अल्ज़ाइमर से बचने के लिए लें नाचने और चलने का मजा
नाचना और चलना आपके दिमाग को काम कराने के दो शानदार तरीके हैं। ये तन और मन दोनों को चंगा करते हैं। ये स्वतंत्रता और विश्राम की भावना को बढ़ाते हैं। इतना ही नहीं ये उम्दा शारीरिक अभ्यास हैं जिनका स्वास्थ्य पर सीधा असर होता है और आप अल्ज़ाइमर की बीमारी से बचे रहते हैं।
जर्नल ऑफ अल्ज़ाइमर डिजीज (Journal of Alzheimer’s Disease) के एक आर्टिकल में बताया गया है, किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधि जो शारीरिक एक्सरसाइज के साथ खुशी देती है वह आपके दिमाग को न्यूरोडिजेनरेटिव बीमारियों के प्रति ज्यादा प्रतिरोधी बनाती है।
इसलिए बागवानी या अपने यार्ड की देखभाल करना, नाचना, चलना, साइकिल चलाना, या किसी भी तरह की गतिविधि का अभ्यास करना जो आपके शरीर को हिलाती-डुलाती है और साथ ही आपके मन को खुश भी करती है, 50% तक अल्जाइमर रोग होने के खतरे को कम कर सकता है।
यह करने लायक है।
दिमाग की क्षमता और गतिविधि को बढ़ाने के लिए नाचना और चलना
हम कम से कम 20 या 30 मिनट के लिए रोज चलने के फायदों के बारे में पहले अक्सर बात करते आये हैं। यह कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ को सुधारने और तनाव से लड़ने का एक तरीका है।
लेकिन एक बात जिसके बारे में शायद आप अभी भी नहीं जानते होंगे वह यह है कि नाचने और चलने, या रोज अपने पौधों की देखभाल करने जैसी इतनी सरल चीजें अल्ज़ाइमर जैसी न्यूरोडिजेनरेटिव बीमारी के रिस्क को काफी हद तक कम कर सकती हैं।
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हमने इस पोस्ट की शुरुआत में एक स्टडी का जिक्र किया है जिसका लॉस एंज़ेल्स में कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय के विभिन्न डॉक्टरों ने आयोजन किया, उनमें डॉक्टर साइरस ए राजी भी शामिल हैं। इसके मुताबिक शारीरिक गतिविधि और भावनात्मक सुख के बीच का संबंध न्यूरॉन कनेक्शन की वॉल्यूम को बढ़ा सकता है जिससे आप भिन्न तरह के डिमेंशिया से बचने के लिए ज्यादा मजबूत बन सकते हैं।
अल्ज़ाइमर के लिए कोई इलाज नहीं है लेकिन इसे रोका जा सकता है
हम सब किसी न किसी को जानते हैं या हमारे परिवार का कोई सदस्य है जिसे अल्जाइमर की बीमारी बताई गयी है। कुछ बीमारियां बहुत दुखदायी हो सकती हैं, क्योंकि हमारी आँखों के सामने कोई अपनी पहचान और याददाश्त खो देता है। धीरे-धीरे उसकी हालत और बिगड़ती जाती है जिसकी वजह से उसे अंत में अपना शरीर छोड़ना पड़ता है।
- वर्तमान में अल्ज़ाइमर के लिए कोई इलाज नहीं है। यह एक कठिन लड़ाई है जो मरीज और परिवार के सदस्यों दोनों को दुःख देती है। इसके निदान के बाद भावनात्मक वजन और भी भारी हो जाता है।
- हालांकि अल्ज़ाइमर के लिए कोई इलाज नहीं है, इसे रोका जा सकता है। आप इसके होने की संभावनाओं को कम करने के लिए लड़ सकते हैं।
- इस मामले में, यदि आप रोज चलने, डांस क्लास में जाने और बाहर एक्टिव रहने की आदत डालेंगे तो आप अल्जाइमर के रिस्क को 50% तक कम कर देंगे।
