया जाता है।
आपकी श्वास नली की मांसपेशियों को आराम देकर वह आपकी सांस को सामान्य कर देता है, खासकर बात जब बंद नाक की हो।
साथ ही, यह एक एंटी-हिस्टामाइन और डीटॉक्स करने वाली जड़ी बूटी भी होती है। सांस की एलर्जी के लक्षणों से निपटने में वह आपकी मदद करती है।
8. मलीन (Mullein)
मलीन नामक औषधि के पत्ते और फूलों में मौजूद सक्रिय पदार्थ आपके फेफड़ों में मज़बूती लाकर उनकी सफ़ाई करते हैं।
मलीन के प्राकृतिक एक्सट्रेक्ट्स, टॉक्सिन का खात्मा करने वाली प्रक्रिया को प्रेरित करते हैं। साथ ही, वे म्यूकस की अत्यधिक मात्रा और सूजन पर भी लगाम लगा देते हैं।
क्या आपको सांस लेने में दिक्कत आ रही है? अगर ऐसा है तो ऊपर बताई जड़ी-बूटियों में से कुछ को आज़माकर अपने फेफड़ों को वापस फॉर्म में ले आएं!