6 लक्षण जो बताते हैं, आपको आंतों की समस्या है
आंतों की समस्या पर चर्चा में जाने से पहले बता दें कि आपकी आंतें (intestines) वे अंग हैं जो पेट (abdomen) में ऊपरी भाग में पाई जाती हैं, आमाशय (stomach) और गुदा (rectum) के बीच। ये हमारे पाचन तंत्र (डाइजेस्टिव सिस्टम) का हिस्सा हैं और दो भागों में बँटी होती हैं।
आपकी आंत या अंतड़ी के दो हिस्से होते हैं; बड़ी आंत (large intestine) और छोटी आंत (small intestine)। हालांकि वे एक ही अंग बनाती हैं, और एक जैसा ही काम करती हैं, पर दोनों का काम अलग-अलग और विशिष्ट होता है।
इस पूरे अंग का लक्ष्य होता है खाने को पचाना जो कि छोटी आंतों से ही शुरू हो जाता है। पाचन का अधिकतर काम छोटी आँतों में ही होता है। इस प्रक्रिया में भोजन में मौजूद पोषक तत्व आँतों की झिल्ली में मौजूद एपिथेलियल सेल्स (epithelial cells) के द्वारा सोख लिए जाते हैं और खून की धारा में बहा दिए जाते हैं जिससे ये शरीर के अन्य भागों तक पहुंच पाएं।
यह प्रक्रिया बड़ी आंतों पर जाकर खत्म होती है जो खनिज (minerals) और पानी को सोखने के बाद भोजन के बचे-खुचे बेकार अंश यानी वेस्ट्स को मल (faecal matter) बना देती है। इसे शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
आंतेंः ख़ास और नाजुक
बिना किसी शक़ के शरीर के इस भाग की अहमियत उतनी ही ज़्यादा है जितनी कि यह नाज़ुक है। हालाँकि ऐसा हर अंदरूनी अंग के साथ है। इस नाज़ुकता का सबंध उन पदार्थों से है जो इसके अंदर से होकर गुजरते हैं।
आंतों की समस्या उससे कहीं ज्यादा आम है जितना आप समझते हैं और ये पाचन से जुड़ी समस्यायें होती हैं। इनका पता लगाने का सबसे आसान तरीका यह है कि यह ढूंढा जाये कि दर्द हो कहाँ रहा है।
एब्डोमेन में दर्द, आमाशय यानी स्टमक में दर्द या सूजन मुख्य लक्षण होते हैं। हालाँकि और भी कम आम लक्षण हैं, जो बीमारी या आँतों से जुड़ी समस्यायों का पता लगा सकते हैं।
इस लेख में, हम आपको ऐसे कुछ लक्षणों की जानकारी देंगे।
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लक्षण जो बताते हैं, आपको आंतों की समस्या है
मीठा खाने की ललक (Sugar cravings)
आँतों में रहने वाले बैक्टीरिया अक्सर असंतुलित हो सकते हैं। इससे ऐसी समस्याएं होती हैं जिनमें मिठाइयाँ या मीठी चीज़ों को खाने की खूब चाहत होती है।
इस मामले में परेशानी यह है कि शुरुआत में आपको इस तरह के खाद्यों को खाने का मन करता है, जैसा कि सामान्य रूप से होता ही है, पर जैसे-जैसे समय बीतता है आपकी इच्छा बहुत ही ज़्यादा बढ़ने लगती है और ललक में तब्दील हो जाती है।
ज़्यादा मीठा खाना मोटापा आदि कई स्वास्थ्य समस्यायों का कारण बन सकता है।
मनोवैज्ञानिक समस्याएं
कई लोग सोचते हैं, आंतें दिमाग से बहुत दूर होती हैं। इनका शायद ही कोई आपसी रिश्ता हो। जबकि इनका रिश्ता कहीं ज़्यादा नज़दीक का है।
