दालचीनी : सेहत से जुड़े 10 फायदे
हम इसे चाय और डेजर्ट में लेते हैं, दालचीनी की स्टिक और पाउडर के रूप में। लेकिन किचन में एक स्टैंडर्ड इंग्रेडिएंट तो यह है ही। दालचीनी के कुछ शानदार स्वास्थ्य लाभ भी हैं।
क्या आप जानना चाहेंगे कि कैसे? पढ़ते रहिये!
दालचीनी एक मसाला है जिसे वैज्ञानिक रूप से सिनमोमम के नाम से जानी जाने वाली पेड़ों की भीतरी छाल से प्राप्त किया जाता है। यह एक ऐसी इंग्रेडिएंट है, जिसे गैस्ट्रोनॉमिक इस्तेमाल और औषधीय इस्तेमाल के लिए इतिहास में बहुत महत्व दिया गया है। क्या आप दालचीनी के स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानते हैं?
बेशक यह बीमारी से लड़ने में यह कोई चमत्कारी घटक नहीं है, लेकिन दालचीनी में ऐसे कम्पाउंड होते हैं जो सेहत को बढ़ावा देते हैं। क्रिटिकल रिव्यू इन फ़ूड साइंस और न्यूट्रिशन में प्रकशित महत्वपूर्ण जानकारी के अनुसार इसमें एंटी इन्फ्लेमेटरी, एंटी मिक्रोबियल, एंटीऑक्सिडेंट, कोलेस्ट्रॉल कम करने और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी असर रखने वाले तत्व हैं।
इसके अलावा, इसने टाइप 2 डायबिटीज जैसी बीमारियों में आशाजनक नतीजे दिखाए हैं। सबसे अच्छी बात है कि यह बहुत ही किफायती घटक है जिसे सुपरमार्केट और हर्बलिस्ट शॉप में आसानी से प्राप्त किया जा सकता है। यहाँ इसके कुछ अहम इस्तेमाल की जानकारी दी गयी है।
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दालचीनी की किस्में
दालचीनी कई प्रकार की होती है, लेकिन कमर्शियल उपयोग के लिए सिर्फ चार का इस्तेमाल किया जाता है:
- सिनामोन कैसिया: यह सबसे सस्ता और संभवतः सबसे पॉपुलर है। लिवर को किसी तरह का नुक्सान न हो, इसलिए इसे ज्यादा मात्रा में लेने की सलाह नहीं दी जाती है।
- सीलोन सिनामोन: एक्सपर्ट इसकी बेहतर गुणवत्ता के कारण इस किस्म की दालचीनी का सेवन करने की सलाह देते हैं, क्योंकि यह शरीर के लिए नुकसानदेह नहीं है। इसका स्वाद सॉफ्ट, मीठा और सुगंधित होता है।
- सिनामोन कोरंटजे: यह कैसिया की तरह की तरह की दालचीनी है।
- सैगॉन सिनामोन: इसे वियतनामी दालचीनी के रूप में भी जाना जाता है और इसका स्वाद और गंध सबसे अच्छा माना जाता है, हालांकि इसमें उच्च मात्रा में मौजूद कैरमिन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
सेहत से जुड़े दालचीनी के फायदे
दालचीनी दुनिया भर में अपने विशेष स्वाद और गंध के लिए जानी जाती है। यह इसके अधिक तैलीय भाग के कारण है, जो सिनामाल्डिहाइड नाम के कम्पाउंड से समृद्ध है। अमेरिका की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन में उपलब्ध जानकारी के अनुसार इस पदार्थ में हाइपोग्लाइसेमिक, वैसोडिलेटर और एंटीफंगल असर हैं।
दरसल दालचीनी के कई स्वास्थ्य लाभ तो सिर्फ इसी तत्व की वजह से हैं। हालांकि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ज्यादा डोज में दालचीनी हानिकारक हो सकती है। इसलिए इसे काम मात्रा में ही लेना चाहिए , हमेशा न्यूनतम मात्रा में।
इसके अलावा, हम इसे बीमारियों का ट्रीटमेंट भी नहीं मान सकते हैं और साथ ही यह कुछ दवाओं के एक्शन में रुकावट भी दाल सकता है। इस वजह से इसे लेने से पहले अपने डॉक्टर की सलाह भी लेनी चाहिए। आइए इसके गुणों को देखें।
1. सूजन को कम करने में मदद करती है
दालचीनी के तत्वों में एंटीऑक्सिडेंट हैं जिनका एंटी इन्फ्लेमेटरी असर होता है जो रोग होने का जोखिम कम करने में मदद करता है। फूड एंड फंक्शन में प्रकाशित एक स्टडी बताती है कि इसके आर्गेनिक अर्क में पावरफुल एंटी इन्फ्लेमेटरी एक्शन होता है। यह शरीर के अपने टिशू पर हमले से होने वाली सूजन को रोकता है।
2. ग्लूकोज लेवल को रेगुलेट करती है
टाइप 2 डायबिटीज वाले लोग दालचीनी के सबसे अच्छे दोस्त बनते हैं।
खाली पेट या भोजन के बाद यह आपके शुगर लेवल को कम करती है। डायबिटीज, मोटापा और मेटाबॉलिज्म में हुई एक स्टडी इसे साबित करती है।
