किडनी ख़राब होने के लक्षण: वक्त रहते जानिये ये 7 संकेत
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जहाँ तक सेहत का मामला है, यह कोई बड़ा राज़ नहीं है कि एक स्वस्थ किडनी हमें ऊँचे गुणवत्ता वाला जीवन जीने की सहूलियत देती है।
नियमित रूप से रह-रह कर किडनी के पास दर्द का होना इस अंग से जुड़ी किसी समस्या की ओर संकेत हो सकता है। किडनी ख़राब होने के लक्षण कई तरह के होते हैं, जिनमें ऐसा दर्द भी हो सकता है। हालांकि कभी-कभी किडनी फेलियर के बजाय यह दर्द मांसपेशियों की कमज़ोरी से भी उभरता है।
आम तौर पर हम इन अंगों की अहमियत के बारे में ज्यादा नहीं सोचते। लेकिन यह अंग उस हानिकारक तरल पदार्थ और टॉक्सिन को शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है जो इसे बीमार कर सकते हैं।
वस्तुतः एक स्वस्थ किडनी दिन भर में 190 लीटर खून को प्रोसेस कर सकती है। छानने की इस ख़ास जैविक प्रक्रिया से गुजरने के बाद किडनी हमें 2 लीटर पानी और जहरीले वर्ज्य पदार्थों को निष्कासित करने की सहूलियत देती है।
इसके अलावा किडनी रक्तचाप और कुछ विशिष्ट हॉर्मोन के स्राव की प्रक्रिया को नियंत्रित करने में भाग लेती है। जाहिर है कि सेहतमंद गुर्दा पूरे शरीर के उत्तम स्वास्थय को सुनिश्चित कर देता है।
इन कारणों से, किसी भी तरीके की गड़बड़ी या रोग के चिन्हों पर सही समय पर ध्यान देना ज़रूरी है, वरना किडनी ख़राब होने का कोई भी लक्षण क्रॉनिक बीमारी की ओर ले जा सकता है।
आपकी जानकारी के लिए यहाँ हमने किडनी ख़राब होने के 7 लक्षण जुटाए हैं जो आपके इस सिस्टम पर किसी भी संकट की सूरत में उभर सकते हैं।
इन्हें नज़रअंदाज़ ना करें!
1. तरल अवरोधन (फ्लूइड रिटेंशन) और सूजन
गुर्दे खराब होने के शुरुआती लक्षणों में बदन में अनियंत्रित सूजन का होना है जिसके साथ आम तौर पर देह में पानी जमने लगता है।
ये किडनी ख़राब होने के लक्षण हैं और बताते हैं कि आपकी किडनी वर्ज्य पदार्थों को ठीक से छान पाने और मूत्र बना पाने में कठिनाइयों का सामना कर रही है।
अगर आपको इन जगहों पर कोई असामान्य सूजन दिखे तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें:
- पैरों और टखनों में
- हाथ
- पांव
- चेहरा
- पेट
2. किडनी ख़राब होने की वजह से मूत्राशय पर नियंत्रण खोना
मूत्राशय यानी ब्लैडर पर कंट्रोल को लेकर किसी किस्म की समस्या भी किडनी ख़राब होने के संभावित लक्षणों में से एक हो सकती है।
बिना किसी कारण के बार-बार बाथरूम जाने में बढ़ोतरी या इसमें कमी, इसका संकेत है कि आपके गुर्दे की कार्यक्षमता में कुछ गड़बड़ है।
3. मूत्र में ध्यान देने योग्य परिवर्तन
यूरिन के टेक्सचर, रंग और गंध की विशिष्टताएं हमें यह पता लगाने की सहूलियत देती हैं कि किडनी अपना काम ठीक तरह से कर पा रही है या नहीं।
मूत्र के सामान्य से ज्यादा पीले रंग जैसे ध्यान देने योग्य बदलाव किसी संक्रमण या क्रॉनिक बीमारी का संकेत हो सकते हैं।