- जैसा कि इस काम से दिखाया गया है, जो लोग बहुत कम भावनात्मक उत्तेजना वाला आसान जीवन जीते हैं वे कम सेरिब्रल वॉल्यूम पेश करते हैं, कम चुस्त होते हैं और उनके दिमाग में कम न्यूरॉन कनेक्शन होते हैं।
जो एक्सरसाइज और एक्टिविटी पॉजिटिव, उत्तेजक और मजेदार होती हैं वे दिमाग में ग्रे मैटर को बढ़ाती हैं। इसलिए ये अभ्यास करने लायक साबित हुई हैं। यह न केवल दिमाग को मजबूत करता है बल्कि यह न्यूरोडिजेनरेटिव बीमारियों को भी रोकता है।
अल्ज़ाइमर से लड़ने के लिए रोज चलें, नाचें, हंसे, और सीखें
नाचने और चलने जैसी शारीरिक गतिविधियां दिमाग को ऑक्सीजनेट, सर्कुलेशन में सुधार और पोषक तत्वों को ट्रांसपोर्ट करती हैं। ये विश्राम के बेहतरीन लम्हें प्रदान करती हैं जो आपके मन को मोहित करने के लिए नई उत्तेजना देते हैं और आपको अपनी घिसी-पिटी दिनचर्या से दूर खींचते हैं।
- याद रहे, असल में रूटीन दिमाग के सबसे बुरे दुश्मनों में से एक है। एक ही सा काम करना और बार-बार की जाने वाली एक्टिविटी आपको एक तरह के डिप्रेशन में ले जायेंगे और आपको ब्रेन की केमिस्ट्री को प्रभावित करने वाले मूड में बदलाव अनुभव होंगे।
- रूटीन से दिमाग ज्यादा धीमा और मशीनी हो जाता है। इस समय पर आपको याददाश्त खोना और न्यूरॉन्स में अंतरग्रथन की कमी दिखाई देने लगती है।
- नाचने और चलने जैसी गतिविधियां जो शरीर को मूव करने के लिए मजबूर करती हैं, नई उत्तेजना हैं जो जिज्ञासा और भावनाओं को जगाती हैं। आप कह सकते हैं कि ये दिमाग के लिए एक तरह का ईंधन हैं।
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तो अंत में जैसा कि डॉक्टर साइरस राजी ने कहा था, इस बात को ध्यान में रखते हुए कि अभी तक हमारे पास कोई ऐसी दवा नहीं है जिसे इस्तेमाल करके अल्जाइमर का निदान होने के बाद स्थिति को पलटा जा सके, हमारे पास सिर्फ एक उपाय है। वह है उसकी रोकथाम करना।
सलाह
यह करने के लिए आपको केवल कुछ चीजों के प्रति सचेत होने की जरूरत है: दिमाग एक मांसपेशी है इसलिए इसका प्रयोग किया जाना चाहिए।
अगर आप हर दिन को पिछले दिन जैसा होने देते हैं, यदि आप हमेशा बैठे रहते हैं, सिर्फ टीवी देखने में समय बिताते हैं और अपने सामाजिक संबंधों को सीमित करते हैं तो आपके दिमाग की कोशिकायें धीरे-धीरे डिस्कनेक्ट हो जायेंगी और काम करना बंद कर देंगी।
लेकिन अगर आप अपनी जिज्ञासा को जगाते हैं, अगर आप अपने को चुनौती देते हैं कि “आज आधा घंटा चलने के बजाय मैं एक घंटा चलूंगा,” “मैं कुछ म्यूज़िक लगाकर नाचने जा रहा हूं,” या इससे भी बेहतर, “मैं कुछ दोस्तों के साथ जुम्बा सीखने जा रहा हूं,” आपका दिमाग मजबूत और ज्यादा चुस्त हो जायेगा।
यह न भूलें।
- Klimova, B., Valis, M., & Kuca, K. (2017). Dancing as an Intervention Tool for People with Dementia: A Mini-Review Dancing and Dementia. Current Alzheimer Research. https://doi.org/10.2174/1567205014666170713161422
- Venturelli, M., Scarsini, R., & Schena, F. (2011). Six-month walking program changes cognitive and ADL performance in patients with Alzheimer. American Journal of Alzheimer’s Disease and Other Dementias. https://doi.org/10.1177/1533317511418956