बच्चों में अत्यधिक स्क्रीन एक्सपोजर का जोखिम
ऐसी वैज्ञानिक स्टडी बताती हैं कि बच्चों में अत्यधिक स्क्रीन एक्सपोजर उनके संज्ञानात्मक और सोशल-इमोशनल विकास से जुड़ा है। जब हम स्क्रीन की बात करते हैं, तो हमारा मतलब स्मार्टफोन, टैबलेट, टेलीविज़न, कंप्यूटर इत्यादि से होता है।
अक्सर पेरेंट्स को उन नतीजों के बारे में पता नहीं होता है जो एक्स्ट्रा स्क्रीन समय टाइम से उनके बच्चों पर होते हैं। यहाँ हम विशेष रूप से एमेरिकन पेडियाट्रिक्स एकेडेमी से प्रकाशित JAMA Pediatrics में Madigan, S., Browne, D., Racine, N., Mori, C., और Tough, S. (2019) की हालिया स्टडी पर ध्यान ले जायेंगे।
डेवलपमेंट स्क्रीनिंग टेस्ट पर एसोसिएशन फॉर स्क्रीन टाइम एंड चिल्ड्रन्स परफॉर्मेंस नाम से जाने जाने वाली इस रिसर्च ने कई ऐसे नतीजों को उजागर किया है जो बच्चों को तब भुगतने पड़ सकते हैं जब वे इन डिवाइस का अत्यधिक उपयोग करते हैं।
बच्चों में अत्यधिक स्क्रीन एक्सपोजर के जोखिम का वैज्ञानिक अध्ययन
इस सेक्शन में हम स्टडी के कंटेंट और इसके निहितार्थ को तोड़ कर बताने जा रहे हैं। इस तरह इसे पढ़ने और समझने में आसानी होगी।
स्टडी
इस स्टडी ने 2,400 कनाडाई बच्चों के विकास का बारीकी से अध्ययन किया। यह एक्सपेरिमेंट से दिखाया गया कि बच्चे ने 2 और 3 साल की उम्र में स्क्रीन के सामने जितना अधिक समय बिताया उनका प्रदर्शन चौथे और पांचवे साल में उतना ही खराब हो गया।
रिसर्च ने 5 डोमेन में बच्चे की प्रगति का पता लगाया:
- कम्युनिकेशन
- मोटर स्किल
- बारीक मोटर स्किल
- प्रॉब्लम सोल्विंग
- सोशल स्किल
उदाहरण के लिए कम्युनिकेशन स्किल का आकलन करने के लिए उन्होंने बच्चे से पूछा कि क्या वे चार-शब्द वाले वाक्य बना सकते हैं या शरीर के अंगों की पहचान कर सकते हैं।
इस बीच मोटर स्किल के लिए उन्हें अपने पैरों पर खड़े होने या एक स्ट्रिंग पर मोती लगाने के लिए कहा गया। फिर उन्होंने निर्धारित किया कि इन बच्चों ने जितना ज्यादा स्क्रीन टाइम बिताया उतना ही बुरा उनका प्रदर्शन इन एक्सरसाइज में रहा।
वैज्ञानिकों ने कहा कि जीवन के पहले 5 सालों में मस्तिष्क उत्तेजनाओं के लिए बहुत संवेदनशील होता है। इसे क्रिटिकल पीरियड के रूप में जाना जाता है। दरअसल यह उनके विकास और मेच्योरिटी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
यह भी पढ़ें: अपने बच्चे को प्यार से सिखायें, डर और पाबंदियों के जरिये नहीं
बच्चों में अत्यधिक स्क्रीन एक्सपोजर के नतीजे
सबकुछ यह दिखाता है कि बच्चों में अत्यधिक स्क्रीन एक्सपोजर से महत्वपूर्ण अवसरों से चूक जाते हैं। आम तौर पर यह इन चीजों में हस्तक्षेप कर सकता है:
- सोशल और संवाद विकास (दूसरे लोगों के साथ बातचीत)
- मोटर स्किल, एक सुस्त लाइफस्टाइल को बढ़ावा देना
- लोगों से घनिष्ठ संबंध का विकास
- लर्निंग और इमोशनल रेगुलेशन
ऊपर बतायी गयी स्टडी के अनुसार बहुत स्क्रीन देखने पर बच्चे पारस्परिक, मोटर और संवाद कौशल में महारत हासिल करने की क्षमता खो सकते हैं।
इसलिए यह हमें एक बहुत ही गंभीर निष्कर्ष पर ले जाता है: अत्यधिक स्क्रीन टाइम बच्चों के विकास को सभी स्तरों पर प्रभावित करता है। यह उन्हें उन दूसरे बच्चों की तुलना में कम बुद्धिमान, कम कुशल और कम सक्षम बना सकता है जो उनका तर्कसंगत और जिम्मेदारी से उपयोग करते हैं।
सामाजिक आर्थिक और लैंगिक बदलाव
अध्ययन के अनुसार लड़कियां स्क्रीन के सामने कम वक्त बिताती हैं और हमारे द्वारा बताए गए 5 डोमेन में लड़कों की तुलना में बेहतर स्कोर हासिल करती हैं।
दूसरी ओर ग्रुप स्पोर्ट्स में भारी गिरावट, जो हाल ही में बच्चों में सुदृढीकरण और सामाजिक-भावनात्मक लर्निंग का मुख्य स्रोत थे, चिंताजनक है। बहुत ज्यादा स्क्रीन टाइम बच्चों के लिए अलग-अलग और ग्रुप प्ले को खत्म कर रहा है।
इसके अलावा स्टडी का एक और अहम निष्कर्ष यह है कि प्रीस्कूल बच्चे जो ज्यादा पढ़ते हैं, ज्यादा एक्सरसाइज करते हैं, अधिक सोते हैं या जिनके पैरेंट कम डिप्रेशन का शिकार थे उन्होंने बहुत बेहतर प्रदर्शन किया है।
इसके अलावा यह दिखाया गया है कि सबसे कम सोशल इकनोमिक लेवल के लोग सबसे ज्यादा स्क्रीन टाइम का उपयोग करते हैं। नतीजतन इस आबादी में बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित हुए।
आपकी रुचि हो सकती है: अपने बच्चे को हग करने के लिए कैसे प्रोत्साहित करें
बच्चों को अत्यधिक स्क्रीन एक्सपोजर का नतीजा भुगतना पड़ता है
हालांकि शोधकर्ताओं ने पिछले दशक में वैज्ञानिक सबूत दिखाए हैं कि बच्चों में अत्यधिक स्क्रीन एक्सपोजर के नुकसानदेह नतीजे हुए हैं, इस स्टडी ने महत्वपूर्ण परिणाम दिखाए हैं। पहली बार 2400 लोगों के साथ एक बड़ी स्टडी ने स्क्रीन टाइम और बच्चों के खराब विकास के बीच सीधे संबंध को दर्शाता है।
यह आपकी रुचि हो सकती है ...