सैडोरेक्सिया : तेजी से बढ़ती खानपान की एक गड़बड़ी
सैडोरेक्सिया तेजी से बढ़ती खानपान से जुडी गड़बड़ी है जो दो स्थितियों का मेल है : एनोरेक्सिया और हिंसक यौन व्यवहार का एक मेल। इस विषय पर अभी भी बहुत रिसर्च ट्रायल नहीं हुए हैं, इसलिए इसकी पैथोलॉजी के बारे में हमारे पास आज बहुत सीमित जानकारी है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि खानपान की गड़बड़ी और मनोवैज्ञानिक प्रकृति की समस्याएं बड़ी करीब से जुडी होती हैं। दरअसल एक्सपर्ट अक्सर खानपान की गड़बड़ी को अपने आप में एक मनोवैज्ञानिक समस्या मानते हैं। मरीजों में कुछ अलग या नुकसानदेह व्यवहार दिखाना आम है, जिनकी निगरानी करने और कुछ मामलों में इलाज की जरूरत होती है।
सैडोरेक्सिया : तेजी से बढ़ता ईटिंग डिसऑर्डर
जैसा कि हमने ऊपर बताया है, सैडोरेक्सिया भोजन के प्रति एक कड़ा परहेज वाला रवैया है जिसमें सैडोमासोचिज़्म का रुझान भी जुड़ा होता है। दूसरे शब्दों में एक ऐसा हिंसक यौन व्यवहार जिसमें दर्द शामिल हो। एंडोक्राइन, मेटाबोलिक और इम्यून डिसऑर्डर ड्रग टार्गेट्स जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार एनोरेक्सिया अत्यधिक दुबला-पतला होने का जुनून है जो व्यक्ति के भोजन में बहुत कमी ला देता है।
बदले में, सैडोरेक्सिया वाले लोगों में अक्सर कुछ तरह के व्यवहार के लिए एक ख़ास रूचि पैदा होती है जिसमें दर्द या शारीरिक शोषण शामिल होता है। वे खुद कोशिश करके उल्टी करने या फ्लैगेलैशन से यौन सुख प्राप्त करते हैं, जिससे आत्महत्या भी हो जाती है।
हाल के अध्ययनों के अनुसार इस किस्म की प्रैक्टिस सेक्स हॉर्मोन लेवल या कुछ विशिष्ट न्यूरोलॉजिकल पैटर्न के साथ सम्बन्ध हो सकता है।
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सैडोरेक्सिया का कारण और डायग्नोसिस
सैडोरेक्सिया के कारण कई तरह के हैं और उनमें से सभी के ठीक तरह से पहचान भी नहीं हो पाती। शारीरिक कद-काठी को लेकर बहुत एंग्जायटी, जो सोशल प्रेशर के कारण इंसान को अस्वास्थ्यकर दुबलापन हासिल करने की ओर धकेल देती है।
यहां तक कि वैज्ञानिक टेस्ट भी हैं जो भरोसा दिलाते हैं कि खाने की समस्याएं जेनेटिक बदलावों के रेस्पोंस में होती हैं। इस तरह एनवायरनमेंट की वे परिस्थितियां ही हो सकती हैं जो इस समस्या की जिम्मेदार होती हैं।
जो बात साफ़ है वह यह कि सोशल दबाव और शिक्षा व्यक्ति को ऐसी समस्या में पड़ने के जोखिम को बढाती हैं। जीवन की दर्दनाक घटनाएं किसी भी तरह के ईटिंग डिसऑर्डर पैदा होने होने के लिए संभावित सहायक भूमिका का काम करती हैं।
जहां तक डायग्नोसिस का सवाल है ऐसी स्क्रीनिंग और मनोवैज्ञानिक टेस्ट हैं जो डायग्नोसिस करने में मदगार होते हैं। फिर भी एक काबिल डॉक्टर ही इनकी जांच करवा सकता है।
इन डिवाइस के साथ यह संभव है कि सैडोरेक्सिया के जोखिम वाले व्यवहार की पहचान हो जाए। जितनी जल्दी पता चेलगा बाद के चिकित्सकीय हस्तक्षेप उतने ही ज्यादा सफल हो पायेंगे।
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सैडोरेक्सिया का इलाज
सैडोरेक्सिया के इलाज की बात आने पर एक मल्टी-सिसिप्लिनरी टीम की जरूरत की अहमियत पर यहाँ जोर देना जरूरी है। इस टीम में एक न्यूट्रिशनिस्ट, एक साइकोलॉजिस्ट और एक साइकेट्रिस्ट होना चाहिए। इकट्ठे काम करके ही इस स्थिति को उलटना मुमकिन है।
सबसे गंभीर मामलों में जब रोगी कुपोषण का शिकार होता है, अस्पताल में भर्ती होना जरूरी होगा जैसा कि हम चिली मेडिकल जर्नल के एक पब्प्रलिकेशन में देखते हैं। कुपोषण होने पर डॉक्टरों को गंभीर मेटाबोलिक समस्याओं को रोकने के लिए पोषक तत्वों से भरपूर इंट्रावीनस सीरम डालने की जरूरत होगी।
आउट पेशेंट ट्रीटमेंट के मामले में न्यूट्रिशन एजुकेशन जरूरी है। सबसे पहले यह न्यूनतम डाइट पर आधारित डाइइट मॉडल का प्रस्ताव करने के लिए सबसे अच्छा हो सकता है, जो बुनियादी जरूरतों को कवर करे। इस बिंदु पर अवधारणाओं को तोड़ने र धीरे-धीरे व्यक्ति के आहार में विभिन्न प्रोडक्ट को शामिल करना अहम है।
इसके अलावा, व्यवहार में बदलाव के आधार पर मनोवैज्ञानिक सहायता के साथ इसमें इलाज में मदद करना भी महत्वपूर्ण है। मानसिक स्थिरता में सुधार और अत्यधिक रिस्क वाली स्थितियों या आत्महत्या के प्रयासों को रोकने के लिए फार्माकोलॉजी गाइडलाइन बनाना महत्वपूर्ण है।
सैडोरेक्सिया : हाल ही में खोजी गई पैथोलॉजी
जैसा कि हमने उल्लेख किया है, इसके वर्गीकरण के संबंध में सैडोरेक्सिया एक अपेक्षाकृत हालिया विकार है। हालांकि, मनोवैज्ञानिक और पोषण संबंधी परामर्श के बाद यह एक आम खाने वाला विकार है। उपचार दृष्टिकोण किसी भी अन्य खाने के विकार के समान है।
एक बहु-विषयक टीम को विभिन्न बिंदुओं से विकृति का दृष्टिकोण करने के लिए एक साथ आना चाहिए, इस प्रकार तालमेल का निर्माण करना चाहिए। सबसे गंभीर मामलों में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि यह यथासंभव लंबे समय तक क्षति से बचने के लिए महत्वपूर्ण है।
व्यवहार चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक चिकित्सा जोखिम प्रथाओं को कम करने में बहुत मदद करेगी जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं। यदि आपको संदेह है कि आपके वातावरण में कोई व्यक्ति इस समस्या से पीड़ित हो सकता है, तो जल्द से जल्द एक पेशेवर से परामर्श करें।
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