रीढ़ की हड्डी कैसे शरीर के दूसरे अंगों से जुड़ी है
रीढ़ की हड्डी की बात आते ही हमें सबसे पहला खयाल यह आता है कि इंसानी शरीर वाकई दुनिया की सबसे रहस्यमय घटनाओं में से एक है। अपने भीतर की प्रणालियों के बेहतरीन निर्माण और संरचना सरचना से इसका विस्मित करना कभी खत्म नहीं होता।
प्रकृति ने संयोग पर कुछ भी नहीं छोड़ा है, और जितना ही हम इसे जानते हैं, हम उतने ही सुरक्षित हैं क्योंकि शरीर के विभिन्न हिस्सों के बीच नए कनेक्शन हर दिन खोजे जा रहे हैं।
इसका सबसे महत्वपूर्ण उदाहरण रीढ़ की हड्डी का शरीर के दूसरे अंगों से जुड़ा हुआ होना है।
यह आश्चर्यजनक है क्योंकि रीढ़ हड्डियों से बनी है और फिर भी यह अंगों और मांसपेशियों के कामकाज को प्रभावित करती है, जैसे फेफड़े और हृदय।
एक पल के लिए भी आपको नहीं लगता कि यह संबंध महज संयोग पर आधारित है। इसमें ऐसे निर्दिष्ट बिंदु खोज लिए ग हैनं जो हमारे शरीर के बहुत विशिष्ट भागों से जुड़े हैं।
जैसा कि आप देख सकते हैं, यह कोई मिथा नहीं है कि मानव शरीर एक आदर्श मशीन है। हमें यकीन है कि इसमें अभी भी ऐसे रहस्य भर पड़े हैं जो हमें अवाक कर देंगे।
स्पाइनल कॉलम कैसे दूसरे अंगों से जुड़ा है?
इसका कारण जितना लगता है उससे भी सरल है। रीढ़ की हड्डी हमें सीधी रखती है, कहने का मतलब यह है कि यह हमें संरचना और आधार देती है।
यह छोटी-छोटी हड्डियों से बनी है जिन्हें परस्पर जुडी हुई मांसपेशियां इकट्ठे जोड़े रखती हैं।
इसलिए, जब इन हड्डियों में से कोई भी जोड़ से बाहर हो जाती है, तो यह उस बिंदु से जुड़े अंग पर असर डालता है।
इसका बहुत ही खराब प्रभाव पड़ता है, क्योंकि, जैसा कि आप जानते हैं, लीवर जैसे अंग के नाकाम होने से पूरा शरीर खामियाजा भुगतता है क्योंकि यह आपके रक्त को छानने के लिए जिम्मेदार है।
इसके अलावा अपनी भावनात्मक स्थिति का भी खयाल रखना महत्वपूर्ण है। जब हम नेगेटिव भावनाओं को पकड़ कर रखेते हैं, भले ही वह स्ट्रेस हो या उदासी, तो रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है ।
इसका अर्थ है कि शारीरिक स्थिति को नियंत्रित करने में इमोशनल इंटेलिजेंस की बुनियादी भूमिका है: जब हम इस क्षेत्र में तनाव से बचते हैं, तो हम अपने महत्वपूर्ण अंगों तक पहुंचने से इसके नकारात्मक प्रभावों को रोकते हैं।
आपके रीढ़ को जांच की ज़रूरत कब पड़ती है?
जब आप अपने रीढ़ की हड्डी में परेशानी का अनुभव करते हैं, तो डॉक्टर एक ऐसी ट्रीटमेंट प्लान बनायेंगे जो उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करती है जहां आपको तकलीफ है।
कभी-कभी इन उपचारों के परिणाम उतनी जल्दी नहीं आते हैं जितनी हम आशा करते हैं। इसका मतलब यह हो सकता है कि आपकी रीढ़ की हड्डी गहरी जाँच-पड़ताल की मांग कर रही है।
रीढ़ की हड्डी की समस्याओं से जुड़े आम रोग:
माइग्रेन
पीठ अधिकांश इस किस्म के सिर दर्द में शामिल होती है।
मांसपेशियों की ऐंठन हड्डियों को अपनी जगह से हटा देती है, जिससे सिर और चेहरे में विकार पैदा होते हैं।
यह धुंधली दृष्टि भी पैदा कर सकता है।
अंगों की सुन्नता
सरवाइकल सूजन के परिणामस्वरूप नसों में कसावट पैदा होती है। नतीजतन इस क्षेत्र में रक्त का पहुंचना मुश्किल हो जाता है। जब यह लम्बे समय के लिए होता है, तो अंगों के छोर यानी हाथ-पैर इसके शिकार होकर संवेदनशीलता खोना शुरू कर देते हैं।
निगलने में समस्याएं
यह गले में सर्वाइकल नाली के सिकुड़ने से होता है। इससे चबाने और निगलने के लिए जिम्मेदार मांसपेशियों और अंगों की क्रिया पर असर पड़ता है।
मस्तिष्क में रक्त प्रवाह की कमी
यह उस घटना के समान है जिसमें सर्वाइकल सुन्नता होती है।
धमनियों पर मसल टेंशन मस्तिष्क तक पहुंचने वाले रक्त की मात्रा को कम कर देता है। इसका प्रभाव हल्के से लेकर बहुत गंभीर तक होता है: थोड़ी देर के लिए चक्कर आने से स्ट्रोक जैसी गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।
पाचन में समस्याएं
लम्बर स्पाइन में सूजन पाचन तंत्र को गड़बड़ कर देती है, जिसका अर्थ है कि इसका असर अलग-अलग तरीकों सेसामने आ सकता है। कब्ज इसका एक प्रभाव हो सकता है जिसके बाद अचानक दस्त हो सकती है।
रीढ़ की हड्डियों के बेमेल होने से अंगों के कामकाज का घनिष्ठ संबंध है।
इसलिए हम सुझाव देंगे कि अपने डॉक्टर से नियमित जांच कराएँ। फिजिकल एक्सरसाइज को किसी भी हाल में न भूलें। स्विमिंग आदर्श है क्योंकि यह आपकी हड्डियों को फिर से एक सीध में लाती है और आपकी सभी मांसपेशियों को मजबूत करती है। इससे आपको इस संवेदनशील क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल करने में मदद मिलेगी।
दूसरी तरफ, यदि आप चिंता या डिप्रेशन से अधिक पीड़ित हैं, तो आपको योग करना चाहिए। इससे आप अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में लाभ देखेंगे।
प्राचीन विधाएं आपके मस्तिष्क को शांति देने वाली मेडिटेशन के अलावा शरीर को ऑक्सीजन से भरपूर रखने और अपनी स्वाभाविक सीधाई बनाए रखने के लिए आसन और मुद्राओं का उपयोग करती हैं।
आप इनमें से किसे पसंद करेंगे?
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Hall, M. P. (1955). La anatomía oculta del hombre. Editorial Kier.
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Sierra, I. A. J., Rincón, L. L., Dávila, C. P., Mora, J. A., & Jens, C. T. ANATOMÍA DE LA COLUMNA VERTEBRAL EN RADIOGRAFÍA CONVENCIONAL.
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Sosa, S. Riñón: Anatomía, Fisiología, Funciones, Hormonas y Enfermedades.