फाइब्रोमायेल्जिया: 10 मुख्य लक्षण जिनसे सतर्क रहना चाहिये
फाइब्रोमायेल्जिया (Fibromyalgia) एक ऐसा सिंड्रोम है जिसमें मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द की ओर शरीर का रिस्पांस खासतौर से बढ़ जाता है।
आमतौर पर इसके साथ थकान के एपिसोड, पाचन की समस्यायें, लगातार सिरदर्द और हाथ-पैर के पोरों में झुनझुनी महसूस होती है।
अभी तक कोई भी इसका असली कारण नहीं जानता है। हालाँकि हेल्थ एक्सपर्ट अक्सर इसे जेनेटिक कारकों, शिथिल जीवन शैली और कुछ दूसरी बीमारियों के साथ जोड़ते हैं।
यह जाहिर है कि हर मामला अपने आपमें थोड़ा अलग होता है। तो भी हम यह कह सकते हैं कि फाइब्रोमायेल्जिया के मरीजों के शरीर में सूजन का स्तर बढ़ जाता है। इसके फलस्वरूप कई दूसरी प्रतिक्रियायें शुरू हो जाती हैं।
फाइब्रोमायेल्जिया की डायग्नोसिस के समय सबसे बड़ी परेशानी यह होती है कि भ्रम के कारण इसे कोई और आम बीमारी समझा जा सकता है। लेकिन अगर इसका शुरू में इलाज नहीं कराया जाता है तो इसके कुछ गंभीर नतीजे हो सकते हैं। इसलिए यह जानना ज़रूरी है कि यह बीमारी कैसे प्रकट होती है और अगर आपको इसके होने का संदेह है तो किन लक्षणों के बारे में सतर्क रहना चाहिये ।
आइये इनको देखें।
1. फाइब्रोमायेल्जिया में शरीर का अकड़ना (स्टिफनेस)
एक आम समस्या जिसका इस बीमारी के मरीजों को अक्सर सामना करना पड़ता है वह है शरीर का अकड़ना। यह खासतौर से सुबह उठने के बाद पहले कुछ घंटों में होता है।
यह संवेदना काफी कुछ आर्थराइटिस के मरीजों की पीड़ा के समान होती है क्योंकि यह भी मूवमेंट में बाधा डाल सकती है।
2. ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
इस लक्षण को “फाइब्रोनेब्लिन” या “ब्रेन फॉग” कहते हैं। यह बड़े दुःख की बात है कि इसकी वजह से मरीजों को एकाग्रता और याददाश्त से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
व्यक्ति अपने काम पर पूरी तरह से ध्यान नहीं केंद्रित कर पाता है। इसके अलावा कभी-कभार थोड़े समय के लिए उसकी याददाश्त भी खो सकती है।
3. बेहद थकान महसूस करना
इस सिंड्रोम को ग्रहण करने वाले लोगों को स्थाई थकान, या शारीरिक और मानसिक थकावट महसूस होती है। यह इस बीमारी का एक और आम लक्षण है।
तीव्र मानसिक स्ट्रेस के साथ पूरे शरीर में भारीपन महसूस होता है जिसकी वजह से मरीज रोजाना की सामान्य गतिविधियों में भाग नहीं ले पाते हैं। सोकर उठने या बहुत हल्का शारीरिक या मानसिक काम करने जैसी साधारण बातों में भी उनको थकान महसूस हो सकती है।
4. फाइब्रोमायेल्जिया के कारण पूरे शरीर में दर्द
फाइब्रोमायेल्जिया के मरीजों के पूरे शरीर में दर्द होता है, चाहें वह हल्का हो या तीव्र।
शुरू में दर्द कम तीव्र हो सकता है और कुछ अंतराल के बाद हो सकता है।
लेकिन बाद में यह तेज़, तीव्र और टीस मारने वाला होता है।
इस तरह के दर्द लिगामेंट, मसल और टेंडन में होते हैं। दुर्भाग्यवश, काउंटर पर बिना पर्ची के मिलने वाली दर्द से राहत देने की दवाइयों का इन पर जल्दी या आसानी से असर नहीं होता है।
5. नींद की गुणवत्ता में कमी
ऊपर बताये गये कुछ शारीरिक और मानसिक लक्षणों की वजह से मरीज को अक्सर अच्छी नींद नहीं आती है।
दिमाग में जो न्यूरोट्रांसमीटर्स होते हैं, इस बीमारी के कारण उनमें परिवर्तन होता है। अब वे दिमाग को उत्तेजित कर पाने में कम असरदार होते हैं, जिससे विश्राम पर नेगेटिव असर होता है।