अपने डॉक्टर से संपर्क करें यदि:
- मूत्र झाग जैसा हो
- गंध बहुत तेज़ हो
- मूत्र में जलन हो
- मूत्र के साथ खून आये
4. त्वचा पर चकत्ते उभरना
स्किन रैशेस यानी त्वचा पर चकत्ते कई वजहों से हो सकते हैं। किडनी ख़राब होना भी इसकी वजह हो सकती है।
कभी-कभी यह अंग कुछ जहरीले तत्वों को फ़िल्टर नहीं कर पाता। ये तत्व खून में मिले रह जाते हैं। जब शरीर खून में इन पदार्थों को लिए हुए रहता है, तो ये स्किन में बनने वाले तेलों के सामान्य उत्पादन की प्रक्रिया को बदल देते हैं।
इसके परिणामस्वरूप चेहरे पर बदनुमा मुंहासे आ सकते हैं। इन मुंहासों के आस-पास खुजली और जलन होती है।
5. पीठ के निचले हिस्से में दर्द
लम्बर एरिया यानी पीठ के निचले हिस्से या शरीर के एक बाज़ू में बार-बार दर्द का होना किडनी ख़राब होने का लक्षण भी हो सकता है।
इस बीमारी से पीड़ित मरीज़, खासकर बूढ़े लोग, सूजन की वजह से ऐसा दर्द महसूस होने की शिकायत करते हैं।
वैसे मांसपेशियों का कमज़ोर होना भी ऐसे दर्द की एक वजह हो सकती है। लेकिन ऐसे लक्षण के मामले में हमें इस बीमारी (गुर्दे खराब होना) की मौजूदगी पर भी विचार कर लेना चाहिए और इसे नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए।
6. हाई ब्लड प्रेशर
गुर्दे की समस्या वाले मरीजों को बराबर अपने रक्तचाप की जाँच करवाते रहना चाहिए, क्योंकि इसमें गभीर बदलाव आ सकता है।
इन अंगों के विशिष्ट कार्यों की वजह से हमारे शरीर में पोटैशियम और सोडियम का संतुलन बना रहता है। ये दोनों वे मुख्य तत्व हैं जिनकी वजह से ब्लड प्रेशर स्टेबल रहता है।
ये तत्व हमारे शरीर में तरल पदार्थ को नियंत्रित रखते हैं और टिश्यू तथा धमनियों (आर्टरीज) में सूजन होने से बचाते हैं।
दूसरी तरफ, हमें यह भी ध्यान में रखना चाहिए कि हाइपरटेंशन एक और वजह से हो सकता है। इस समस्या को रेनल आर्टरी स्टेनोसिस कहते हैं। इसमें किडनी में खून पहुंचाने वाली आर्टरी में आंशिक रुकावट पैदा हो जाती है।
7. थकान होना
जब किडनी अपने काम में नाकाम हो, तो मरीज़ को ज़्यादा थकान महसूस होगी और एनर्जी कम होने लगती है।
यह एक विशेष हॉर्मोन के कम स्राव के कारण होता है, जिसका नाम ‘एरिथ्रोपोईएटिन’ है। यह हॉर्मोन रक्त में लाल कोशिकाओं के उत्पादन के लिए ज़िम्मेदार है, जिससे ज़्यादा ऑक्सीजन और पोशाक तत्त्व खून में जा सकें।
इसके उत्पाद में गड़बड़ी होने से व्यक्ति में क्रॉनिक एनीमिया, चक्कर आने और ध्यान केन्द्रित कर पाने में समस्या जैसे लक्षण दिखाई देंगे।
क्या आपने इनमें से किसी लक्षण को महसूस किया है? ध्यान रहे, किडनी की बहुत सी समस्याओं को ठीक किया जा सकता है अगर उनका शुरुआती चरणों में ही पता चल जाए।
बीमारी की चेतावनी देने वाले इन लक्षणों में से किसी भी संकेत पर तत्काल ध्यान दें और इनके जोखिम को कम करने वाली स्वस्थ आदतों को अपनाएँ।
मुख्य तस्वीर: @WikiHow.com के सौजन्य से
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