अपनी मर्यादा की हद तक तुमसे प्यार किया: अब और नहीं
मर्यादा एक व्यक्तिगत और भावनात्मक सीमा है। यह मनोवैज्ञानिक ढाल के रूप में काम करती है। इस सीमा के पैमाने पर ही हम अच्छे और संतुलित निजी-सामाजिक दोनों तरह के रिश्ते बनाते हैं।
नज़दीकी रिश्तों में मर्यादा ज्यादा जांच-परख और रोक-टोक नहीं करती है या फिर छूट देने लगती है। जिस क्षण हम दूसरों के सामने झुकना शुरू कर देते हैं, उसी समय मर्यादा का यह कवच टूटने लगता है।
यदि एक पल रुक कर इसके बारे में सोचें, तो आप जानेंगे कि शायद ही कभी अपने जीवन के निजी और महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में सोचा है।
सबसे पहली बात तो यह है कि, हम कभी इस बारे में सोचते ही नहीं हैं, क्योंकि हम इस सोच के साथ पले-बढ़े हैं कि जब हम किसी को प्यार करें, तो उन्हें अपना सबकुछ दे दें, बदले में कुछ भी पाने की उम्मीद किए बिना।
कई बार तो सच्चे प्रेम और भावनात्मक जाल के बीच अंतर समझना मुश्किल हो जाता है। ऐसी स्थिति में अपनी मर्यादा की रक्षा करना बहुत जरूरी है।
इस लेख के जरिये, हम आपको इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित करना चाहते हैं।
मर्यादा आपका आत्मसम्मान है
“जब तक मेरी मर्यादा ने कहा मैंने तुमसे प्यार किया: बस, अब और नहीं!” यदि आपको भी कभी ऐसा कुछ लगा हो, तो आप अपने अन्दर के उन विचारों को याद कीजिये जब आपको लगा कि कभी-कभी प्यार की भी एक सीमा होती है, जिसे मर्यादा कहा जाता है।
मर्यादा और आत्मसम्मान
हमारे आत्मसम्मान के बनने में दूसरे लोगों का भी योगदान होता है। जिस तरीके से हम पलते-बढ़ते हैं, उसका भी प्रभाव होता है।
कभी न कभी हम सभी ऐसे माहौल में होते हैं जहाँ हमारी आंतरिक सुरक्षा को कमजोर किया जाता है।
- ऐसी नौकरी जहां आपके अधिकारों का हनन किया जाता है।
- कोई जटिल करीबी रिश्ता
- कोई हादसा, धोखा …
कभी-कभी हमें लगता है कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो हमें नुकसान पहुंचा सके और हम जो चाहें कर सकते हैं। हालांकि, हम ऐसा तभी सोचते हैं जब हम एक सुरक्षित माहौल में होते हैं।
जब बाहरी चीजें हमें हमारे आत्मनियंत्रण को तोड़ने के लिए उकसाती हैं, तो उस समय हम इसे खोने लगते हैं।
बिना सोचे-समझे रिश्ते बनाना
हमें पता है कि हम अपने दिल को आजाद रखते हैं। हम किसी पर भी आँख बंद करके भरोसा कर लेते हैं क्योंकि हमें लगता है कि वह सही है।
लेकिन यह बात तब तक ही सही है, जब तक हमें अपनी मर्यादा के साथ कोई समझौता ना करना पड़े। कभी-कभी निजी रिश्तों में, हम अपनी सीमाओं को अनदेखा कर देते हैं। हम बदले में कुछ भी मिलने की उम्मीद किए बिना ही अपना सब कुछ दे देते हैं।
आपका हर प्रयास रिश्ते को खुशनुमा बनाने में अपनी भूमिका निभाता है।
- जब तक कि हम अपने अंदर की कमी को समझ पाते हैं तब तक बहुत बड़ी गलती कर चुके होते हैं। रिश्ते में कोई सामंजस्य नहीं रह जाता और सारी ऊर्जा और प्रयास किसी एक व्यक्ति के फायदे के लिए इस्तेमाल हो चुके होते हैं।
बहादुरी और जोखिम लेने का साहस रखने का फल हमेशा मिलता है। फिर भी, आपको ये नहीं भूलना चाहिये कि आप दांव पर क्या लगा रहे हैं: आपका आत्मसम्मान, आपकी मर्यादा और खुश रहने का अधिकार।
अपनी गलतियों से हम इनमें से किसी को भी खतरे में डाल सकते हैं, इसलिए यह समय है निर्णय लेने का।
आपके विचार आपको ताकत देते हैं
जब भी भावनात्मक परेशानी महसूस करें, अपने को मजबूती देने के लिए इन तीन बातों को याद रखें।
इन पर विचार करने से आपके अंदर दो महत्वपूर्ण भावनायें पैदा होंगी, वे हैं; साहस और निर्भयता।
चलिए, इन पर एक नजर डाल लेते हैं:
- कोई मुझे नहीं बता सकता कि मुझे कैसे जीना है या कैसे खुश रहना है।
- जो भी मुझे सच्चा प्यार करता है, मुझसे कभी बेईमानी नहीं करेगा।
- एक अच्छा साथी आपके आत्मसम्मान को मजबूत करता है ना कि उसे तोड़ता है|
- जो भी मुझे प्यार करता होगा वह हमेशा मेरा ख्याल रखेगा।
- साथ रहने के लिए यह समझना जरूरी है कि साथ मिलकर एक टीम के रूप में काम कैसे किया जाता है। जो आदमी केवल खुद के बारे में सोचता हो, वह नहीं समझ सकता कि दूसरों के साथ कैसे रहें।
- मुझे अपनी बातें कहने का हक है।
- मुझे प्यार पाने का अधिकार है।
- सच्चे प्यार की शुरुआत खुद को प्यार करने से होती है। अगर मेरे आसपास की चीजें मुझे अपने को बेकार महसूस करवाती हैं, तो इसका मतलब है कुछ गलत चल रहा है। इसे ठीक करने की जरूरत है।
- मुझे किसी और की इच्छाओं और जरूरतों के लिये हाजिर होने की ज़रूरत नहीं है।
- मैं हर किसी के साथ चलने या खुश रखने के लिए मजबूर नहीं हूँ।
- मैं सुंदर, मजबूत, साहसी हूँ, इस बात की खुशी का अधिकार सबसे पहले मुझे है।
- सबसे पहले, मैं उन लोगों का पक्ष लूंगी जिनसे मैं प्यार करती हूँ। हालांकि, मैं उन लोगों का भी ख्याल रखूंगी जो मुझे प्यार करते हैं, सम्मान करते हैं और मेरा महत्त्व समझते हैं। इसका मुझे पूरा आधिकार है।
अंत में, व्यक्तिगत मर्यादा एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपहार है इसका ख़याल रखा जाना चाहिए। यह हमें खुशियों के साथ मिला है और इसकाअनुभव प्रत्येक व्यक्ति को हर दिन होना चाहिए।
- Navet, Georges. (2018). De la dignidad en la Declaración Universal de los Derechos Humanos de 1948. https://scielo.conicyt.cl/scielo.php?script=sci_arttext&pid=S0718-43602018000100153