स्पिरुलिना के सेवन में बरतें 5 सावधानियां
हाल ही में स्पाइरुलिना ने फ़ूड इंडस्ट्री में पॉपुलरिटी हासिल की है क्योंकि इसके सेहत से जुड़े फायदों को मान्यता दी गई है। हालांकि, किसी भी खाद्य की तरह स्पिरुलिना लेने से पहले कुछ सावधानियां और समस्याओं पर विचार करना चाहिए।
इसे लेने से किसे बचना चाहिए?
स्पिरुलिना एक ऐसी एल्गी है जो रेगिस्तानी इलाकों में आसानी से पनपता है और उससे भी ज्यादा जहां पानी एल्केलाइन है। इसमें मौजूद प्रचुर पोषक तत्वों के कारण कई लोग इसे एक सुपरफूड मानते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि इसका सेवन हमेशा सुरक्षित है।
स्पिरुलिना: इसमें कौन से पोषक तत्व हैं?
एज़्टेक और इंका सभ्यतायें प्राचीन काल से इसका सेवन करती आयी थीं। हालाँकि कुछ समय पहले ही इंसानी सेहत के लिए इसके महत्वपूर्ण गुणों को दुबारा खोजा गया था। नतीजतन आज कई लोग इसे बहुत महत्व देते हैं और आप इसे पाउडर, कैप्सूल, लिक्विड और टैबलेट के रूप में हासिल कर सकते हैं।
स्पिरुलिना में ऊँची मात्रा में प्रोटीन, एसेंशियल फैटी एसिड और एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। इसमें आयरन, कॉपर, जिंक और विटामिन A, E, और B कॉम्प्लेक्स जैसे मिनरल शामिल हैं।
स्पिरुलिना के फायदे
नतीजतन कई स्टडी से पता चलता है कि अपने तत्वों की बदौलत स्पिरुलिना कुछ बीमारियों की रोकथाम और इम्यून सिस्टम की मजबूती में सहायता कर सकता है।
इसके सबसे ज्यादा अहम् माने जाने वाले काम ये हैं:
- यह एंटीऑक्सिडेंट और एंटीवायरल है।
- यह हेवी मेटल्स को बनाए रखता है, इसलिए यह एक नेचुरल केलाटॉर (chelator) है।
- यह ब्लड शुगर और कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करता है।
पोषक गुणों के कारण विशेषज्ञ स्पिरुलिना को सुपरफूड मानते हैं।
स्पाइरुलिना खाने से जुड़ी सावधानियां क्या हैं?
हालांकि यह डाइटरी सप्लीमेंट ज्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित है, लेकिन कुछ विशिष्ट मामलों में इससे बचना सबसे अच्छा है। क्योंकि इसके कुछ उलटे हो सकते हैं। आइए उन 5 स्थितियों पर करीब से नज़र डालें जिसमें एहतियात बरतनी चाहिए।
1. ब्लीडिंग डिसऑर्डर वाले लोगों को स्पिरुलिना लेने में सावधान रहना चाहिए
स्पिरुलिना में एक थक्कारोधी असर होता है, जिसका अर्थ है कि यह प्लेटलेट्स के एक्शन को धीमा कर देता है जो ब्लड वेसेल्स में घाव को अवरुद्ध करते हैं। इसलिए यह रक्तस्राव को रोकने की नेचुरल क्रिया को प्रभावित करता है।
इस अर्थ में जो लोग एट्रियल फाइब्रिलेशन या स्ट्रोक जैसी स्थितियों के लिए ऐसे ही असर वाली दवाएं लेते हैं उन्हें स्पिरुलिना से बचना चाहिए। रक्तस्राव की समस्या वाले रोगियों में घाव और हेवी ब्लीडिंग तेज हो सकती है।
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2. गर्भवती महिला या नर्सिंग बच्चे
प्रेगनेंसी के दौरान इस सप्लीमेंट के असर पर कोई सटीक डेटा नहीं हैं। हालांकि एक्सपर्ट को पता है कि एल्गी टॉक्सिक तत्वों या मेटल से दूषित हो सकते हैं।
हेवी मेटल टोक्सिसिटी एक गंभीर स्थिति है जो कई अंगों को प्रभावित करती है। मस्तिष्क, किडनी और रेड ब्लड सेल्स इन विषाक्त पदार्थों के इकट्ठे होने के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं, जो कि मिडिल टर्म में अन्य बीमारियों के विकास का रिस्क बढाता है।
प्लेसेंटा और भ्रूण और मां के बीच ट्रांसमिशन की यूनिट मेटल टॉक्सिसिटी की चपेट में आ सकती है। इसलिए गर्भावस्था उन स्थितियों में से एक है जहां स्पिरिलुना लेने के संबंध में सावधानियां और परहेज हैं।
3. ऑटोइम्यून पैथोलॉजी वाले लोगों को स्पाइरुलिना नहीं लेना चाहिए
स्पाइरुलिना लेने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। हालांकि, कुछ स्थितियों में – जैसे मल्टीपल स्केलेरोसिस, ल्यूपस, रुमेटीइड गठिया, अन्य समान स्थितियां – स्पिरुलिना इस प्रभाव को सुदृढ़ कर सकती हैं और इस प्रकार इन स्थितियों को बढ़ा सकती हैं।
इसलिए, इन मामलों में इसके सेवन से दूर रहना सबसे अच्छा है।
4. एलर्जी
कुछ अध्ययनों के अनुसार, स्पाइरुलिना में एक एलर्जेनिक तत्व हो सकता है। इसलिए ऐसी संभावना है कि यह साइड इफेक्ट पैदा कर सकता है। स्पिरुलिना के संपर्क में रहते हुए इसका पता लगाना आवश्यक है, जो पहले से ही अन्य फ़ूड एलर्जी से पीड़ित हैं, उन्हें अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए।
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5. स्पिरुलिना लेने से पहले फेनिलकेटोनुरिया के मरीजों को सावधान रहना चाहिए
फेनिलकेटोनुरिया (Phenylketonuri) एक हेरिडिटरी बीमारी है जिसकी सामान्य आबादी में शुरुआत की दर कम है। इन रोगियों में फेनिलएलनिन नाम का एमिनो एसिड के मेटाबोलिज्म में बदलाव होता है।
इन व्यक्तियों के लिए शैवाल के मामले में सावधानी बरतनी चाहिए। वरना लक्षण उभरने पर उनका शरीर अपना विशेष मेटाबोलिज्म नहीं कर सकता है।
स्पिरुलिना लेने से पहले क्या विचार करें
स्पिरुलिना ऐसा फ़ूड है जिसका इस्तेमाल सप्लीमेंट के रूप में किया जाता है और दवा के रूप में नहीं। पर्याप्त मात्रा में इसका सेवन ज्यादातर लोगों के लिए सुरक्षित है।
हालांकि कुछ विशेष मामलों में साइड इफेक्ट हो सकते हैं। इनमें स्किन पर दाने और खुजली, प्यास, कब्ज, पेट दर्द और चक्कर आना शामिल हो सकते हैं। हालांकि यह तत्व प्रोटीन, एसेंशियल फैटी एसिड और अन्य पोषक तत्वों के सेवन का एक विकल्प है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि यह साइड इफेक्ट पैदा करने में सक्षम नहीं है।
यह हमेशा हानिरहित होगा, ऐसा नहीं है। इस कारण यदि आप किसी बीमारी से पीड़ित हैं, ब्रेस्टफीडिंग करा रही हैं या कुछ खाद्य पदार्थों से एलर्जी है, तो आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए कि क्या आप इस शैवाल को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।
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