कैल्शियम सप्लीमेंट कैसे चुनें
कभी-कभी पर्याप्त मात्रा में पोषण के लिए कैल्शियम सप्लीमेंट लेना ज़रूरी होता है। आपके शरीर में अपर्याप्त कैल्शियम समय से पहले ऑस्टियोपोरोसिस को ट्रिगर कर सकता है, खासकर उन महिलाओं में जो मेनोपाज तक पहुंच गई हैं।
आमतौर पर शरीर में कैल्शियम को आत्मसात कर पाना विटामिन D के लाल से जुड़ा है। इन दोनों पोषक तत्वों की सही मात्रा को बनाए रखना महत्वपूर्ण है। हालांकि फाइबर जैसे कुछ खाद्य पदार्थ शरीर में डायेटरी कैल्शियम के अवशोषण में हस्तक्षेप कर सकते हैं।
इस मिनरल का सही मात्रा में सेवन सुनिश्चित करने के लिए एक अच्छा विकल्प सप्लीमेंट लेना है। हालांकि सभी सप्लीमेंट समान नहीं हैं। इसलिए आपको यह जानना होगा कि आपकी ज़रूरतों पर कौन फिट होगा।
हड्डी की सेहत के लिए कैल्शियम अहम है
डेयरी प्रोडक्ट, साथ ही हरी सब्जियों में कैल्शियम होता है। पर ज़रूरी मात्रा में ले पाने के लिए इनका सेवन करना हमेशा ही पर्याप्त साबित नहीं होता।
यह मिनरल सीधे हड्डी की सेहत और उनकी कार्यक्षमता से जुड़ा है। अमा तौर पर, डेयरी प्रोडक्ट और पत्तेदार हरी सब्जियां इससे भरपूर होती हैं। वैसे ऐसी स्थितियां भी होती हैं जिनमें भोजन के जरिये बहुत कम मात्रा में यह मिनरल शरीर में जाता है। आदर्श रूप से आपको एक दिन में पांच सर्विंग फल और सब्जियों के साथ डेयरी प्रोडक्ट की कई सर्विंग्स लेनी चाहिए। इससे इस मिनरल की कमी होने का खतरा कम हो जाता है।
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कैल्शियम सप्लीमेंट के प्रकार
कैल्शियम की खुराक कई तरह की होती है। इनमें चुनाव करने के लिए अपनी जरूरतों की सही जानकारी जरूरी है।
सबसे आम ओवर-द-काउंटर सप्लीमेंट कैल्शियम कार्बोनेट है। यह एक अपेक्षाकृत सस्ता प्रोडक्ट है जिसे लेना आसान है क्योंकि अक्सर यह गोलियों या चबाने योग्य गोलियों में आता है जिनमें एक डोज में लगभग 200 मिलीग्राम कैल्शियम होता है।
सबसे आम प्रेस्क्रिप्शन सप्लीमेंट कैल्शियम साइट्रेट है। प्रेस्क्रिप्शन सप्लीमेंट ज्यादा महंगी होती है, लेकिन उनका शरीर में बेहतर ढंग से अवशोषण भी होता है। वे मुख्य रूप से कम गैस्ट्रिक एसिड लेवल वाले लोगों में इस्तेमाल होते हैं। क्योंकि यह एसिड कैल्शियम कार्बोनेट के अवशोषण में हस्तक्षेप कर सकता है।
इन दो किस्मों के अलावा आप बाजार से कैल्शियम लैक्टेट, कैल्शियम फॉस्फेट और कैल्शियम ग्लूकोनेट भी पा सकते हैं। हालांकि, उनमें ऊपर बतायी गयी टैप के मुकाबले कम कैल्शियम होता है।
कैल्शियम सप्लीमेंट चुनने की बात आने पर उस विकल्प को चुनना जरूरी है जिसमें लेबल पर “शुद्ध” शब्द हो। इसके अलावा, ऑयस्टर शेल, बोन मील, या डोलोमाइट से बने प्रोडक्ट से बचना सबसे अच्छा है, क्योंकि इनमें हेवी मेटल्स हो सकते हैं।
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इसका सेवन कैसे बढ़ाएं
अगर आप इसका सेवन बढ़ाना चाहते हैं, तो कुछ सिफारिशों पर गौर करना ज़रूरी है। सबसे पहले आपको हमेशा एक डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। फिर आपको धीरे-धीरे सप्लीमेंट की डोज बढ़ानी चाहिए। इसके अलावा, पूरे दिन डोज को डिस्ट्रीब्यूट कर लेना ठीक रहेगा। इससे आप आंतों पर इसके साइड इफेक्ट को रोकते हैं।
आमतौर पर कैल्शियम सेवन के साथ विटामिन D का सेवन बढ़ाने को जोड़ना चाहिए। इसके लिए अपने धूप में बैठ सकते हैं, अंडे और ब्लूफिश का सेवन बढ़ा सकते हैं, या इस पोषक तत्व से भरपूर सप्लीमेंट के जरिये भी ऐसा कर सकते हैं।
इस सप्लीमेंट से जुड़ी सावधानियां
कैल्शियम ज्यादा होने का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट किडनी स्टोन होता है। हालाँकि यह स्थिति हर किसी में नहीं उभरती है।
इसके अलावा, अत्यधिक कैल्शियम का सेवन दूसरे पोषक तत्वों के अवशोषण में हस्तक्षेप कर सकता है, जैसे कि आयरन, जिंक, मैग्नीशियम और फास्फोरस। इस कारण आपको बतायी गयी मात्रा से ज्यादा खुराक नहीं लेनी चाहिए।
अगर आपने बहुत ज्यादा कैल्शियम लिया है या इसके सेवन से साइड इफेक्ट होते हैं, तो आपको तरल पदार्थों और उन खाद्य पदार्थों का सेवन बढ़ाना चाहिए जिसमें फाइबर हों, जो इसके अवशोषण को कम करते हैं।
निष्कर्ष
अगर आपको अपनी डाइट में पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिल रहा है, तो सप्लीमेंट का सहारा लेना ज़रूरी हो सकता है। बाजार में उपलब्ध तमाम वरायटी में अपनी ज़रूरतों को पूरा करने वाला सप्लीमेंट चुनना महत्वपूर्ण है।
हालांकि साइड इफेक्ट रोकने के लिए डोज को धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। अंत में, यह ज़रूरी है इसके अवशोषण को बढ़ाने के लिए इसके साथ विटामिन D सप्लीमेंट जोड़ा जाये। मामला जो भी हो, किसी भी सप्लीमेंट को लेने से पहले डॉक्टर या न्यूट्रीशनिस्ट की सलाह लेना ज़रूरी है जिससे वे आपकी आवश्यकताओं का मूल्यांकन कर सकें और सही खुराक की सिफारिश कर सकें।
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