अमेरिकन कॉलेज ऑफ न्यूट्रीशन के जर्नल में प्रकाशित एक दूसरे शोध के अनुसार दालचीनी कम्पाउंड हाइड्रोनिकलकॉन का शरीर की सेल्स पर इन्सुलिन जैसा असर होता है।
3. यह एथलीट फुट का इलाज करती है
दालचीनी के एसेंशियल ऑयल अपने एंटिफंगल गुणों के लिए जाना जाते हैं और एथलीट फुट के इलाज में असरदार हैं।
पहले से धोये और सुखाये हुए प्रभावित पैर पर तेल को लगाकर जुर्राब से कवर कर दिया जाता है जिसे यह रात भर काम कर सके। इसके अलावा यह पैरों के लिए नेचुरल डियोडोरेंट का काम करता है।
4. यह सांस की समस्याओं में मदद कर सकती है
जर्नल न्यूट्रिएंट्स में प्रकाशित एक स्टडी में कहा गया है, कि यह श्वसन समस्याओं के लक्षणों को कम करने में मददगार हो सकती है। इसे इन्फ्यूजन के रूप में दिन में 2 बार पीया जा सकता है।
5. वजन घटाने में मददगार
दालचीनी अकेले अपने दम पर मोटापा कम नहीं करेगी। यह याद रखना चाहिए कि हेल्दी वेट में कई बाते जरूरी हैं, जैसे हेल्दी डाइट और नियमित एक्सरसाइज। हालांकि अपने फायदेमंद गुणों के कारण यह मसाला वजन कम करने में पूरक का काम कर सकता है।
क्लीनिकल न्यूट्रीशन में प्रकाशित हालिया मेटा-विश्लेषण ने निष्कर्ष निकाला गया है कि दालचीनी सप्लीमेंट मोटापा पर काबू पाने में सहायक है। इसलिए इसे ओबेसिटी मैनेजमेंट में एक सप्लीमेंट के रूप में सुझाया जा सकता है।
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6. अल्जाइमर रोग को रोकने में मदद कर सकता है
दालचीनी एसेंशियल ऑयल में मैग्नीशियम, जिंक, फ्लेवोनोइड्स और आयोडीन होते हैं, जो ब्लड सर्कुलेशन में मददगार हैं, और इस तरह ब्रेन की सही फंक्शनिंग में सहायता करते हैं।
जर्नल ऑफ अल्जाइमर डिजीज में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया कि इस मसाले में मौजूद सिनामाल्डिहाइड और एपिकैटेशिन जैसे पदार्थ मस्तिष्क में उस प्रोटीन को इकठ्ठा होने नहीं देते हैं, जिसे ताओ कहते हैं जो अक्सर अल्जाइमर से जुड़ा पाया गया है।
7. जवां बनाए रखती है
पोषक तत्वों और एंटीऑक्सिडेंट्स की भारी मात्रा के कारण, इसमें आश्चर्य नहीं है कि दालचीनी आपकी स्किन की सेहत को भी ठीक रखती है। इसके सेवन करने और बाहरी तौर पर इसे लगाने से आपका कायाकल्प हो सकता है। यह त्वचा को स्वस्थ रखने में योगदान कर सकता है। आप इसे शहद के साथ मिलाकर मास्क के रूप में लगा सकते हैं।
8. मांसपेशियों को आराम दे सकती है
एंटी इन्फ्लेटरी गन के कारण इसे मालिश के तेलों में इस्तेमाल किया जाता है। इसकी सुगंध थकी हुई मांसपेशियों को आराम देने का काम करती है।
नहाने में भी इसके लाभों का मजा लिया जा सकता है। आपको सिर्फ बाथटब को गर्म पानी से भरने और एक चम्मच दालचीनी डालने की जरूरत है; लगभग 15 मिनट के लिए इसमें रिलैक्स करें।
9. मेंस्ट्रुअल क्रैम्प से राहत दिला सकती है
जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड डायग्नोस्टिक रिसर्च में प्रकाशित स्टडी ने निष्कर्ष निकाला कि दालचीनी को प्राइमरी डिसमेनहॉरिया में सुरक्षित और असरदार ट्रीटमेंट माना जा सकता है। इसमें दर्द होने पर सोने से पहले एक कप गर्म दूध दालचीनी के साथ पियें। यह पेट के दर्द को शांत करेगी और मांसपेशियों को आराम देगी।
10. हड्डियों की सेहत
हालांकि इस मामले में प्रमाण तो कम हैं, लेकिन संभवतः हड्डी की सेहत में दालचीनी का सेवन फायदेमंद हो सकता है। इसके एंटीऑक्सिडेंट तत्व, मिनरल और एंटी इन्फ्लेमेटरी एजेंट का प्रभाव इस मामले में फायदेमंद हो सकता है।
संक्षेप में
दालचीनी एक हेल्दी स्पाइस है जिसके लाभ विज्ञान द्वारा समर्थित हैं। हालांकि यह बीमारियों की फर्स्ट लाइन ट्रीटमेंट नहीं है, पर कुछ मामलों में फायदेमंद हो सकती है। बेशक सुरक्षित ढंग से इसके उपयोग के लिए नियमित रूप से लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना बेहतर है।
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