क्या सच में वक़्त सबकुछ ठीक कर सकता है?
यह बात आपने कितनी बार कही है, वक़्त सभी ज़ख्मों को भर देता है? कोई ब्रेकअप या फिर दिल तोड़ देने वाले किसी अनुभव से गुज़रना एक ऐसे मुश्किल वक़्त की शुरुआत होती है, जिसपर आपको किसी न किसी तरह से जीत पानी ही होगी।
पर क्या आप ऐसा अच्छी तरह से कर पाते हैं? क्या आप अपने दर्द का इलाज “किस्मत” के हाथों छोड़ देते हैं? वक़्त को अपना काम करने देना ज़रूरी है, पर आपकी मदद के बगैर खुद वक़्त भी कुछ नहीं कर पाएगा।
अपने घाव भरने की ज़िम्मेदारी आपकी ही है, वक़्त की नहीं।
दर्द को भी कुछ वक़्त की ज़रूरत होती है
यह मान लेना अनुचित होगा कि कुछ ही समय में, वक़्त किसी समस्या या ज़ख्म को ठीक कर सकता है। ज़िन्दगी की यह रीत नहीं है। इसके अलावा, उस घाव को “भरने” में कितना वक़्त लगेगा, यह भी कह पाना कठिन है।
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए आपको एक चीज़ से हमेशा बचना चाहिए। वह है, अतीत में जीकर अपने घाव को हमेशा के लिए खुला छोड़ देना। ऐसा करने से आपका घाव हरा का हरा ही रह जाता है।
कई लोग यह भी कहेंगे, आपको दिल बहलाने का कोई तरीका ढूंढना चाहिए, नयी चीज़ें आज़माकर देखनी चाहिए, अपने दोस्तों के साथ बाहर जाना चाहिए। हो सकता है, ये सब अच्छी बातें हों। पर ये आपकी समस्या का हल तो हरगिज़ नहीं हो सकती हैं।
मन बहलाने से आपका घाव कुछ समय के लिए एक पट्टी से तो ढँक जाएगा, पर देर-सवेर उसका दर्द लौट ही आएगा।
दर्द को कम होने के लिए कुछ समय दें। शायद एक महीना, या फिर उससे थोड़ा ज़्यादा, या फिर हो सकता है अपने दर्द से उबरने में आपको एक साल भी लग जाए। सब कुछ आपके दर्द के कारण पर निर्भर करता है।
पर कोई बात नहीं। ज़्यादा जल्दबाज़ी न करें। सबकुछ ठीक भी हो जाएगा और अपना घाव भर जाने पर आपको पता भी चल जाएगा। उस ज़ख्म के निशान को देखकर आपको कोई पीड़ा नहीं होगी।
घुटने मत टेकिए: हालात को अपने काबू में लीजिए
वक़्त की भी अपनी अहमियत तो होती है। आपको मायूस होकर सबकुछ भगवान-भरोसे छोड़ देने से हमेशा बचना चाहिए। ऐसे कई लोग हैं, जो या तो अपनी समस्याओं के समाधान को “किस्मत” पर छोड़ देते हैं, या फिर यह मानकर बैठ जाते हैं कि वक़्त उनके सभी ज़ख्मों पर मलहम लगा देगा।
ज़िन्दगी ऐसे नहीं चलती। अपने जीवन को अपने हाथों में लेकर आपको उपचार-प्रक्रिया में अपनी भूमिका निभानी ही होगी। आपके साथ क्या होता है, इसकी पूरी ज़िम्मेदारी सिर्फ़ वक़्त की ही तो नहीं। आपको भी तो अपना किरदार निभाना चाहिए।
आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? आपको क्या करना चाहिए? अपनी जीवन की डोर को वापस अपने हाथों में लेने के लिए हमारे पास आपके लिए कुछ सुझाव हैं।
अतीत को अतीत में ही रहने दें
अपने अतीत के अनुभवों से आप सीख ज़रूर ले सकते हैं, पर अब वह पीछे छूट चुका है।
अब अपने अतीत में जीना छोड़कर आपको आगे बढ़ जाना चाहिए। अपने ध्यान को अपने आज पर केंद्रित करें क्योंकि अब वही मायने रखता है।
मदद मांगें
इसमें कोई शक नहीं कि आप सबल हैं, पर कभी-कभी मदद मांगने में कोई बुराई नहीं होती। अपने भरोसे के लोगों से मदद मांगें, जो आगे बढ़कर ज़िन्दगी के प्रति एक नया नज़रिया अपनाने में आपकी मदद करेंगे।
मदद मांगने में कभी भी संकोच न करें। आपकी सहायता करने के लिए कई लोग तत्पर होंगे।
आशावादी बनें
अपने मन के दरवाज़े खोलकर जीवन को एक नये उत्साह से देखें। हो सकता है, आप एक बहुत मुश्किल वक़्त से गुज़रे हों, पर इसका यह मतलब तो नहीं कि आपकी दुनिया ही ख़त्म हो चुकी है।
देर-सवेर सब कुछ ठीक हो जाएगा, तो अपने होंठों पर एक मुस्कान लाकर अपने कदम आगे बढ़ाते चलिए! ज़िन्दगी खूबसूरत है। इसे खुलकर जिएं!
दूसरों के साथ-साथ खुद को भी माफ़ कर दें
अगर दूसरों को भी माफ़ करने से ज़्यादा मुश्किल कोई काम है, तो वह है खुद को माफ़ करना। आप माने या न मानें, किसी भी मुसीबत पर जीत हासिल करने में यह एक अहम भूमिका निभाता है। ऐसा करने पर ही आप अपने अतीत को पीछे छोड़कर आगे बढ़ सकते हैं।
कड़वाहट को बाहर फेंकें, नहीं तो ज़ख्म हमेशा हरा रहेगा
क्या कभी खुद ज़िम्मेदारी उठाने के सिवाय आपने सबकुछ वक़्त के भरोसे छोड़ दिया है? आपको अपने दर्द से सीख लेकर सबकुछ वक़्त के हवाले नहीं छोड़ देना चाहिए। वक़्त आपकी मदद करेगा, पर अपना इलाज तो आपको खुद ही करना है।
हिम्मत जुटाकर अपनी ज़िन्दगी की कमान अपने हाथों में लें। ज़िन्दगी खूबसूरत है, फिर भले ही आपकी आँखों पर दर्द का पर्दा ही क्यों न पड़ा हो। अपने जीवन में खुश रहें, क्योंकि आप उस ख़ुशी के हकदार हैं।
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