अंडरआर्म डीटॉक्स की मदद से ब्रैस्ट कैंसर से बचें
बात जब कैंसर की आती है तो रोकथाम बेहद ज़रूरी हो जाती है। ऐसे में, हर छोटी-बड़ी बात बहुत मायने रखने लगती है।
नियमित चेक-अप करवाते रहने के अलावा भी ऐसी बहुत से चीज़ें हैं, जिन्हें करवाकर कोई महिला ब्रैस्ट कैंसर से बची रह सकती है।
उन्हीं में से एक है अंडरआर्म डीटॉक्स।
यह जानकारी जर्नल ऑफ़ इनऑर्गेनिक बायोकेमिस्ट्री में प्रकाशित एक अध्ययन पर आधारित है।
अपने अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने मास्टेक्टोमी करवा चुकी 17 कैंसर पीड़िताओं के ब्रैस्ट सैंपल्स का विश्लेषण किया था।
एंटीपर्सपिरेंट्स का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं के बाहरी ब्रैस्ट टिशू में एलुमिनियम के जमाव पाए गए थे।
इस अध्ययन के अनुसार वह एलुमिनियम स्तन के केंद्र में न होकर, हमारी अंडरआर्म के नज़दीक मौजूद किसी टिशू में केंद्रित पाया गया था।
इसी खोज के आधार पर शोधकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे थे कि इसके पीछे एल्युमीनियम की हल्की-सी मात्रा से युक्त डिओडोरेंट जैसी चीज़ों का हाथ होता है।
इस अध्यन के ही मुताबिक़ यह भी पाया गया था कि स्तन के ऊपरी और बाहरी हिस्से में पाए जाने वाले सबसे ज़्यादा ट्यूमरों की मौजूदगी का एक कारण एलुमिनियम-युक्त डिओडोरेंट्स का इस्तेमाल भी था।
हमारी त्वचा पर एलुमिनियम का असर
हमारे शरीर पर एलुमिनियम किसी न्यूरोटॉक्सिन की तरह काम करता है।
इस बात की पुष्टि भी की जा चुकी है कि वह कई बीमारियों के लिए ज़िम्मेदार होता है, जिनमें से कई अल्झाइमर जैसे न्यूरोलॉजिकल रोग भी होते हैं।
जैसाकि हम पहले ही देख चुके हैं, पश्चिमी देशों में ब्रैस्ट कैंसर की उच्च दर के पीछे कई डिओडोरेंट्स में पाए जाने वाले एलुमिनियम सॉल्ट्स का हाथ होता है।
इसीलिए अंडरआर्म डीटॉक्स करवाना ज़रूरी हो जाता है।
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अंडरआर्म डीटॉक्स का हमारी त्वचा पर क्या असर होता है?
एल्युमीनियम के अवशेष महिलाओं के ब्रैस्ट टिशू में जमा हो जाते हैं।
नतीजतन सिस्टिक फ्लूइड की मात्रा प्लाज्मा या स्तन के दूध में पायी जाने वाली मात्रा से ऊपर चली जाती है।
डिओडोरेंट्स में ट्राईक्लोसैन नामक कैंसर के सबसे बड़े कारकों में से एक भी पाया जाता है।
केमिकल रिसर्च इन टॉक्सिकोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, यह रासायनिक पदार्थ कैंसर वाली कोशिकाओं को पनपने का मौका दे सकता है। इसीलिए इससे दूर रहने में ही हमारी भलाई होती है।
अंडरआर्म डीटॉक्स की मदद से ब्रैस्ट कैंसर से कैसे बचा जाए?
कैंसर की रोकथाम के लिए अंडरआर्म डीटॉक्स करवाना बहुत ज़रूरी होता है। ऐसा कर टॉक्सिक पदार्थों के जमाव को हम अपने रक्त प्रवाह और त्वचा में जाने से रोक सकते हैं।
ऐसा करने का एक अच्छा रास्ता है पसीना आना। पसीना, शरीर से ज़हरीले तत्वों को निकाल बाहर करने का सबसे अच्छा तरीका जो होता है।
अपने इम्यून सिस्टम की तरफ़ ध्यान देकर टॉक्सिन्स से संबंधित बीमारियों से बचे रहना भी ज़रूरी होता है।
ऐसे में, स्नान और कसरत आपके सबसे अच्छे दोस्त साबित हो सकते हैं। वे उन तत्वों का नामोनिशान मिटा देते हैं।
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अंडरआर्म डीटॉक्स का घरेलू नुस्खा
अंडरआर्म डीटॉक्स करने का एक आसान-सा उपाय आप अपने घर पर भी फ़ौरन तैयार कर सकते हैं।
सामग्री
- एक चम्मच जैविक साइडर सिरका (10 मिलीलीटर)
- तीन बूँद रोज़मेरी एसेंशियल ऑइल
- पांच बूँद धनिये वाला एसेंशियल ऑइल
- एक चम्मच बेंटोनाइट मिट्टी (10 ग्राम)
बनाने की विधि
- किसी कांच के कटोरे में सिरके और मिट्टी को मिला लें। ध्यान रहे कि आप लकड़ी के बर्तनों की ही इस्तेमाल कर रहे हैं। धातू से मिट्टी गंदी हो सकती है।
- इस मिश्रण में एसेंशियल ऑइल्स को मिलाकर एक क्रीम बना लें।
लगाने की विधि
- इस मिश्रण की पतली-सी परत को अपनी अंडरआर्म पर कुछ देर तक लगाए रखें।
- फिर उसे धो लें। इस प्रक्रिया को रोज़ाना दोहराएं।
ढेर सारा पानी पीकर भी आप अपना काम आसान कर सकते हैं। टॉक्सिन्स को निकाल बाहर करने के लिए आपके शरीर को उसकी ज़रूरत जो होती है।
हाँ, ज़हरीले तत्वों के इस जमाव से बचने के लिए इन चीज़ों का कम से कम इस्तेमाल कर 100% प्राकृतिक चीज़ों का ही उपयोग करें।
नेचुरल डिओडोरेंट
अपना नेचुरल डिओडोरेंट आप अपने घर पर भी बना सकते हैं।
सामग्री
- एक चम्मच बेकिंग सोडा (10 ग्राम)
- एक चम्मच नारियल का तेल (15 ग्राम)
बनाने की विधि
- इन दोनों चीज़ों को मिलाकर एक ऐसा गाढ़ा पेस्ट बना लें, जिसे आप आसानी से अपनी अंडरआर्म्स पर लगा सकते हों। एक कारगर डिओडोरेंट की तरह काम करने वाला यह पेस्ट चिपचिपा नहीं होता।