मेटाबोलिज्म को तेज़ करने वाले खाद्य पदार्थों की मदद से हाइपोथायरॉइडिज्म का मुकाबला करें
हमारी थायरॉइड ग्रंथि के कमज़ोर होकर हॉर्मोन का कम उत्पादन करने पर हाइपोथायरॉइडिज्म रोग हो जाता है।
हॉर्मोन की गतिविधि में आए इस बदलाव के कारण हमारे शरीर के मेटाबोलिज्म, नसों और रक्तसंचार से संबंधित प्रतिक्रियाओं वाले कई लक्षण होते हैं।
खराब आहार के सेवन के अलावा जहरीले तत्वों, तनाव और आपकी सेहत पर बुरा असर डालने वाली बुरी आदतों की चपेट में आने से भी हाइपोथायरॉयडिज्म होता है।
हाइपोथायरॉइडिज्म के क्या लक्षण होते हैं?
इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति में हॉर्मोन के असंतुलित हो जाने की वजह से शरीर में कई बदलाव दिखाई देंगे।
इनमें सबसे आम लक्षण हैं:
- मूड स्विंग
- ठंड के प्रति संवेदनशीलता
- वज़न का बढ़ना या घटना
- स्ट्रेस और एंग्जायटी
- अनियमित या हेवी पीरियड
- शौच करने में कठिनाई
- थकान या कमज़ोरी महसूस होना
- रूखी-सूखी त्वचा
- नाज़ुक बाल व नाखून
- बालों का हद से ज़्यादा झड़ना
मेटाबोलिज्म को तेज़ कर हाइपोथायरॉइडिज्म से कैसे मुकाबला करें
मेटाबोलिज्म को तेज़ करने वाली आदतों को अपनाना हाइपोथायरॉयडिज्म से मुकाबला करने के सबसे प्रमुख तरीकों में से एक है।
दरअसल मेटाबोलिज्म के दौरान होने वाली रासायनिक प्रतिक्रियाएं आपके भोजन में मौजूद ऊर्जा को आपके शरीर के लिए ज़रूरी ईंधन में तब्दील करती हैं।
इसका संबंध आपके पाचन तंत्र, आपकी कार्डियोवैस्कुलर सेहत और आपके शरीर के कई तंत्रों से भी हैं।
आप यहाँ इस बात का फायदा उठा सकते हैं कि हमारे शरीर के मेटाबोलिज्म को आसानी से बदलकर वज़न कम करने व अपने स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए अपनी ज़रूरत के अनुसार ढाला जा सकता है।
ऐसा करने का एक रास्ता है थाइरॉय्ड ग्रंथि के कार्य को उत्तेजित करने वाले तत्वों से युक्त खान-पान के अपने सेवन में बढ़ोतरी लाना।
ज़्यादा कसरत और दिन में सात से आठ घंटे की बेरोकटोक नींद पाना भी आवश्यक है।
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मेटाबोलिज्म को तेज़ कर हाइपोथायरॉइडिज्म से लड़ने वाले खाद्य पदार्थ
एक बार हाइपोथायरॉइडिज्म का निदान हो जाने पर आपको अपने वज़न को बहुत ज़्यादा बढ़ने से रोकने व थायरॉइड हॉर्मोन के कम स्राव के नतीजों से बचने के लिए अपने आहार में कुछ बदलाव लाने होंगे।
नीचे दिए खाद्य पदार्थ और पोषक तत्व थायरॉइड के काम का समर्थन करने के साथ-साथ इस अवस्था में सुधार लाने में कारगर होते हैं।
आयोडीन-युक्त खाद्य पदार्थ
आपके थायरॉयड के लिए आयोडीन एक आवश्यक तत्व होता है। हाइपोथायरॉइडिज्म के कई मामलों के पीछे आयोडीन की कमी का ही हाथ होता है।
आयोडीन के सेवन से चिंता और पेट के कीड़ों, सूजन और बदहज़मी जैसी पाचन समस्याओं पर काबू पाने में मदद मिलती है।
यह खनिज पदार्थ आपको इन खाद्य पदार्थों में मिल सकता है:
- समुद्री पौधे
- ब्लूबेरी
- दही
- सफ़ेद बीन्स
- ऑर्गेनिक स्ट्रॉबेरी
- सेंधा नमक (हिमालयन नमक)
- डेरी प्रोडक्ट
- आलू
- सप्लीमेंट्स
नारियल का तेल