इसलिए मनोवैज्ञानिक समस्याएं, जैसे कि डिप्रेशन, तनाव, एंग्जायटी भी आँतों से जुड़ी समस्या या उनका लक्षण हो सकती हैं।
सेरोटोनिन (Serotonin) एक ऐसा न्यूरो ट्रांसमिटर है जो हमें अच्छा, शांत और ख़ुशी का अनुभव कराने के लिए ज़िम्मेदार होता है; यह आँतों के अंदर ही पैदा होता है, कम से कम इसका मुख्य अंश तो वहीं बनता है। इसी कारण, आपका मूड इस बात की चेतावनी हो सकता है कि आपका शरीर कैसा महसूस कर रहा है।
हद से ज़्यादा ग्लूकोज़ (Excessive glucose)
आँतों का सबसे ख़ास काम है खाने को पचाना, उन्हें प्रोसेस करना। जाहिर है कि खाने में शुगर मौजूद होता है। अगर इस काम में ज़रा भी गड़बड़ी हो, तो पाचन प्रक्रिया नियंत्रण से बाहर हो सकती है।
खून में ज़रूरत से ज़्यादा ग्लूकोज़ एक ऐसी समस्या है जिसे आंतों की समस्या के साथ जोड़कर देखा जाता है; इसे हाई ब्लड शुगर यानी उच्च रक्तशर्करा भी कहाँ जाता है, जो कि डायबिटीज जैसी बीमारी का कारण बनती है।
इसके अलावा, मेटाबोलिक प्रक्रिया में बाधा पड़ सकती है और ऊर्जा परिवर्तन की साइकल नाकाम हो सकती है।
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त्वचा से जुडी समस्याएं (Skin problems)
ऐसे कई कारण हैं जिनसे आपको त्वचा से जुड़ी परेशानियां हो सकती हैं; यूवी किरणें, केमिकल प्रोडक्ट,गर्मी, ठण्ड, हार्मोनल असन्तुलन और कई अन्य। हालाँकि इसका एक कम ज्ञात लेकिन सच्चा कारण यह भी है कि यह सब आँतों के काम करने से भी जुड़ा हो सकता है।
जब त्वचा पर कील-मुँहासों (acne) या एक्जिमा (eczema) के लक्षण दिखें तो यह आंतों की समस्या का एक लक्षण हो सकता है।
एक्ने त्वचा पर रहने वाले बैक्टीरिया में आए बदलाव की वजह से होता है; इसकी वजह से त्वचा पर सूजन आ जाती है और त्वचा लाल हो जाती है।
पाचन में अस्थिरता (Digestive instability)
पाचन में होने वाली समस्याएं हो सकता है कि वे पहली लक्षण हों जो बताएं कि आपकी आँतों के साथ कुछ ठीक नहीं है। बहरहाल यह डाइजेस्टिव सिस्टम यानी पाचन प्रणाली के किसी भी हिस्से में आयी समस्या के कारण हो सकता है।
पर जैसा कि आँतों के साथ है, इस सम्भावना को खारिज नहीं करना चाहिए। यह कहीं फंसी गैस, पेट में सूजन या दस्त लगने से शुरू हो सकता है, जो कि उन बैक्टीरिया में आये बदलाव के कारण होता है जो इस अंग की रक्षा करते हैं।
आँतों में रहने वाले इन बैक्टीरिया में असंतुलन ऐसे हानिकारक पदार्थों के जमा होने की वजह से होता है जो आँतों को पोषक तत्व सोखने से रोकते हैं।
हैलिटोसिस (Halitosis)
आँतों में मौजूद बैक्टीरिया में कोई असंतुलन पेट यानी आमाशय के कार्य में बदलाव ला सकता है। यह पाचन से जुड़ी समस्या से जुड़ा होता है,
गैस में बढ़ोतरी होने लगती है, जो पेट में जमा होकर गैस्ट्राइटिस और दुर्गन्ध पैदा करती है। इससे मुंह या सांसों में बदबू आने लगती है।
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