रोना आपके लिए किस तरह लाभदायक है
रोना आपके लिए अच्छा है। अगर आप नहीं रोये, तो आपके शरीर को इसका परिणाम भुगतना पड़ेगा। अगर आप सारी चीजों को भीतर दबा लें, सारी समस्याओं को पकड़े रहें तो आखिरकार आपमें विस्फोट ही होगा। हम बिना भावनाओं को व्यक्त किए उसे बांधे रहने के लिए नहीं बने हैं।
आज भी यह भय कि दूसरे कैसी प्रतिक्रिया देंगे, उनकी टिप्पणियां, संभावित अस्वीकृति हमें अपनी बातें भीतर दबाए रखने को बाध्य करती हैं। जो भी हो, हमारे भीतर दबी बातें देर-सबेर अपनी तरह से बाहर निकल आयेंगी ही। आगे मालूम करें कि रोना आपके लिए क्यों अच्छा है।
रोना आपके लिए लाभदायक है ताकि आप पीड़ित न हों
अगर आप नहीं रोते हैं, आप और अधिक उदासी, निराशा, अवसाद और गुस्से से भर जाएंगे।
आपके पास चीजों को बेहतर बनाने का हमेशा अवसर होता है। इन सबको अंदर ही अंदर दबा लेना ही उपाय नहीं है जिस पर आप चलना चाहते हैं।
उदाहरण से समझ सकते हैं। मान लीजिये, आपका साथी हमेशा अपने पैर मेज पर रख कर आराम फरमाते हैं। इसके लिए आपने अपने साथी से कभी कुछ नहीं कहा क्योंकि शुरू-शुरू में आप यह विश्वास करना चाहते थे कि इससे आपको कोई परेशानी नहीं है।
हनीमून का दौर हमें खूबसूरती से मूर्ख बनाता है। यह दौर खत्म होने के बाद क्या होता है? वास्तविकता हमें चोट पहुंचती है। आप जो दावा करते थे कि उससे आपको कोई परेशानी नहीं थी, अब सचमुच परेशान होने लगते हैं।
मुमकिन है आप दूसरेे को दोष देना शुरू कर देंगे। यदाकदा आप कहना शुरू करें, ‘तुम्हें मालूम है, मैं वह पसंद नहीं करता।’ या फिर ऐसी नज़र से जताएंग कि आप खुश नहीं हैं।
इससे आपका कोई समाधान नहीं होने वाला। आप ऐसा बार-बार दिखायेंगे। आप तब तक वैसी ही नज़रों से घूरते रहेंगे जब तक कि एक दिन बिना कारण गुस्से से फूट न पड़ें।
यहां सबसे बड़ी गलती यह दिखावा करना है कि आपको कोई परेशानी नहीं, जबकि वास्तव में होती है और आप इसे समय पर अभिव्यक्त नहीं करतीं। आहो सकता है, आपको यकीन है कि ऐसी घटना फिर नहीं घटेगी।
फिर भी आप उम्मीदें लगाकर सबसे बड़ी गलती कर रहे होते हैं।
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आपका शरीर अपनी अस्वस्थता का संकेत स्वयं देता है
अपनी भावनाओं को दबाए रखना ही आपके जीवन का मकसद हो जाए, तो आपका शरीर खतरे का संकेत भेजना शुरू कर देगा।
ये संकेत बार-बार सरदर्द, व्याकुलता, पेट की परेशानी, खुजली और अन्य परेशानियों के साथ प्रकट होते हैं। वे मदद के लिए चिल्लाते हुए कह रहे होते हैं कि कुछ गलत चल रहा है।
आपको इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
हो सकता है आप इसे समझ नहीं पाते हों, क्योंकि इसका अनुभव आपको हुआ हो पर आपको याद न हो।
अपने शरीर की सुनें, अगर :
- आपको अनुभव हो कि आपकी समस्याएं आपके जीवन को सीमित कर रही हैं।
- आप एंग्जायटी से पीड़ित हों
- आप अक्सर अस्वस्थ रह रहे हों और खुशियों से दूर चले गए हों
आपका शरीर आपकी सोच से अधिक बुद्धिमान है। इसे मामले के मर्म तक पहुंचने में मदद करें। यह अकारण कोई प्रतिक्रिया प्रकट नहीं करता।
आपके शरीर और दिमाग का एक अंतर्सम्बन्ध है। अगर आप समस्या को नजरअंदाज करते हैं, तो यह आपके शरीर के माध्यम से प्रकट करेगा।
यह समस्या इससे और भी आगे चली जाती है। अगर आप अपने दिमाग के अंतरतम हिस्से का ख्याल नहीं रखते और सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली चीज का सामना कर रहे हैं, तो आपके शरीर का चेतावनी संकेत और भी बुरा हो सकता है। परिणाम यह होगा कि आपके पेट की परेशानी चर्मरोग में बदल जाएगी, चर्मरोग रक्त संचालन की समस्या में और रक्त संचालन की समस्या त्वचा की सूजन में।
जैसे-जैसे आप शारीरिक संकेतों को नजरंदाज करेंगे, यह आपको और भी कुछ खराब दिखाने की कोशिश करता रहेगा। जब तक कि उन चीजों पर काबू नहीं पा लेते, जो आपको नाखुश रखती हैं, तब तक यह शरीर आपको बताने की कोशिश करता रहेगा।
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विश्वास, आघात और अनुभव
आपकी समस्याएं अक्सर विश्वासों, आघातों और अनुभवों से जन्म लेती हैं। ऐसे अनुभवों से जिन्हें अपने अनुभव के लिए नहीं चुना था।
हालांकि, ये ऐसे अवसर सिद्घ होते हैं जब आप अपनी आंखें खोलें, सीखें और आगे बढ़ें।
‘नो ‘ कहने का वाला डर किसी विश्वास या भरोसा से आ सकता है अथवा बचपन में हुए किसी दर्दनाक अनुभव से।
अपने को व्यक्त करने का भयानक डर हो सकता है प्रतिकूल अनुभव के कारण हो जिसने स्वाभिमान और आत्मविश्वास में कमी लाई हो।
इन सब से हार न मानें। इनसे झुकने का कोई कारण नहीं है।
हर आघात और अनुभव एक मौका देता है कि आप आखिर क्या बनना चाहते हैं।
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इसलिए याद रखें, रोना आपके लिए हितकर है। अगर आप नहीं रोते हैं, आपका शरीर रोने लगेगा। अब जब भी जरूरी हो स्वयं को रोने दें। दर्द की भौतिक अभिव्यक्ति से अपने शरीर को मुक्त कर दें।
क्या आप तैयार हैं दुख से ऊपर सुख को चुनने के लिए?
सारे चित्र सिलवी ऐन के सौजन्य से।
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