बच्चों में दृष्टिवैषम्य का पता कैसे लगाएं
बच्चों में दृष्टिवैषम्य आँखों के आम समस्या है। दरअसल यह पूरी आबादी में लगभग 15% बच्कोचों को प्रभावित करता है। ज्यादातर मामले बचपन में या किशोरावस्था में शुरू होते हैं।
इसकी वजह यह है कि दृष्टिवैषम्य (Astigmatism) में एक निश्चित जेनेटिक घटक होता है। यह जानकारी इसकी डायग्नोसिस करने में मदद कर सकती है, क्योंकि यह अक्सर दूसरी आँखों की समस्या से जुड़ी होती है, जैसे कि मायोपिया जो विरासत में मिलती हैं।
समस्या यह है कि, अगर बच्चों में दृष्टिवैषम्य का जल्द पता नहीं लगाया जाये तो यह उनके स्कूल की परफॉरमेंस को प्रभावित कर सकता है। इसलिए इस लेख में हम आपको इसके बारे में और इसकी डायग्नोसिस के बारे में बताएँगे।
बच्चों में दृष्टिवैषम्य क्या है?
दृष्टिवैषम्य एक अपवर्तक गड़बड़ी (refractive error) है, जैसे कि मायोपिया (myopia) या दूरदर्शिता। रिफ्रेक्टिव एरर आँखों में बदलाव हैं जो आंख को रेटिना पर सही ढंग से प्रकाश केंद्रित करने से रोकती हैं। इससे धुंधली दृष्टि उत्पन्न होती है।
दृष्टिवैषम्य के मामले में कठिनाई तब होती है जब व्यक्ति किसी वस्तु पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करता है, चाहे वह जितनी पास या दूर हो। दूसरे शब्दों में यह दूर की दृष्टि (far sigt) और नजदीक की दृष्टि (near vision), दोनों को समान रूप से प्रभावित करता है।
यह नजदीक की दृष्टि या निकट दृष्टि (myopia) से अलग होता है क्योंकि यह बाद वाला दूर की वस्तुओं को धुंधला दिखाता है। फ़ार साईटेडनेस या हाइपरोपिया (hyperopia) में नियर विजन प्रभावित होती है। यह जानना महत्वपूर्ण है कि उनके बीच फर्क कैसे किया जाए क्योंकि हर व्यक्ति में इसके लिए अलग-अलग सुधार की जरूरत होती है।
बचपन में होने वाला दृष्टिवैषम्य वंशानुगत है। इस प्रकार यह माता-पिता और बच्चों के बीच ज्यादा आम है।
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बच्चों में दृष्टिवैषम्य का कारण क्या है?
जैसा कि हमने ऊपर बताया बच्चों में दृष्टिवैषम्य आमतौर पर वंशानुगत होता है। दूसरे शब्दों में, एक या दोनों माता-पिता इससे पीड़ित हों तो यह बहुत आम दिखता है। हालांकि ऐसे भी मामले पाए गए हैं जिनमें को फैमिली हिस्ट्री नहीं दिखती है।
दृष्टिवैषम्य वाले बच्चों के कॉर्निया सामान्य से ज्यादा बढे होते हैं। आई बाल का यह अगला हिस्स प्रकाश किरणों को रेटिना पर फ़ोकस करने की सहूलियत देता है। इसका नार्मल शेप कनकेव होता है।
इस कारण इसके फ्लैट होने पर किरणें रेटिना पर नहीं, बल्कि उसके सामने या पीछे प्रोजेक्ट होती हैं। कुछ मामलों में कॉर्निया के अलावा लेंस का आकार भी बदल जाता है।
दृष्टिवैषम्य टाइप (Astigmatism Types)
बच्चों में कई तरह के दृष्टिवैषम्य हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि क्या यह दूसरे रिफ्रेक्टिव एरर से जुड़ा है या नहीं। इसे समझने के लिए आपको पहले यह जानना होगा कि आंख के मेरिडियन (meridian) क्या हैं। यदि आप आंख को सामने से देखते हैं, तो एक मेरिडियन आई बॉल को ऊपर से नीचे तक विभाजित करता है। दूसरे इसे बाएं से दाएं करते हैं।
इस तरह दृष्टिवैषम्य का पहला प्रकार मायोपिक दृष्टिवैषम्य (myopic astigmatism) है। इस मामले में एक या दोनों मेरिडियन नियर साइटेडनेस वाली आंख की तरह फोकस करते हैं। दूसरी ओर बच्चों में दृष्टिवैषम्य भी हाइपरोपिक (hyperopic) हो सकता है। इस मामले में आंख नजदीक की चीजों पर गलत तरह से फोकस करती है। अंत में दृष्टिवैषम्य मी मिक्स्ड भी हो सकता है, दो पिछली त्रुटियों को मिलाकर।
लक्षण
बचपन के दृष्टिवैषम्य का पता लगाने के लिए लक्षणों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। मायोपिया या हाइपरोपिया की तुलना में दृष्टिवैषम्य पर संदेह करना कठिन होता है, क्योंकि इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते और वे तुरंत स्कूल में परफॉरमेंस में समस्या नहीं पैदा करते।
सबसे आम लक्षणों में से एक एजुकेशनल चैलेन्ज और बिना किसी ज्ञात कारण के होना है। बच्चा असावधान या अनफोकस्ड लग सकता है, शायद हाइपरएक्टिव भी। हालांकि एकाग्रता की यह कमी किताबों या ब्लैकबोर्ड के अक्षरों पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता से पैदा होती है।
इन बच्चों को अक्सर सिरदर्द होता है और वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करने में तकलीफ होती है। एक और विशिष्ट संकेत यह है कि वे बेहतर देखने के लिए अपने सिर को झुकाते हैं। इस तरह ज्यादा मशक्कत के कारण आँखें लाल या खुजली से पीड़ित होती हैं।
दरअसल पढ़ने में कम दिलचस्पी आँखों की समस्या से भी पैदा होती है। जब ये बच्चे जोर से पढ़ते हैं तो कुछ टेक्स्ट की पूरी लाइनों को छोड़ देते हैं या सिलेबल्स को चारों ओर बदल देते हैं।
बचपन की दृष्टिवैषम्य से पैदा होने वाली रीडिंग समस्याएं कई बार दृष्टि संबंधी समस्याओं के कारण होती हैं।
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डायग्नोसिस
बच्चों में दृष्टिवैषम्य की डायग्नोसिस करने के लिए सभी लक्षणों को देखने के अलावा आपको बच्चे को एक आई स्पेशलिस्ट के पास ले जाने की जरूरत होगी। वह जरूरी टेस्ट के साथ उनकी आँखों की जांच करेगा।
आई टेस्ट में आमतौर पर नजर के सभी पहलुओं का आकलन करने के लिए विभिन्न लेंस का उपयोग किया जाता है। दृष्टिवैषम्य की डाइअग्नोसिस कर लेने पर सबसे अधिक संभावना आपके बच्चे के चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस की वे सिफारिश करेंगे। हालाँकि ऐसा हर बच्चे की विशिष्ट जरूरत के हिसाब से ते होगा।
याद रखना चाहिए कि बच्चों में दृष्टिवैषम्य उनकी शिक्षा को प्रभावित करता है। इसलिए लक्षणों से अवगत होना महत्वपूर्ण है, जैसे कि वे कैसे पढ़ते हैं या अगर सिरदर्द रहता है। इस स्थिति का पता लगानया पैरेंट और शिक्षक दोनों की जिम्मेदारी है, क्योंकि वे बच्चों के साथ सबसे ज्यादा वक्त बिताते हैं।
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