डिप्रेशन के लक्षण: कैसे जानें कि आपका प्रिय व्यक्ति इसका शिकार है
डिप्रेशन यानी अवसाद से पीड़ित लोग अपनी भावनाओं को अच्छी तरह से छिपा लेने में माहिर होते हैं लेकिन कुछ स्थितियों में वे ऐसा नहीं कर पाते। वे अन्य लोगों को अपनी असली भावनाओं के बारे में नहीं जानने देते। इसी कारण से यह जानना बहुत ज़रूरी है कि आखिर डिप्रेशन के लक्षण क्या-क्या हैं।
यह लेख इसी समस्या पर केन्द्रित है। इसमें आपके अपने प्रियजनों में अवसाद का पता लगाने में मदद करने के लिए हमने कुछ सलाह दी है।
डिप्रेशन के लक्षण जो बहुत आम हैं
कई लोग उदासी और अवसाद को एक जैसा ही मान लेते है लेकिन दोनों में बहुत फर्क है। तो आखिर उदासी और अवसाद के बीच अंतर क्या है?
कुछ अवसाद से पीड़ित लोगों को पहचानना सरल होता है क्योंकि वे हर वक्त उदास, या “निराशाजनक” रहते हैं। वहीं कुछ लोग अपनी इस भावना को अपने चेहेरे पर मुस्कान का मुखौटा पहनकर लोगों से छिपाए रखते हैं।
अवसाद से ग्रसित लोग दोस्ताना किस्म के भी हो सकते हैं और उनमें लोगों के साथ घुल-मिलकर बाहर घूमने की प्रवृत्ति भी हो सकती है। लेकिन आखिरकार उनका अवसाद उन्हें जीवन का आनंद लेने से रोक देता है। नीचे दिए गए कुछ संकेतों पर ध्यान देकर आप अपने करीबी लोगों में डिप्रेशन की स्थिति से अवगत हो सकते हैं:
1. मुस्कुराहट में भी दिखते हैं डिप्रेशन के लक्षण
यदि आप किसी हँसते हुए व्यक्ति की तस्वीर देखें तो आप आराम से बता सकेंगे कि उस तस्वीर में व्यक्ति की मुस्कुराहट वास्तविक है या नहीं। लेकिन कैसे? जवाब है, उनकी आँखों को देखकर।
अगर आँखें आधी बंद हैं , तो यह संभव है कि वह एक असली मुस्कुराहट हो। दूसरी ओर, अगर मुस्कान केवल मुँह पर ही है, तो हो सकता है की वह व्यक्ति केवल मुस्कुराने का दिखावा कर रहा है।
अगली बार जब आप उस व्यक्ति से बात करें, जिसे आप अवसाद से पीड़ित समझ रहे हो, तो इस अवसाद के लक्षण को अवश्य ढूँढने की कोशिश करें।
2. उनके अंदर होती है प्रेरणा की कमी
किसी भी काम को करने के लिए जिस प्रेरणा की ज़रूरत होती है, वह प्रेरणा अवसाद से पीड़ित व्यक्ति में नहीं होती है।
उदाहरण के लिए, यदि पहले वे म्यूजिक सुनते थे, म्यूजियम में घूमते थे, यात्रा करते थे या दोस्तों के साथ बाहर घूमने जाते थे लेकिन अब घर पर रहने के बहाने ढूँढते हैं, तो शायद यह लक्षण उनके अंदर “छिपे” अवसाद को बताता है।
यदि एक मिलनसार किस्म का व्यक्ति पार्टियों, डिनर, या कहीं जाने के निमंत्रण को ठुकरा देता है तो हो सकता है वह व्यक्ति अच्छे समय से नहीं गुज़र रहा है। यह स्थिति जारी रहती है, तो आप उन्हें कुछ पेशेवर मदद देकर उनकी मदद कर सकते हैं।
इस बात का ध्यान रखें कि हर कोई खुलकर बात करनेवाला और मिलनसार व्यक्ति नहीं होता है। इसलिए आपको आपके प्रियजनों के बारे में अच्छी तरह से जानना बहुत ज़रूरी है। इससे आप यह निर्धारित कर सकते हैं कि मिलनसार न होने का यह लक्षण वास्तव में डिप्रेशन के कारण है या नहीं।
3. उनमें भोजन करने की अजीबोगरीब आदतें मिलेंगी
डिप्रेशन के लक्षण में भोजन से जुड़ी बातें भी शामिल होती हैं क्योंकि भोजन और भावनाओं, दोनों का आपस में एक गहरा और मजबूत संबंध होता है। जब हम उदास या दुखी होते हैं , तो हम अक्सर ज़रूरत से ज्यादा खाने लगते हैं।
कुछ लोग सुबह-सुबह चिंताग्रस्त हो जाते हैं। इसलिए फ्रिज में जो कुछ भी मिल जाए वे उसका भक्षण कर लेते हैं।
यदि आप किसी व्यक्ति में ऐसा देखें कि वह हर समय खाता रहता है या शायद उसका वजन जल्दी-जल्दी बढ़ रहा हैं, तो ऐसा हो सकता है कि वह खा-पीकर अपने अवसाद से बचने की कोशिश कर रहा है।
4. वे हमेशा निराशावादी बातें करते हैं
डिप्रेशन के शिकार आपके प्रियजन के अवसाद का पता लगाने के लिए उनके चुटकुलों या टिप्पणियों के अलावा उनकी इस बात पर भी ध्यान दें कि आखिर वे हमेशा किस तरह की बातें करते हैं।
अवसाद के कारण हम चीजों को एक अलग तरीके से देखने लगते हैं। इससे हम हर स्थिति में हमेशा नकारात्मक ही देखते या सोचते हैं। बिलकुल उस आधे पानी भरे ग्लास की तरह जिसे अवसाद से पीड़ित व्यक्ति देखकर अपनी नकारात्मक सोच के कारण कहता है कि ‘ग्लास आधा खाली है ‘ जबकि सकारात्मक सोच यह है कि ‘ग्लास आधा भरा हुआ है’।
