हाइपोप्रेसिव ऐबडॉमिनल टेकनीक से बेहतरीन ऐब्स पायें
क्या आप बेहतरीन ऐब्स पाना चाहते हैं? इस सरल हाइपोप्रेसिव ऐबडॉमिनल टेकनीक को आजमा कर देखें। सबसे अच्छी बात यह है कि इसके लिए आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है। आप इसे अपने घर पर ही कर सकते हैं।
जहाँ तक वजन घटाने की बात है, आपने देखा होगा कि शरीर में सबसे ज्यादा चर्बी पेट के आस-पास ही जमा होती है। इसे कम करना बहुत मुश्किल होता है।
पेट को अंदर करने के लिए वर्षों से लोग अलग-अलग तरह की कसरतों के बारे में बताते आ रहे हैं। लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि अच्छी फिगर पाने के लिए एरोबिक एक्सरसाइज़ और सेहतमंद आहार जरूरी है।
हाइपोप्रेसिव ऐबडॉमिनल टेकनीक से बेहतरीन ऐब्स पाने के लिए हम ऐसी एक्सरसाइज़िज़ करते हैं जो पेट की दीवार को मजबूत बनाती हैं। क्या आपने इस तकनीक के बारे में सुना है?
हाइपोप्रेसिव ऐबडॉमिनल टेकनीक क्या है?
हाइपोप्रेसिव ऐबडॉमिनल टेकनीक कई आसनों और साँस लेने की तकनीकों की मेल है। यह पेट के आसपास का वजन घटाने और बॉडी को अच्छी शेप देने में बहुत उपयोगी है।
इसमें ऐसी एक्सरसाइज़ शामिल हैं जिनसे पेट और पीठ का निचला हिस्सा मजबूत होता है। इनको करते समय अपनी साँस को रोककर डायफ्राम को सिकोड़ते हैं।
इससे अंदरूनी दबाव पैदा होता है और पेल्विक फ्लोर और पेट की दीवारों की शक्ति बढ़ती है।
इसमें और पुराने ज़माने की तकनीक में यह फर्क है कि इसमें पेट वाले हिस्से और अंदरूनी अंगों पर अधिक दबाव पड़ता है।
हाइपोप्रेसिव ऐबडॉमिनल टेकनीक के क्या फायदे हैं?
हाइपोप्रेसिव कसरत पेट के चारों ओर की फैट को घटाने के लिए की जाने वाली प्लैंक और अन्य एक्सरसाइज़िज़ की समपूरक है। इसमें कुछ ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। बेशक अच्छा परिणाम पाने के लिए इतनी मेहनत करने में कोई बुराई नहीं है।
ये इसके खास फायदे हैं;
- यह पेट की चर्बी को कम करती है, उसे सुडौल बनाकर उसे सुंदर शेप देती है।
- यह अंग मुद्रा यानी पॉस्चर को ठीक करती है और संतुलन को सुधारती है।
- ऐबडॉमिनो-पेरीनिअल मस्क्युलेचर का शेप ठीक करती है।
- स्ट्रेस और एंग्जायटी को कम करती है।
- जाँघों की हड्डी में दर्द, हर्निया और अंगों के विस्थापन को रोकती है।
- पीठ के निचले हिस्से में होने वाले दर्द को कम करती है।
- पेल्विक फ्लोर को मजबूत बनाती है और मूत्र असंयम को रोकती है।
- इससे शारीरिक कार्यक्षमता में सुधार होता है और चोट लगने की कम संभावना होती है।
बेहतरीन ऐब्स पाने के लिए हाइपोप्रेसिव ऐबडॉमिनल्स कैसे करें?
इस सरल एक्सरसाइज़ को करने के लिए आपको इन चरणों को समझना चाहिए।
- शुरू करने की पोज़ीशन
- साँस लेना
- साँस को रोकना, उस समय अपने डायफ्राम को उठाने की कोशिश करना (15 – 30 सेकेंड)
- साँस छोड़ना
इनको करने के कई तरीके हैं। लेकिन अच्छे परिणाम के लिए आपको हर चरण में पोज़ीशन बदलनी चाहिए।
शुरू करने की पोज़ीशन
- सबसे पहले पैरों को अलग करके खड़े हो जाएँ। पैर आपके कंधों की सीध में होने चाहिए। अपने घुटनों को जरा सा झुकायें।
- अपने बदन को आगे झुकायें और अपनी बांहों से एक घेरा बनायें, जैसे कि आप किसी के गले लग रहे हों।
- अपनी पीठ को सीधा रखें और सामने की ओर देखें।
साँस लें
- अपनी पोज़ीशन में रहकर साँस लें। सीने को जितना ज्यादा हो सके उतना फुलाएं। जब आपको महसूस हो कि आपका पेट अंदर जा रहा है, तो अपनी साँस पर ध्यान केन्द्रित करें और उसे कुछ सेकंड के लिए रोकें।
साँस को रोकें
- इस स्टेप में आपको अपनी साँस को 10 से 15 सेकंड के लिए रोकना चाहिए।
साँस छोड़ें
- अपनी सामान्य पोज़ीशन पर आते समय धीरे से साँस छोड़ें।
- सभी स्टेप को ठीक से करें। 20 सेकंड के लिए आराम करें और इसे फिर दोहरायें।
बेहतरीन परिणाम पाने के लिए सलाह
अच्छे ऐब्स पाने के लिए हाइपोप्रेसिव ऐबडॉमिनल टेकनीक बहुत पॉपुलर है। इसका मतलब यह नहीं है कि यह कोई चमत्कारी उपाय या जादुई युक्ति है।
इसका उपयोग करके अच्छे परिणाम पाने के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना होगा।
- भले ही इस टेकनीक से रीढ़ की हड्डी पर जोर नहीं पड़ेगा लेकिन फिर भी हर स्टेप को ठीक से करने की कोशिश होनी चाहिए। सही पॉस्चर अपनायें ताकि आपको चोट न लगे या कोई दूसरी परेशानी न हो।
- अगर आपको कोई आशंका हो तो किसी प्रोफेशनल ट्रेनर से राय लें।
- इस टेकनीक को नियमित रूप से करें। इसे रोज दिन में दो बार करना चाहिए। अगर आप इसे कभी-कभी करेंगे तो कोई फायदा नहीं होगा।
- इस एक्सरसाइज़ को सुबह के समय करना सबसे अच्छा है। लेकिन आप अपनी सुविधा के अनुसार इनको किसी भी समय कर सकते हैं।
- इनको खाना खाने के बाद या सोने से पहले न करें।
- आपको सिर्फ एक दिन में कोई फर्क नज़र नहीं आयेगा। लेकिन एक महीने बाद इसका असर जरूर दिखाई देगा।
क्या आप हाइपोप्रेसिव ऐबडॉमिनल टेकनीक को आजमाने के लिए तैयार हैं? बेहतरीन ऐब्स पाने के लिए इस टेकनीक को घर में करके देखें। उसके साथ में एक स्वस्थ्याजनक जीवन-शैली भी अपनायें।
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