ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम से बचाव के लिए 5 अहम उपाय
जितना हम जानते हैं ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम उससे ज्यादा तादाद में लोगों को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों को जानना अहम है। उतना ही अहम है यह जानना कि ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम को कैसे रोकें।
यह एक दिल की बीमारी है जिसके संकेत वैसे ही हैं जैसे दिल के दौरे के होते हैं। मगर इसकी मृत्यु दर बहुत कम है। साधारण नियम के अनुसार ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम महिलाओं में ज्यादा होता है।
सुनने में तो यह किसी कविता के अंश जैसा है, मगर ऐसा बिल्कुल नहीं है। ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम को ताकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी, एपिकल बैलूनिंग सिंड्रोम और स्ट्रेस कार्डियोमायोपैथी नामों से भी जाना जाता है।
हम चाहे किसी भी नाम का इस्तेमाल क्यों न करें, साधारणतः यह किसी ट्रॉमैटिक घटना के बाद होता है। ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम किसी चरम भावनात्मक सदमे या ऊँचे स्ट्रेस लेवल की स्थिति में हो सकता है।
ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम होने पर क्या होता है?
जिन लोगों को ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम होता है, वे समझते हैं कि उन्हें दिल का दौरा पड़ा है।
साधारण नियम के अनुसार, मेडिकल कर्मी उसी प्रोटोकॉल का अनुसरण करते हैं जिसका वे दिल का दौरा पड़ने पर करते हैं। इसका मतलब है तुरंत रिस्पांस। पर जब उन्हे टेस्ट के नतीजे मिलते हैं, तो वे कोई दूसरी ही चीज देखते हैं।
हार्ट विकृत हो गया है। यह बाएँ वेन्ट्रिकल की ओर से हल्की सी सिकुड़न है जो दिल को शंकु (cone) का शेप दे देती है।
पहली बार दिल की यह बीमारी यानी ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम जापान में डिस्कवर की गई थी। यह 1990 के दशक की खोज है। डॉक्टरों को तस्वीरों में दिल का आकार मछली मारने के फंदे की याद दिलाता था। इस विशेष फंदे का इस्तेमाल जापानी मछुआरों द्वारा ऑक्टोपस पकड़ने के लिए किया जाता है।
फंदे का नाम है : ताकोत्सुबो। इसलिए इस बीमारी का नाम है ताकोत्सुबो कार्डियोमायोपैथी
ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम और इसके लक्षण क्या हैं?
ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम एक किस्म की दिल की बीमारी है जिसकी पहचान सिर्फ 20 वर्ष पहले की गई थी। हमलोग अभी भी इस बीमारी के बारे में बहुत कम जानते हैं। इसकी पहचान कुछ दिनों पहले की गई थी, इसलिए इसका मतलब यह नहीं है कि पहले यह होता ही ही नहीं था।
- पहले भी होता था : जिन लोगों में दिल के दौरे के लक्षण दीखते थे उनसे कहा जाता था कि यह सिर्फ एक चेतावनी थी।
- फिर भी, जब डॉक्टरों को ज्यादा डायग्नॉस्टिक टेस्ट्स मिल गए तब यह बदल गया। उन्होंने नोटिस करना शुरू किया कि यह कुछ अलग है।
द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन ने 2015 में एक स्टडी प्रकाशित की। इस स्टडी ने “ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम” की बुनियादी बाड़ों को समझाया।
वे बुनियादी बातें ये हैं :
ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम कार्डियक फेल्योर नहीं है
- जो लोग इस बीमारी से भुगतते हैं, वे बिना यह जाने कि उन्हें क्या हुआ है, बहुत दिन गुजार देते हैं।
- उनके लक्षण भी दिल के दौरे के जैसे होते हैं। पर रक्त का प्रवाह रोकने वाला कोई भी आर्टेरियल ब्लॉकेज नहीं होता।
- असल में, यह सिर्फ एक अस्थाई बीमारी है। जब कोई व्यक्ति कोई बड़ा भावनात्मक धक्का झेलता है, तो उसका शरीर प्रतिक्रिया करता है। साधारणतः, यह रेस्पांस है, एड्रेनलिन जैसे ज्यादा हॉर्मोन तैयार करना।
- बिना किसी माप के एड्रेनलिन का बढ़ना दिल पर असर करता है। लेकिन एड्रेनलिन कॉरॉनरी आर्टरीज पर कभी भी असर नहीं डालता।
- बायाँ वेन्ट्रिकल कुछ समय के लिए आकार बदलता है। इस बीमारी की वजह से यह अस्थाई रूप से कोन के शेप का हो जाता है।
- उस वक्त उस व्यक्ति को स्ट्रांग प्रेशर, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर, ठंढा पसीना और सीने में दर्द महसूस होता है।
