मेनिन्जाइटिस के 6 लक्षण जिन्हें अभिभावकों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए
मेनिन्जाइटिस दिमाग और रीढ़ की हड्डी को सुरक्षा देने वाली झिल्ली की सूजन होती है।
बच्चों के इस इन्फेक्शन से पीड़ित होने की बहुत अधिक सम्भावना होती है।
आज के इस लेख में हम इस विषय पर बात करेंगे। हम बात करेंगे कि बतौर माता-पिता, आप अपने बच्चे के मेनिन्जाइटिस से पीड़ित होने के लक्षणों को कैसे समझें।
मेनिन्जाइटिस के लक्षण (Meningitis symptoms)
1. बहुत अधिक सिरदर्द होना
छोटे बच्चों के लिए सिरदर्द होना असहनीय होता है।
- कई बार तो यह दर्द सिर के अलावा बच्चे की गर्दन तक आ जाता है।
- नवजात शिशुओं के मामले में, तालू का उभर जाना (bulging fontanelle) इस इन्फेक्शन का एक मुख्य लक्षण है।
2. पेट दर्द, मतली लगना, उल्टी आना (Stomachache, nausea and vomiting)
ये सारे लक्षण इन्फेक्शन के शुरूआती दौर में होने के सामान्य संकेत हैं।
- इनके साथ-साथ, मरीज़ के खाना खाने की इच्छा में गिरावट आती है।
- ऐसी स्थिति में भूख लगने में कमी आने के साथ-साथ पेट में उठती मरोड़ के कारण दर्द भी बना रहता है।
3. फ़ोटोसेंसिटिविटी (Photosensitivity)
मेनिन्जाइटिस से ग्रस्त मरीज़ों में एक और लक्षण उभर कर सामने आता है।
- उन्हें प्रकाश यानी रोशनी का सामना करने में दिक्कत होती है। ये लोग रोशनी को सहन करने में असमर्थ होते हैं।
- ये रोशनी को लेकर इतने संवेदनशील होते हैं कि उन्हें फ़ोटोफ़ोबिया हो जाता है।
- जैसे ही इन्हें बहुत अधिक रोशनी का सामना करना पड़ता है, जैसे कि सूरज की रोशनी, इनकी आँखों से पानी गिरना शुरू हो जाता है।
- फ़ोटोफ़ोबिया की वजह से मतली आती है और सिरदर्द और ज़्यादा बढ़ जाता है।
3. गर्दन अकड़ना (Neck stiffness)
जब हम मेनिन्जाइटिस से पीड़ित किसी बच्चे के लक्षणों को समझने की कोशिश करते हैं, तब हमें उस बच्चे की शारीरिक हालत से एक चीज़ एकदम स्पष्ट समझ आ जाती है:
- ऐसे मरीज़ करवट लेकर लेटे रहते हैं और अपने सिर को पीछे की तरफ झुकाकर अपने पैरों को मोड़ें रहते हैं।
- ये इस प्रकार लेटकर अपनी गर्दन को घुमाने की कोशिश करते हैं, लेकिन ऐसा करने में असमर्थ होते हैं क्योंकि गर्दन बुरी तरह से अकड़ी रहती है।
5. चीज़ें दोहरी दिखना और बुख़ार (Double vision and fever)
- जब इस परेशानी के शिकार बच्चे किसी चीज़ को देखने के लिए अपना ध्यान केन्द्रित करते हैं या फ़ोकस करने की कोशिश करते हैं, तब उन्हें वह चीज़ दोहरी दिखाई देने लगती है।
- मेनिन्जाइटिस से पीड़ित बच्चे हमेशा जकड़े से रहते हैं और जकड़न से ठण्ड लगने की शिकायत करते हैं।
- ऐसे में बुख़ार आना एक मुख्य लक्षण होता है।
- एक बार अगर बुख़ार तेज़ हो जाए, तो उस पर काबू पाना मुश्किल होता जाता है।
- हालांकि बुख़ार एक बहुत ही सामान्य लक्षण हैं, डायग्नोसिस के लिए आपको अन्य पुष्टि करने वाले लक्षणों की ओर ज़रूर ध्यान देना चाहिए।