नारियल का तेल आपके मेटाबोलिज्म को तेज़ कर आपके थायरॉइड हॉर्मोन के उत्पादन को बढ़ा सकता है।
इस तेल की एंटीबायोटिक और एंटीफंगल खूबियाँ एच. पाईलोरी (H. pylori) जैसे बैक्टीरिया और कैंडिडा (Candida) जैसी फफूंद का मुकाबला करती हैं।
हाँ, इसके लिए आपको किसी भी तरह की प्रोसेसिंग के बिना 100% शुद्ध नारियल का तेल खरीदना होगा।
सेवन की विधि
रोज़ाना एक चम्मच नारियल का तेल लेना शुरू करें व धीरे-धीरे इस मात्रा को बढ़ाकर तीन चम्मच कर दें।
B ग्रुप के विटामिन
आपके थायरॉइड ग्लैंड को अच्छी अवस्था में रखने में सभी तरह के विटामिन B आवश्यक होते हैं, पर उनमें से हरेक की अपनी अहम भूमिका होती है।
- अतिसक्रिय थायरॉइड के लिए थिआमाइन (Thiamine, B1)) मददगार होता है।
- थायरॉइड हॉर्मोनों के उचित उत्पादन के लिए रिबोफ्लैविन (Riboflavin, B2) ज़रूरी है।
- शरीर की सभी कोशिकाओं और ग्रंथियों की कार्यकुशलता के लिए निआसिन (Niacin, B3) आवश्यक होता है।
- पायरीडॉक्सिन (Pyridoxine, B6)) की ज़रूरत इसलिए होती है कि उसके बिना आपका थाइरॉयड ठीक से काम नहीं कर सकेगा।
- हाइपोथायरॉइडिज्म हो जाने पर कोबालामिन (Cobalamin, B12) को सोखे जाने की प्रक्रिया में रुकावट आती है। यह समस्या इसलिए होती है कि B12 की कमी से न्यूरोलॉजिकल रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
विटामिन D
विटामिन D की कमी का संबंध ऑटोइम्यून रोगों सहित थाइरॉयड से भी है।
आप पूरक तत्वों को लेकर या फिर रोज़ाना धूप में कुछ मिनट का समय बिताकर विटामिन D प्राप्त कर सकते हैं।
ज़िंक
हाइपोथायरॉइडिज्म और हाइपरथायरॉइडिज्म दोनों ही शरीर में ज़िंक की कमी के कारण होते हैं।
इस मिनरल से आपका इम्यून सिस्टम तो मज़बूत होता ही है, आपका वज़न भी कम हो जाता है।
तांबा (Copper)
तांबा आपके थायरॉइड को संतुलित कर रेड ब्लड सेल्स की गिरी हुई संख्या, त्वचा की कमज़ोरी व नाखूनों और बालों की परेशानियों आदि जैसे लक्षणों का मुकाबला करता है।
शैवाल (algae), हरी सब्ज़ियों और सप्लीमेंट में पाए जाने वाला क्लोरोफिल कॉपर का एक अच्छा स्रोत होता है।
मछली का तेल (Fish oil)
आपके थायरॉइड के हॉर्मोन को सोखने में मदद कर मछली का तेल हाइपोथायरॉइडिज्म से लड़ने में सहायक होता है।
उसमें सूजन को कम करने और आपके कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ बेहतर बनाने वाले ओमेगा 3 फैटी एसिड होते हैं।
फाइबर (Fiber)
फाइबर-युक्त खाद्य सामग्री वज़न में ज़रूरत से ज़्यादा बढ़ोतरी से बचाकर खून में शुगर के स्तर को कम करने का बेहतरीन विकल्प होती है।
फाइबर के सेवन से पाचन बेहतर होता है, भूख को नियंत्रित रखने में सहायता मिलती है व कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर काबू में रहते हैं।
अगर आपको शक है कि आप हाइपोथायरॉइडिज्म से ग्रस्त हैं, तो डॉक्टर के पास जाकर सही डायग्नोसिस करवाने से बेहतर कुछ नहीं हो सकता।
हमारे द्वारा ऊपर सुझाए गए खाद्य पदार्थ एक सेहतमंद आहार के पूरक मात्र हैं। आपको क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, यह आपको कोई विशेषज्ञ ही बता सकता है।
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