क्या डुकन डाइट मोटापे से ग्रस्त लोगों के लिए फायदेमंद है?

डुकन डाइट की समस्या यह है कि यह बहुत आम सिद्धांतों को अपनाता है और रोगियों की निजी विविधता पर विचार नहीं करता। इसलिए आपको अलग-अलग लोगों में इसके अलग-अलग परिणाम दिखाई देंगे।
क्या डुकन डाइट मोटापे से ग्रस्त लोगों के लिए फायदेमंद है?

आखिरी अपडेट: 14 सितंबर, 2020

आपने शायद पहले से ही “मिरेकल” डुकन डाइट के बारे में सुना है, जिसे हॉलीवुड में कई लोगों ने अपनाया है।

यह उन लोगों की पसंदीदा डाइट है जो बिना ज्यादा मेहनत किये अपना वजन घटाना चाहते हैं। इसमें किसी भी एक्सरसाइज की जरूरत नहीं है और आप लगभग कुछ भी खा सकते हैं।

जिन लोगों ने इस डाइट का अध्ययन किया है, उनका तर्क है कि यह इसे आजमाने वाले 80% लोगों के लिए काम नहीं करता है, विशेष रूप से वे जो मोटे हैं।

आज इस आर्टिकल में ज्यादा जानकारी पायें।

इस डाइट की कथित सफलता

फ्रांसीसी डॉक्टर डुकन ने अपने चमत्कारी डाइट पर कई किताबें लिखी हैं, और वे सभी कामयाब रहे हैं। स्पेन में उनके तीन प्रकाशन “बेस्टसेलर” हैं जिनकी बिक्री आधे मिलियन से ज्यादा है।

हालांकि इस डाइट से जुड़े अध्ययन भी अहम हैं और ध्यान खींचते हैं। स्पैनिश एजेंसी फॉर फूड सेफ्टी एंड न्यूट्रिशन द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि डॉ।  डुकन का तरीका “धोखाधड़ी पूर्ण और अवैध है और लोगों को वजन कम करने में मदद नहीं करता है। इतना ही नहीं यह लोगों के लिए खतरनाक भी हो सकता है।”

बहुत से लोगों ने इस डाइट को अजमाना शुरू कर दिया यह देखने के बाद कि कितनी जल्दी अभिनेत्री पेनेलोप क्रूज़ ने अपने बेटे को जन्म देने के बाद अपना वजन घटा लिया है। इसके अलावा उन्होंने इंग्लैंड की भावी रानी केट मिडलटन को भी देखा (यह कहा गया है कि डॉ. डुकन ने अपने ऊपर भरोसा जताने के लिए उन्हें अपनी किताब की एक कॉपी भेजा)।

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क्या मोटे लोगों पर डुकन डाइट काम करती है?

क्या मोटे लोगों पर डुकन डाइट काम करती है?

कुछ लोगों को लगता है कि मोटापे से ग्रस्त लोगों के लिए यह सही आहार है। हालाँकि दूसरे लोगों का तर्क है कि यदि आप कुछ पाउंड खोना चाहते हैं तो यह बस अच्छा है। यह मेथड स्थायी प्रभाव का वादा करता है लेकिन कई शोधकर्ताओं ने इस कथित चमत्कारी तकनीक को चुनौती दी है।

एक अध्ययन जिसने दिखाया कि यह आहार क्यों काम नहीं करता है, यह एक ऐसे ग्रुप द्वारा किया गया था जो डॉ. डुकन के कड़े विरोधी थे।

उन्होंने 5000 लोगों पर सर्वे किया जिन्होंने इस डाइट को अपनाया था।

शुरू में उनमें से ज्यादातर ने संकेत दिया कि शुरुआत में यह मेथड प्रभावी थी, लेकिन उन्होंने बाद में सूचना दी:

  • 35% ने जो वजन घटाया था उसे एक साल में वापस पा लिया।
  • 48% लोग एक वर्ष बाद अपने शुरुआती वजन में लौट आए।
  • 64% लोग दो साल बाद इलाज के बाद शुरुआती वजन से भी ज्सायादा मोटे थे।
  • 70% लोग तीन साल बाद अपने शुरुआती वजन से काफी ऊपर चढ़ गए थे।
  • 80% लोगों का वजन चार साल बाद उससे भी ज्यादा बना रहा था जितना कि शुरुआत में था।