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इन उपायों से हम ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम रोक सकते हैं
हमने शुरुआत में उल्लेख किया था, यह बीमारी ज्यादातर महिलाओं को होती है।
जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के डॉ इलाम शॉर विट्सटिन इस बीमारी के मशहूर विशेषज्ञों में से एक हैं।
उनके प्रकाशित रिसर्च में द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन का लेख शामिल है। उनकी सूचना के अनुसार जो महिलाएँ मेनोपाज से गुजर चुकी हैं उन्हें इस बीमारी से ज्यादा खतरा होता है।
किसी भावनात्मक घटना के बाद दो मुख्य हॉर्मोन रिलीज होते हैं : एड्रेनलिन और नॉरएड्रेनलिन। ये दोनों दिल में टॉक्सिन के रूप में काम करते हैं। यही वह चीज है जो महिलाओं के साथ ज्यादा होती है।
ये दोनों कैटेकोलामाइन (catecholamine) हॉर्मोन क्या करते हैं? ये अस्थाई रूप से दिल पर हमला करते हैं। पर वे कोशिकाओं पर कभी भी हमला नहीं करते।
खुद को इस परिस्थिति में बचाने के लिए यहाँ कुछ सलाह दी गई है :
1. मेनोपाज के बाद अपना स्ट्रेस मैनेज करना सीखिए
कुल मिलाकर, हमारे हॉर्मोन हमें ज्यादा लचीला बनने का मौका देते हैं। प्रसूति की उम्र के दौरान यह विशेष रूप से सच है। इस समय के दौरान स्ट्रेस और एंग्जायटी के लिए हमारी प्रतिक्रया बेहतर होती है। फिर भी, मेनोपाज के बाद चीजें बदल जाती हैं और हमें नई रणनीतियाँ सोचनी पड़ती हैं।
बुरी खबर और धोखाधड़ी से कोई भी सुरक्षित नहीं होता।
इसलिए हमलोग केवल यही कर सकते हैं कि अपने मन और शरीर को “प्रशिक्षित” करें। इस तरह हमारे रास्ते में चाहे कोई भी मुश्किल आए, हम टूटेंगे नहीं। कम से कम हम तूफान का बेहतर मुकाबला कर सकते हैं।
- योग या माइंडफुलनेस की प्रैक्टिस करें।
- दिन के दो घंटे खुद पर समर्पित करें। यह समय टहलने, मेडिटेट करने, कोई समस्या हों तो उनका समाधान करने में समय बिताएँ। इससे आप तिल को ताड़ बनने से रोक सकते हैं, आप ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम को रोक देंगे।
2. रोजाना कम से कम आधे घंटे एक्सरसाइज करें
हमारा लक्ष्य है अपने दिल की मांशपेशियों को ज्यादा मजबूत और लचीला बनाना। इसके लिए हमें थोड़ी एयरोबिक एक्सरसाइज से ज्यादा कुछ भी नहीं करना है।
टहलना, नाचना, तैरना या कोई दूसरी एक्टिविटी आजमाएँ।
3. सपोर्ट ग्रुप : भावनात्मक सपोर्ट और गर्मजोशी अहम हैं
आपके मित्र दिल के लिए बढ़िया दवा हैं। हम जिन व्यक्तियों के साथ सच्चे हो सकते हैं उनके साथ वक्त बिताने में हमें सक्षम होने की जरूरत है। अपने मित्र की शक्ति पर संदेह मत कीजिए जो आपके बोझ को हल्का बना सकता है।
यह जानना कि हमें समझा, सपोर्ट किया और सुना जा रहा है हमारे स्वास्थ्य के लिए निहायत जरूरी है।
4. अच्छा भोजन, अच्छी आदतें
अगर हम ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोमको रोकना चाहते हैं, तो इसकी अहम वजह स्ट्रेस है। भावनात्मक स्तर पर यह विशेष रूप से सच है। इसलिए हमें सही ढंग से स्ट्रेस को मैनेज करने में सक्षम होने की जरूरत है।
हमें अपने दिल के स्वास्थ्य पर फोकस करने की जरूरत है। यह समस्याएं खड़े होने से रोक सकता है। अगर कुछ हो ही जाता है, तो यह जितना हो सके उतना जल्द आपके दिल को निरोग होने का मौका देता है।
रोजाना ताजे फल और सब्जियाँ खाइए। अगर हो सके तो आपको लाल बैंगनी और नारंगी फल और सब्जियाँ खानी चाहिए। उनमें सबसे ज्यादा एंटीऑक्सिडेंट होते हैं। दिल के स्वास्थ्य के लिए एंटीऑक्सिडेंट्स बहुत अहम हैं।
5.प्रायोरेटाइज़ करें : नियमित जाँच कराएँ
आपका परिवार आपके लिए बहुत अहम है, सही है? आप हर रोज उनके लिए चिंतित रहते हैं। उन्हें खुश करने के लिए जो भी हो सकता है, करते भी हैं।
फिर भी इसे याद रखें : आपको अपना खयाल रखने की भी जरूरत है। अगर आपको ब्रोकेन हार्ट जैसा कुछ हो गया, तो शायद आप उनका खयाल रखने में भी सक्षम नहीं रहेंगे।
अपने डॉक्टर से बात करना तय करें। यह रूटीन टेस्ट शिड्यूल करने के लिए जरूरी है। अपने कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, वजन और ब्लड शुगर लेवेल पर निगरानी रखें।
ये हमारे दिल की सेहत संकेत हैं। अपनी जीवन-शैली बदलना टॉप प्रायोरिटी पर रखें। निश्चित करें कि आपका दिल समान गति में है और आप ब्रोकेन हार्ट सिंड्रोम को आसानी से रोकने में सक्षम होंगे।
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