एटोपिक और सेबोरिक डर्मेटाइटिस के बीच फर्क
एटोपिक और सेबोरिक डर्मेटाइटिस दो आम स्किन कंडीशन हैं। हालांकि कई लोग दोनों के बीच फर्क नहीं कर पाते हैं, पर वास्तव में इनमें बहुत फर्क है।
एटोपिक डर्मेटाइटिस एक आम त्वचा रोग है जो आमतौर पर लालिमा, खुजली और ड्राईनेस का कारण बनता है। यह माना जाता है कि जेनेटिक्स इसका सबसे अहम रिस्क फैक्टर है। हालांकि एक्सपर्ट यह भी मानते हैं कि एनवायर्नमेंटल फैक्टर और फ़ूड फैक्टर भी प्रभावित करते हैं।
दूसरी ओर सेबोरिक डर्मेटाइटिस के कारण पपड़ीदार पैच और लालिमा होती है। यह लगातार होने वाले डैंड्रफ की तरह है। हालाँकि यह एक ऐसी स्थिति है जो उन सभी अंगों को प्रभावित कर सकती है जहाँ सीबम ज्यादा पैदा हो, जैसे कि भौहें, चेहरा या कान।
एटोपिक और सेबोरिक डर्मेटाइटिस दोनों ही त्वचा में जलन और इर्रिटेशन वाले लक्षण पैदा करते हैं। पर दोनों ही स्थितियों के बीच कई फर्क हैं। नीचे आपको समझाएंगे।
एटोपिक और सेबोरिक डर्मेटाइटिस का कौन शिकार होता है?
यह दरअसल इन दोनों स्किन रोगों की डायग्नोसिस की एक मुख्य कुंजी है। एटोपिक और सेबोरिक डर्मेटाइटिस लोगों के अलग-अलग ग्रुप को अपना शिकार बनाते हैं।
सबसे पहले एटोपिक डर्मेटाइटिस ज्यादातर बच्चों और किशोरों को प्रभावित करती है। दरअसल यह अनुमान है कि यह आबादी के 20% हिस्से को प्रभावित करती है। इस रोग की डायग्नोसिस के लिए डॉक्टर व्यक्ति के व्यक्तित्व पर फोकस करते हैं। क्योंकि एटोपिक त्वचा रोग के कारण बहुत खुजली होती है और जलन भी। जब यह उन शिशुओं को प्रभावित करता है जो खुद नहीं बता सकते, तो वे चिड़चिड़े और परेशान हो जाते हैं।
हालांकि सेबोरिक डर्मेटाइटिस के लिए दो सबसे गंभीर फेज होते है। यह आमतौर पर ज़िन्दगी के पहले महीनों के दौरान या यौवन आने पर उभरता है। यह महिलाओं के मुकाबले पुरुषों को ज्यादा प्रभावित करता है। सौभाग्य से यह आबादी के 5% हिस्से को प्रभावित करता है।
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एटोपिक और सेबोरिक डर्मेटाइटिस के लक्षण क्या हैं?
एटोपिक और सेबोरिक डर्मेटाइटिस के कारण खुजली और त्वचा लाल हो जाती है। हालांकि हर स्थिति अपने ख़ास लक्षणों का कारण बनती है।
उदाहरण के लिए एटोपिक डर्मेटाइटिस के मामले में यह खुजली आमतौर पर रात में बिगड़ जाती है। इसके अलावा एटोपिक डर्मेटाइटिस त्वचा की ड्राईनेस का कारण बनती है। नतीजतन प्रभावित व्यक्ति खुजलाता है, जिससे त्वचा में पपड़ी और सूजन देखी जाती है। लाल धब्बे शरीर के कई हिस्सों पर भी दिखाई देते हैं, जैसे हाथ, पैर या गर्दन। साथ ही शुष्कता के कारण त्वचा मोटी हो जाती है, उसमें क्रैक दीखते हैं। उदाहरण के लिए कोहनी पर पैच दिखाई देना आम बात है। ये लक्षण पाइराइटिस अल्बा (pityriasis alba) की तरह ही होते हैं और खुजली का कारण भी बनते हैं।
दूसरी ओर, सेबोरिक डर्मेटाइटिस से बालों, भौंहों या यहां तक कि दाढ़ी में एक किस्म का डैंड्रफ होता है। यह स्थिति त्वचा पर चिकने धब्बे का कारण बनती है जो आमतौर पर सफेद या पीले स्केल से ढके होते हैं। इसे क्रैडल कैप (cradle cap) कहा जाता है। ये “स्केल” आमतौर पर नाक, भौंहों और पलकों के दोनों ओर और कुछ दूसरे स्थानों पर होते हैं। इसका मतलब है, वे उन सभी अंगों में उभरते हैं जहां शरीर ज्यादा सीबम उत्पन्न करता है।
अंत में यह जान लेना ज़रूरी है कि एटोपिक और सेबोरिक डर्मेटाइटिस के बीच एक और फर्क यह है कि वे किस तरह उभरते हैं। एटोपिक डर्मेटाइटिस आमतौर पर निश्चित समय के फासले पर उभरता है और अस्थायी रूप से गायब हो जाता है और कई सालों तक गायब रह सकता है। सेबोरिक डर्मेटाइटिस स्ट्रेस या ठंड और शुष्क मौसम में बिगड़ जाता है।
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दूसरे अहम अंतर
एटोपिक और सेबोरिक डर्मेटाइटिस अलग-अलग तरीके से शिशुओं को प्रभावित करते हैं, क्योंकि सेबोरिक डर्मेटाइटिस शिशुओं में किसी भी असुविधा का कारण नहीं बनती है। पर जैसा कि हमने ऊपर बताया, एटोपिक डर्मेटाइटिस से बच्चे को नुकसान हो सकता है, जिससे वे अक्सर चिड़चिड़े हो जाते हैं।
एक और फर्क स्किन हाइड्रेशन है। सेबोरिक डर्मेटाइटिस त्वचा को चिकना बनाती है, जबकि एटोपिक डर्मेटाइटिस स्किन ड्राईनेस का कारण बनती है। दोनों रोगों का इलाज करने के लिए स्किन को मॉइस्चराइज रखना ज़रूरी है।
निष्कर्ष
अगर आपको संदेह हो, तो किसी एक्सपर्ट की सलाह लेने में झिझके नहीं।
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