इस मेथड के तर्क में कोई सोच सकता है, “यदि आपको अपेक्षित परिणाम नहीं मिला है, तो यह आपके कमिटमेंट की कमी है।” अर्थात् यह रोगी की गलती है – मेथड की नहीं।

बस सर्वे किये गए लोगों में से कुछ पर नजर डालें। 60% लोगों ने कहा कि वे अपना वजन नहीं घटा पाए क्योंकि उन्होंने बहुत न्ज्यादा खाया, उन्होंने डाइट के शुरुआती स्टेज में पर्याप्त मेहनत नहीं की या उन्होंने ऐसा कुछ खाया जो उन्हें नहीं खाना चाहिए।

अपराध की ये भावनाएं मनोवैज्ञानिक रिजल्ट हैं जो डुकन डाइट से जुड़े हैं।

इसके अलावा डुकन डाइटर्स डिप्रेशन और कम आत्मविश्वास के लक्षणों से भी पीड़ित हुए हैं क्योंकि वे एक दिन मिरर में अपना फिगर देखकर खुश होते हैं। फिर कुछ हफ्ते बाद सब कुछ वैसा ही हो गया जैसा पहले था … या उससे भी बुरा।

यह भी उल्लेखनीय है कि पियरे डुकन ने खुद कहा है कि जो लोग कुछ पाउंड ज्यादा मोटे हैं वे “बीमार” हैं।

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विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1997 में इसी तरह का दावा किया था जब उसने मोटापे को क्रोनिक बीमारी बताया। दुर्भाग्यवश, डॉ. डुकन हर उस आदमी का इलाज करते हैं जो छरहरे न हों।

यह अनुमान लगाया गया है कि मोटे या अधिक वजन वाले  लोग डुकन डाइट पर रहने से एक महीने बाद औसतन पाँच पाउंड खो सकते हैं। हालांकि यह कोई अहम आंकड़ा नहीं है, खासकर अगर आप इस मेथड को अजमाने के लिए बताई गयी भोजन की चरम पद्धतियों पर गौर करें।

  • हालाँकि ज्यादा प्रभावी और हेल्दी डाइट प्लान हैं जिनको आज्मकार आप ज्यादा बेहतर नतीजे पा सकते हैं।

कम मैदा, शक्कर और फैट का सेवन और फलों और सब्जियों का सेवन बढ़ाने से फैट पिघल जाएगा। साथ ही आप नियमित रूप से एक्सर्साइज़ कर सकते हैं और धूम्रपान और शराब जैसी बुरी आदतों से बच सकते हैं।

आपको साइड इफेक्ट के ऊंचे रिस्क वाले ऐसे कठोर इलाजों का सहारा लेने की जरूरत नहीं है। इसके अलावा आपके “रिबाउंड एफ़ेक्ट” से बचने की ज्यादा संभावना है।

कई लोगों का तर्क है कि डुकन डाइइट सभी के लिए नहीं है, चाहे वे मोटे हों या न हों। इनमें नवार्रा यूनिवर्सिटी (स्पेन) के एक रिसर्चर भी हैं।

डॉ. सिल्वा का मानना है कि पुस्तक के हर पेज का भी अगर आप अनुसरण करें तो भी रिजल्ट की कोई गारंटी नहीं है।

स्वाभाविक रूप से डॉ. डुकन किसी भी रोगी के फॉलो अप के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं जैसे कि हॉस्पिटल में कोई न्यूट्रिशनिस्ट को करना होता है। न ही वह किसी मरीज की इस डाइट की समझ को नियंत्रित कर सकते हैं। सबसे बुरी बात यह है कि यह किताब बहुत सामान्य है और आबादी के किसी विशेष ग्रुप पर फोकस नहीं करता है।

यह स्पष्ट है कि इन मामलों में फर्क होने के कारण हर कोई इस जेनेरल डाइट को नहीं आजमा सकता, क्योंकि इसमें फर्क है:

  • आयु
  • फिजिकल मेकप
  • वजन
  • हैबिट और एक्टिविटी
  • जेनेटिक फैक्टर
  • रोग

इसलिए पहले अपने ही डॉक्टर से बात करना और स्वस्थ तरीके से वजन कम करने के अन्य विकल्पों का मूल्यांकन करना जरूरी है।



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यह पाठ केवल सूचनात्मक उद्देश्यों के लिए प्रदान किया जाता है और किसी पेशेवर के साथ परामर्श की जगह नहीं लेता है। संदेह होने पर, अपने विशेषज्ञ से परामर्श करें।