दर्द की वजह से होने वाली शारीरिक तकलीफ सोने के कुछ खास पॉस्चर से और ज्यादा बढ़ सकती है। इससे स्लीपिंग पैटर्न बिगड़ जाता है।
6. सुन्न होना और झुनझुनी होना
हाथ-पैरों के सुन्न हो जाने की प्रबल संवेदना के साथ परेशान करने वाली झुनझुनी महसूस करना फाइब्रोमायेल्जिया की शुरुआती अवस्थाओं का साफ संकेत हो सकती है।
इसके मरीजों को अक्सर यह शिकायत होती है। उन्हें ऐसा लगता है जैसे कोई उनकी त्वचा में सूईयां चुभो रहा है, खासतौर से हाथों और पैरों में। कभी-कभी यह सिर्फ कुछ क्षणों के लिए महसूस होता है। मगर कुछ मामलों में काफी देर तक ऐसा अनुभव हो सकता है।
आमतौर पर ये लक्षण रात को बढ़ जाते हैं। अगर मरीज ज्यादा समय तक एक ही पोज़ीशन में रहता है तो भी उसे इनका अनुभव हो सकता है।
7. पाचन संबंधी समस्यायें
फाइब्रोमायेल्जिया के कारण सूजन की प्रक्रिया में होने वाला असंतुलन उन लक्षणों के साथ आ सकता है जो इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) में दीखते हैं।
अधिकांश मरीजों को उसी तरह से बार-बार पेट में दर्द होता है, गैस जमा होती है और गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स भी होता है।
8. पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता
इस बीमारी से पीड़ित लोगों में शोर और प्रदूषण जैसे पर्यावरण के कारकों के प्रति ज्यादा संवेदनशीलता और एलर्जी जैसे रिएक्शन की अक्सर शिकायत होती है।
मरीज को माइग्रेन वाले लक्षणों जैसी अनुभूति हो सकती है। इस तरह, अधिक रोशनी, जोर की आवाज़ों या कुछ उत्पादों में मौजूद रसायनों के प्रति शरीर का नेगेटिव रिएक्शन हो सकता है।
9. तापमान के प्रति संवेदनशीलता
इसके मरीजों को अपने शरीर के तापमान को नियमित रखने में कठिनाई होती है क्योंकि सूजन की प्रक्रियाओं में असंतुलन के कारण शरीर में लगातार बदलाव होता है।
कभी-कभी तो यह लक्षण इतना तीव्र होता है कि मरीज ठीक से आराम भी नहीं कर पाते। यह इसलिए होता है, कि जब वे सोने की कोशिश करते हैं तो उन्हें बहुत ज्यादा गर्म या ठंडा लगता है।
इसके अलावा, पर्यावरण के तापमान में अचानक होने वाले परिवर्तनों का मरीज पर ज्यादा तीव्र असर होता है। आखिर वे एक स्वस्थ व्यक्ति की तुलना में इस प्रकार के बदलाव के प्रति ज्यादा संवेदनशील होते हैं।
10. फाइब्रोमायेल्जिया से जुड़ा डिप्रेशन
फाइब्रोमायेल्जिया के बारे में चर्चा करते समय एक बहुत अहम बात पर विचार करना जरूरी है। वह है डिप्रेशन के पीरियड जिनका मरीजों को अक्सर सामना करना पड़ता है।
दुर्भाग्य से, यह एक ऐसी अवस्था है जिसका जीवन की गुणवत्ता पर खास असर पड़ता है। कई बार इसके कारण भावनात्मक परिवर्तन होते हैं और मरीज को गहरी उदासी महसूस होती है क्योंकि उसे कमियों के साथ रहना सीखना होता है।
जैसा कि हमने देखा, फाइब्रोमायेल्जिया के लक्षणों को समझना आसान नहीं है। इससे पीड़ित होने वाले व्यक्ति को मेडिकल और साइकोलॉजिकल प्रोफेशनल्स के सपोर्ट की ज़रूरत होती है।
इस बीमारी के सभी संभावित लक्षणों की ओर ध्यान देना ज़रूरी है ताकि संदेह हो तो पीड़ित व्यक्ति को एक निश्चित डायग्नोसिस मिल सके या जल्दी से जल्दी गलतफहमी को दूर करके अपने मन को शांत कर सके।
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