बस एक बुरा या ख़राब दिन हमें निराशावादी बना सकता है अर्थात नकारात्मक सोचने पर मजबूर कर सकता है, लेकिन ऐसी नेगेटिव सोच अवसाद से पीड़ित लोगों में हमेशा पायी जाती है।
यदि आपका प्रियजन लगातार कुछ बुरा होने की ही उम्मीद कर रहा है, या ऐसा कुछ भी सोच रहा है जो आम तौर पर होनेवाला नहीं है, तो इसका कारण यह हो सकता है कि शायद वह मनोवैज्ञानिक रूप से बहुत अच्छे दौर से नहीं गुज़र रहा है।
5. उन्हें हमेशा कुछ बुरा होने की उम्मीद रहेगी
निराशावादी होने के साथ-साथ, अवसाद पीड़ित व्यक्ति “घातक” भी हो सकता है। यहाँ घातक का मतलब यह है कि वे हमेशा दुर्घटनाओं , समस्याओं या आपातकालीन स्थिति के बारे में ही सोचते रहते हैं।
उदाहरण के लिए, वे यात्रा कर रहे हैं तो वे विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बारे में बोलने लगते हैं, या जिस व्यक्ति से उनकी अभी मुलाक़ात हुई उनके बारे में भी वे ऐसा बोलने लगते है कि वह व्यक्ति उनसे झूठ बोल रहा है।
ऐसा उनके साथ इसलिए होता है क्योंकि वे अपने को खुश नहीं देख पाते। उन्हें लगता है, अगर वे किसी चीज़ को लेकर बहुत खुश होंगे, तो उनकी यह ख़ुशी दुःख में बदल जाएगी।
6. निरंतर बदलती मनोदशा
अवसाद से पीड़ित व्यक्ति अचानक रोते-रोते हँसने लगते हैं, गुस्सा करते-करते खुश हो जाते हैं, या उत्साह से भर उठने के कुछ मिनटों बाद ही एकदम शांत हो जाते हैं।
ऐसे लक्षण “गिरगिट की तरह रंग बदलने” की स्थिति जैसी या स्थिति के अनुकूल या प्रतिकूल होने की वजह से नहीं होती है, बल्कि उनमें भीतरी तौर पर एक गड़बड़ी होती है जिसे वे नियंत्रित करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं।
अवसाद से पीड़ित व्यक्ति में भावनाओं का स्थिर होना एक आम बात है। हो सकता है वे हमेशा ख़राब मनोदशा में हों। लेकिन पलक झपकते ही वे अपनी मनोदशा बदल देते हैं।
वे दोस्ताना व्यवहार की जगह अधिक शत्रुतापूर्ण व्यवहार भी कर सकते हैं। इसका दोष वे अपने आसपास के माहौल या लोगों पर डाल देते हैं, क्योंकि वे कभी भी इन सब की ज़िम्मेदारी खुद पर नहीं लेना चाहते हैं।
7. वे पर्याप्त सो नहीं पाते हैं
अवसाद ग्रस्त लोगों में अनिद्रा, दुःस्वप्न, और नींद से जुड़ी दूसरी समस्याएँ बहुत आम होती हैं। ऐसे लोगों में अक्सर देखा जाता है कि वे पूरे सप्ताह भर सोते रहते हैं लेकिन फिर अगले कुछ दिनों तक वे एक सेकंड के लिए भी सो नहीं पाते। उन्हें नींद की एक झपकी भी नसीब नहीं हो पाती है।
इसके अलावा अक्सर आधी रात में जाग जाना और फिर पूरी रात सो नहीं पाना या बहुत बार दिन के समय नींद आना और दिन के समय ही एक झपकी लेने की ज़रूरत पड़ जाना भी डिप्रेशन के लक्षण ही हैं।
8. वे एकाग्रचित्त नहीं हो पाते हैं
अवसाद से ग्रसित लोग नकारात्मक विचार के होते हैं। वे किसी भी अन्य विचार के लिए दिमाग में कोई जगह ही नहीं छोड़ते हैं।
जब मन किसी प्रकार के विचारों से भरा होता है तो हम ध्यान केंद्रित करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं। हम ध्यान नहीं दे पाते हैं या बातों को याद नहीं रख पाते हैं।
इससे काम में, अध्ययन में या रोजमर्रा की जिंदगी में हमारा अच्छा प्रदर्शन कमजोर होने लगता है।
डिप्रेशन के शिकार लोग हमारी बातों को थोड़ी देर सुनने के बाद फिर अनसुनी करने लगते हैं। वे वार्तालाप के अहम मुद्दे से ही भटक जाते हैं। फिर कुछ ऐसा कहने लगते हैं जो हमने पहले ही कह दिया हो। उन लोगों को कोई भी काम करने के लिए सामान्य से ज्यादा वक्त की ज़रूरत पड़ने लगती है।
नीचे दिए गए कुछ अन्य संकेत भी हो सकते हैं डिप्रेशन के लक्षण:
- कुछ भी बुरा होने पर वे खुद को दोषी महसूस करने लगते हैं।
- वे अल्कोहल, दवाओं और इसी तरह के अन्य पदार्थों का अधिक सेवन करने लगते हैं।
- वे अक्सर मृत्यु के विषय में ही बातें करते हैं।
- वे अपनी व्यक्तिगत देखभाल या घरेलू साफ़-सफाई की उपेक्षा करने लगते हैं।
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