ब्लैडर कैंसर के 7 संकेत जिन पर ध्यान देना चाहिए
ब्लैडर यानी मूत्राशय पाउच के आकार वाला मस्कुलर ऑर्गन है। इसकी विशेषता कम्प्रेस होना और किडनी द्वारा पैदा किये गए मूत्र को जमा करने पर फैलने की क्षमता है। इनकी अन्दरूनी मेम्ब्रेन पर मैलिग्नैंट सेल्स के अनियंत्रित रूप से बढ़ने पर ट्यूमर बन जाता है और ब्लैडर कैंसर विकसित होता है।
ब्लैडर कैंसर की पहचान करने का महत्व
मूत्राशय के कैंसर के ज्यादातर मामले यूरोथेलियम (urothelium) में शुरू होते हैं, जो इस अंग का सबसे भीतरी अस्तर है। किसी भी किस्म के दुखद नतीजे से बचने के लिए इसे वक्त रहते पहचानना महत्वपूर्ण है क्योंकि कुछ ही दिनों में यह आपके मूत्राशय और आसपास के टिशू में फैल सकता है।
एक समस्या यह है कि इसके कई शुरुआती लक्षणों का सम्बन्ध दूसरी स्थितियों से भी होने के कारण उनकी गलत डायग्जिनोसिस हो जाती है जिससे कई रोगियों में इसकी सही डायग्नोसिस में मुश्किल पेश आती है।
इसका मतलब यह है कि इसके हर संकेत की तलाश करना ज़रूरी है, खासकर अगर आपका एक्सपोजर स्मोकिंग और जहरीले केमिकल जैसे रिस्क फैक्टर्स से है।
आज हम आपसे इसके मुख्य लक्षणों में से 7 तथ्यों की जानकारी शेयर करेंगे, इसलिए अगर आपको ऐसा कोई भी अनुभव है तो तुरंत अपने डॉक्टर से मिलें।
1. मूत्र में खून
यूरिन में खून आना ब्लैडर कैंसर के शुरुआती लक्षणों में से एक है।
- यह अलग-अलग मात्रा में हो सकता है, लेकिन आम तौर पर यह रुक-रुक कर होगा।
- कुछ रोगियों ने नोटिस किया कि उनका मूत्र गुलाबी रंग का हो गया है, या कुछ दुर्लभ मामलों में गहरा लाल हो गया है।
- दूसरे मामलों में यूरिन का रंग नंगी आंखों से देखने पर सामान्य प्रतीत होता है। हालांकि, डॉक्टर मेडिकल जांच में खून के छोटे निशानों का पता लगा सकते हैं।
- ये लक्षण लगातार कई हफ्तों तक जारी रह सकते हैं या किसी दिन अचानक प्रकट होकर अगले दिन गायब हो सकते हैं।
- अगर आप इस बीमारी का इलाज नहीं करेंगे तो भविष्य में मूत्र में खून दोबारा आएगा।
इसे भी पढ़ें : किडनी ख़राब होने के लक्षण: वक्त रहते जानिये ये 7 संकेत
2. पेशाब करने की आदतों में बदलाव
पेशाब की आदतों में बदलाव को ब्लैडर कैंसर के संभावित संकेत के रूप में भी देखना चाहिए क्योंकि यह लगभग हमेशा ही इन्फेक्शन के कारण होता है।
इससे बहुत तेजी से कैंसर की डायग्नोसिस हो सकती है।
अगर आप निम्नलिखित संकेतों में से भी कुछ नोटिस करते हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह लें।
- मूत्राशय खाली होने पर भी बाथरूम जाने की जरूरत महसूस होना
- रात में पेशाब करने की इच्छा बढ़ जाना
- यूरिन फ्लो का कमजोर होना
- पेशाब करने पर जलन महसूस होना
3. पीठ में एक साइड में दर्द
यूरिनरी इन्फेकेक्षण, किडनी स्टोन और ब्लैडर कैंसर, इन सभी मामलों में पीठ के निचले हिस्से में एक तरफ बड़ी असुविधाजनक दर्द हो सकता है।
शुरू में तो यह मांसपेशियों में दर्द जैसा महसूस हो सकता है, लेकिन इसकी तीव्रता और बार-बार होना इस बात का संकेत है की कोई गंभीर गड़बड़ी है।
इस पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है, खासकर जब यह मूत्र में ध्यान देने योग्य बदलावों के साथ हो।
4. भूख न लगना
भूखन लगने पर इसके कारणों का विश्लेषण करने वाले कई फैक्टर होते हैं। उनमें एक संभावना यह भी होती है कि कहीं यह किसी तरह के कैंसर का नतीजा तो नहीं है।
ब्लैडर में ट्यूमर बनने पर ऐसे मरीजों में भारीपन की एक भावना बनी रहती है जो उन्हें अपने पसंदीदा भोजन का मजा लेने से रोक सकता है।
5. वजन घटना
भूख का अभाव और कैंसर का स्ट्रेस मिलकर मरीज में खतरनाक ढंग से वजन कम कर सकता है।
यह पोषण की गंभीर कमियों का परिणाम हो सकता है, और जैसे ही आपका रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती जाती है, कैंसर सेल्स के विकसित होने की संभावना ज्यादा हो जाती है।
6. सूजन
शरीर में तरल का जमाव या एडिमा शरीर के इन्फ्लेमेटरी रिस्पांस का नतीजा है जब यह कैंसर कोशिकाओं से हमला करता है।
इस विशेष मामले में यह पेट और पैरों में सबसे ज्यादा स्पष्ट होगा क्योंकि ब्लैडर अब लिक्विड से पीछा छुडाने में सक्षम नहीं है।
7. थकान और एनीमिया की भावना
मूत्राशय के कैंसर के कारण भूख ख़त्म होने का एक और परिणाम थकान की एक गहरी भावना का उभरना है, जो आमतौर पर एनीमिया से जुड़ा हुआ है।
पोषक तत्वों की कमी होने पर रक्त कोशिकाओं का बनना कम हो जाता है और सेल्स को कम ऑक्सीजन मिलती है, जिससे शारीरिक और मानसिक थकान पैदा होती है।
निष्कर्ष के तौर पर ऊपर बताये गए लक्षण पूरी तरह से नुकसानरहित या कम गंभीर स्थितियों का संकेत भी हो सकते हैं। फिर भी, आपको सही टेस्ट कराकर यह जांच कर लेनी चाहिए कि कहीं उनका कोई सम्बन्ध ब्लैडर कैंसर से तो नहीं है।
इस बीमारी के दूसरे रूपों की तरह ही इस विशेष मामले में तेजी से पहचान करना ही सफल इलाज की कुंजी है।
Richards, M. A., Smith, P., Ramirez, A. J., Fentiman, I. S., & Rubens, R. D. (1999). The influence on survival of delay in the presentation and treatment of symptomatic breast cancer. British Journal of Cancer. https://doi.org/10.1038/sj.bjc.6690137
Boman, H., Hedelin, H., Jacobsson, S., & Holmäng, S. (2002). Newly diagnosed bladder cancer: The relationship of initial symptoms, degree of microhematuria and tumor marker status. Journal of Urology. https://doi.org/10.1016/S0022-5347(05)64271-1