6. त्वचा पर चकत्ते पड़ना (Skin rashes)
मेनिन्जाइटिस से पीड़ित बच्चों की त्वचा पर चकत्ते पड़ते हैं।
- अगर आपको जानना है कि आपके बच्चे को मेनिन्जाइटिस है या नहीं, तो इसके लिए आपको केवल काँच के एक ट्रांसपेरेंट कप की ज़रूरत पड़ेगी।
- इस कप को त्वचा पर पड़े चकत्ते पर रख कर कस के दबाएँ और देखें कि ऐसा करने के बाद क्या त्वचा साफ़ दिखने लगती है।
- अगर त्वचा साफ़ दिखने लगती है तो बच्चे को मेनिन्जाइटिस नहीं है।
- लेकिन अगर चकत्ते के रंग में कोई बदलाव नहीं आया है, तो आपको जल्द ही डॉक्टर से मिलना चाहिए।
यह ऐसा इन्फेक्शन है, जिसे हम अनदेखा नहीं कर सकते। बच्चों के मूड और लक्षणों को लेकर हमें सतर्क रहने की ज़रूरत होती है।
आपको विशेष मेडिकल जाँच करने की आवश्यकता होगी।
- अगर जाँच के परिणाम मेनिन्जाइटिस होने की पुष्टि करते हैं, तो आपको तुरंत ही मेडिकल सहायता लेनी शुरू कर देनी चाहिए।
मेनिन्जाइटिस के टीके (Vaccines for meningitis)
टीकों के उपयोग से मेनिन्जाइटिस की कुछ हद तक रोकथाम कर पाना संभव है। आजकल आसानी से मिलने वाले कुछ सामान्य टीके ये हैं:
- मेनिन्जोकॉकी वैक्सीन
- हिमोफिलस वैक्सीन
- न्यूमोकोकी वैक्सीन
इनमें से कुछ टीके आपकी रेगुलर वैक्सीन में नहीं शामिल किये जाते हैं।
- लेकिन ऐसा ज़रूरी नहीं है कि ये टीके लगवाकर आप निश्चित रूप से बच्चे को इस बीमारी से बचा लेंगे।
- इन टीकों के माध्यम से बैक्टीरिया के कुछ एंटीजेन्स की रोकथाम की जा सकती है।
कैसे पता लगता है कि नवजात शिशु को मेनिन्जाइटिस है?
जिस नवजात शिशुओं को मेनिन्जाइटिस होता है, वे चिड़चिड़ापन दिखाते हैं, घबराए रहते हैं और ज़्यादा खाते-पीते नहीं हैं।
- सबसे पहले तो बुख़ार का लक्षण सामने आता है, लेकिन कई बार ऐसे में हाइपोथर्मिया भी हो सकता है।
- साँस लेने में दिक्कत आना और ऐंठन से इस बीमारी के बारे में स्पष्ट रूप से पता लग जाता है।
इस बीमारी से पीड़ित नवजात शिशु अपने जीवन के बहुत ही नाज़ुक दौर से गुज़र रहे होते हैं।
- ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनकी खोपड़ी (craniums) ठीक से बनी नहीं होती है और तालू (fontanelle) का उभरना शुरू हो जाता है।
- सेंट्रल नर्वस सिस्टम की जाँच होने पर सही लक्षणों का पता चल पाता है।
- मेनिन्गोकॉकल बैक्टीरिया के कारण लाल दाग उभर सकते हैं।
इस तरह के कई लक्षणों से हम नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों में इस रोग के लक्षणों को समझ सकते हैं। अगर किसी भी तरह की शंका हो, तो ऐसे बच्चों की रीढ़ की हड्डी की जाँच होनी बहुत ज़रूरी है। इससे इन्फेक्शन की रोकथाम में मदद मिलेगी।
अगर किसी नवजात शिशु को बिना किसी अन्य लक्षण के ही लगातार बुख़ार बना हुआ है, तो इस परेशानी को बेहतर समझने के लिए डॉक्टर रीढ़ की हड्डी की जाँच कर सकते हैं।
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