डायबिटीज वाले रोगियों का क्यों होता है ज़ेरोस्टोमिया या ड्राई माउथ
डायबिटीज वाले लोग चाहे वे टाइप 1 या टाइप 2 हो, अक्सर ड्राई माउथ या ज़ेरोस्टोमिया का अनुभव करते हैं। समस्या यह है कि यह सिर्फ एक अहसास नहीं है; मुंह में इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं।
ज़ेरोस्टोमिया (Xerostomia) क्षय, संक्रमण और पीरियडोंटल रोगों के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है। कई जांच प्रक्रियायें इस बात की पुष्टि करती हैं कि 70% से ज्यादा डायबिटीज वाले लोग ड्राई माउथ मुंह का अनुभव करते हैं। इसलिए इस आर्टिकल में हम समझाएंगे कि ऐसा क्यों होता है और इसे कैसे हल किया जाए।
डायबिटीज के क्या लक्षण हैं?
डायबिटीज मेलिटस ऐसी बीमारी है जो ग्लूकोज के मेटाबोलिज्म को प्रभावित करती है। इसके दो मुख्य टाइप हैं: टाइप 1 और टाइप 2। टाइप 1 डायबिटीज के मामले में पैनक्रियाज इंसुलिन का स्राव करने में असमर्थ होता है।
दूसरी ओर टाइप 2 में शरीर के विभिन्न टिशू में इंसुलिन रेजिस्टेंस पैदा होता है। हालाँकि इसके स्राव में कमी भी हो सकती है। यह एक ऐसी समस्या है जो दुर्भाग्य से ज्यादा हो रही है।
ज़ेरोस्टोमिया डायबिटीज के मुख्य लक्षणों में से एक है। जर्नल एंडोक्राइनोलॉजी और न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक रिव्यू स्टडी के अनुसार यह मधुमेह रोगियों में सबसे ज्यादा उभरने वाले लक्षणों में से है।
मुंह में जो दूसरे लक्षण दिखाई दे सकते हैं वे हैं अल्सर, फेरिनिंजियल कैंडिडिआसिस और जलन। हालाँकि ये केवल लक्षण नहीं हैं। पॉल्यूरिया (पेशाब में बढ़ोतरी), पॉलीडिप्सिया (बढ़ी हुई प्यास) और वजन में बदलाव भी होता है।
डायबिटीज वाले रोगियों का क्यों होता है ज़ेरोस्टोमिया?
ज़ेरोस्टोमिया जैसा कि हमने बताया है, वह शब्द है जो ड्राई माउथ को बताता है। डायबिटीज वाले लोगों में इसकी उपस्थिति कई फैक्टर से जुडी होती है, लगभग सभी खराब ब्लड शुगर कंट्रोल से जुड़े हैं।
सबसे पहले के कारणों में से एक पेशाब में बढ़ोतरी है। पेशाब में वृद्धि से डिहाइड्रेशन होता है। और चूंकि लार ज्यादातर पानी से बना होता है, इसलिए शरीर में तरल पदार्थ गड़बड़ाने से इसका उत्पादन भी गड़बड़ा जाता है।
एक दूसरा बराबर का जिम्मेदार फैक्टर जो डायबिटीज में शुष्क मुंह का जिम्मेदार होता है, वह लार की संरचना में बदलाव है। पानी के अलावा, लार में ग्लूकोज और प्रोटीन भी होता है।
जर्नल ऑफ ओरल मेडिसिन एंड पैथोलॉजी में प्रकाशित एक स्टडी बताता है कि डायबिटीज सैलिवरी ग्लैंड की बनावट को प्रभावित करता है। यह तथाकथित डायबिटिक सियालोसिस (diabetic sialosis) का उत्पादन करता है, जिसमें लार ग्रंथियों का आकार बढ़ जाता है। इससे उनकी कार्यप्रणाली बिगड़ जाती है।
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ज़ेरोस्टोमिया के अन्य कारण
हालाँकि मधुमेह के शिकार लोगों का एक बड़ा हिस्सा शुष्क मुँह से पीड़ित होता है, लेकिन यह बीमारी एकमात्र कारण नहीं है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कई फैक्टर लार का बनना प्रभावित करते हैं और कई स्थितियाँ ज़ेरोस्टोमिया को ट्रिगर कर सकती हैं।
उदाहरण के लिए नॉन-डायबिटिक डिहाइड्रेशन। इसी तरह दवाएं इस लक्षण को पैदा कर सकती हैं, विशेष रूप से कीमोथेरेपी ट्रीटमेंट में उपयोग किए जाने वाले।
वृद्धावस्था भी अक्सर एक फैक्टर होती है, जैसे कि दूसरी क्रोनिक बीमारियाँ जैसे सिरोसिस, एचआईवी और टीबी। Sjögren’s syndrome ज़ेरोस्टोमिया के सबसे प्रासंगिक कारणों में से एक है।
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डायबिटीज वाले लोगों के लिए ड्राई माउथ का हल
डायबिटीज में ड्राई माउथ का महत्व न केवल इससे पैदा होने वाली बेचैनी में होता है, बल्कि मुंह की समस्याओं की श्रृंखला में भी यह पैदा कर सकता है। उदाहरण के लिए यह कैविटी और संक्रमणों के साथ-साथ पीरियडोंटल बीमारी से पीड़ित होने का खतरा बढ़ाता है।
इसलिए इस तरह की समस्या से बचने और उसे रोकने के लिए उपाय करना आवश्यक है। सबसे पहले मधुमेह वाले लोगों को ब्रश करने के अलावा, माउथवॉश और डेंटल फ्लॉस का उपयोग करके अपनी मौखिक स्वच्छता को मजबूत करना चाहिए।
इसके अलावा चीनी और एसिडिक लिक्विड से बचना सबसे अच्छा है। बेशक हाइड्रेटेड रहना जरूरी है, लेकिन पीने के पानी से ऐसा करना सबसे अच्छा है। डेंटिस्ट के पास बार-बार जाना भी जरूरी है क्योंकि प्रोफेशनल जल्द से जल्द किसी भी बदलाव की जांच करेगा और उसे ठीक करेगा।
इसके अलावा कुछ मामलों में डॉक्टर दवाएं लिखते हैं जो लार प्रवाह को बढ़ावा देती हैं। दरअसल वे कृत्रिम लार का उपयोग भी कर सकते हैं। बेशक ये उपाय उन मामलों के लिए आरक्षित हैं जिनमें सामान्य उपाय ज़ेरोस्टोमिया को हल करने में नाकाम होते हैं।
याद रखें
डाइबीटीज़ वाले लोगों को मुंह सूखने का खतरा अधिक होता है। क्योंकि रोग लार की संरचना और लार ग्रंथियों के आकारिकी दोनों को बदलता है।
इससे बचने के लिए ब्लड शुगर लेवल पर कंट्रोल रखना आवश्यक है। इसके अलावा सही हाइड्रेशन औरओरल हाइजीन के साथ विशेष केयर जटिलताओं को कम करने के लिए जरूरी हैं।
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